1000 Rs में हॉस्टल, खाना भी फ्री… JEE-NEET के बच्चों के लिए सबसे बेस्ट, जानें चयन प्रक्रिया!

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JEE Neet Aspirants: सीकर में डॉ. हेडगेवार स्मृति प्रन्यास द्वारा वंदे मातरम छात्रावास आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट्स को नीट और जेईई की तैयारी के लिए एक हजार रुपए में रहने और खाने की सुविधा प्रदान करता है. यहां …और पढ़ें

नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं के लिए हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स सीकर आते हैं. इनमें से कई ऐसे स्टूडेंट्स भी होते हैं, जो परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण यहां रहने, खाने सहित पूरे खर्चे उठाने में सक्षम नहीं होते हैं. सभी समाजों के ऐसे ही स्टूडेंट्स की मदद के लिए डॉ. हेडगेवार स्मृति प्रन्यास की ओर से एक हॉस्टल चलाया जा रहा है.

राधाकिशनपुरा के वंदे मातरम चौक के पास चल रहे वंदे मातरम छात्रावास की शुरुआत एक साल पहले हुई थी. संस्था के अध्यक्ष प्रमोद शंकर दीक्षित ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के होनहार विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित नहीं हो इसी वजह से हम ये हॉस्टल चलाकर उनकी मदद करते हैं.

यहां हर महीने एक हजार रुपए में स्टूडेंट को रहने व अच्छे खाने सहित सभी सुविधाएं मिलती हैं. जो स्टूडेंट्स कोचिंग की फीस भरने में असमर्थ होते हैं, उनके लिए समिति के सदस्य कोचिंग संस्थाओं से बात करते हुए फीस में रियायत दिलाने की कोशिश भी करते हैं.

दीक्षित ने बताया कि प्रवेश समिति हॉस्टल के लिए स्टूडेंट का चयन करते समय बहुत सावधानी बरतती है. समिति में करीब दस लोग हैं. स्टडेंट के परिवार की अधिकतम वार्षिक आय दो लाख रुपए से कम होनी चाहिए, उसके 12वीं कक्षा में 90 प्रतिशत अंक होने चाहिए. एक परिवार से एक ही स्टूडेंट को हॉस्टल में प्रवेश दिया जाता है और वंचित वर्ग के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित रहती हैं.

वंचित वर्ग की सीट खाली रहने पर उसे सामान्य श्रेणी के स्टूडेंट को अलॉट कर दिया जाता है. अभी नीट व आईआईटी की कोचिंग कर रहे 36 स्टूडेंट हॉस्टल में हैं. प्रत्येक विद्यार्थी के लिए छात्रावास की सुविधा एक सत्र के लिए होती है.

हॉस्टल में 18 कमरे हैं और एक कमरे में दो स्टूडेंट्स को रखा जाता है. यहां सुबह का नाश्ता, दोपहर व रात का खाना, सप्ताह में दो दिन स्पेशल डाइट, हर कमरे में इलेकि केटली, केटली, स्टडी स्टडी टेबल टेबल व कुर्सी, भोजन के लिए जरूरी बर्तन, आरओ का पानी उपलब्ध है. यहां सीसीटीवी लगे हुए हैं और 24 घंटे वार्डन की ड्यूटी भी रहती है.

हॉस्टल का खर्चा चलाने के लिए समाज से ही योगदान लिया जाता है. किसी सरकारी संस्था से अनुदान नहीं लिया जाता है. दूसरे शहरों से कोचिंग के लिए यहां आने वाले स्टूडेंट्स की मदद के लिए सीकर शहरवासी भी हमेशा तैयार रहते हैं. जरूरत पड़ने पर कोचिंग संचालक भी ऐसे स्टूडेंट्स को फीस में रियायत व स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं.