104 साल का बुजुर्ग 36 साल बाद जेल से छूटा: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी; भाई की हत्या करने पर 1988 से जेल में थे

मालदा8 मिनट पहले
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104 साल के रसिक चंद्र मंडल 36 साल की सजा काटकर जेल से रिहा हो गए हैं।
पश्चिम बंगाल में 104 साल के बुजुर्ग 36 साल जेल की सजा काटने के बाद रिहा हुए हैं। 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद रसिक चंद्र मंडल मंगलवार (3 नवंबर) को मालदा करेक्शनल होम से बाहर आए।
उन्हें 1988 में भाई की हत्या के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। 1994 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी करार करते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मंडल ने अपने जीवन के आखिरी दिन परिवार के साथ बिताने के लिए रिहाई की मांग की थी। जेल से बाहर निकलकर उन्होंने कहा कि वह जिंदगी के बचे हुए दिन बागवानी और पौधों का ध्यान रखने में बिताएंगे।

1988 से जेल में थे रसिक चंद्र मंडल मालदा के रहने वाले रसिक चंद्र मंडल ने जमीनी विवाद के चलते भाई की हत्या की थी। 1988 में 68 साल की उम्र में उन्हें ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया। 1994 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी पाते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। मंडल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। 2018 में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट भी गए मंडल, लेकिन फैसला बरकरार रहा 2019 में मंडल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट की तरह सजा को बरकरार रखा। उम्र संबंधी बीमारियों के चलते 14 जनवरी 2019 को उन्हें सुधार गृह भेज दिया गया। इसके बाद 2020 में मंडल ने उम्र संबंधी बीमारियों और परिवार के साथ आखिरी समय बिताने की इच्छा का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटिशन दाखिल कर रिहाई की मांग की थी।
7 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया और करेक्शनल होम के सुपरिनटेंडेंट से मंडल की सेहत और शारीरिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी। 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मंडल को अंतरिम जमानत दे दी।

रसिक चंद्र मंडल को 2019 में मालदा सुधार गृह भेजा गया था।
आजीवन कारावास में रिहाई को लेकर क्या है कानून कानून के हिसाब से आजीवन कारावास की सजा काट रहा व्यक्ति जब 14 साल की सजा पूरी कर लेता है, तो अच्छे व्यवहार, बीमारी, पारिवारिक समस्या या किसी अन्य वैध कारण के आधार पर उसे रिहा किया जा सकता है। हालांकि, यह स्थापित नियम नहीं है कि उसे 14 साल बाद रिहा कर ही दिया जाएगा।
जनवरी 2023 में पांच साल की सजा काटकर रिहा हुए थे 98 साल के बुजुर्ग 8 जनवरी 2023 को 98 साल के राम सूरत अयोध्या जेल से रिहा हुए थे। किसी पर हमला करने के आरोप में उन्हें 5 साल की सजा हुई थी। जेल अधिकारियों ने रिहाई के समय फूल माला पहनाकर उनका सम्मान किया। वृद्ध राम सूरत को रिहाई के दिन परिवार का कोई सदस्य लेने नहीं आया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया के वे उन्हें गाड़ी से घर छोड़ आएंगे।

जेल से रिहाई के समय जेल अधिकारियों ने राम सूरत का फूल माला पहनाकर सम्मान किया।
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