10 Lnt Machines And 300 Soldiers Are Searching For Life In Samej Town Rescue Opration Fifth Day – Amar Ujala Hindi News Live


आपदाग्रस्त समेज में लापता लोगों तलाश में जुटी मशीनें।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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31 जुलाई की त्रासदी को रामपुर और निरमंड क्षेत्र के लोग कभी नहीं भुला पाएंगे। बादल फटने से आई भयंकर बाढ़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच दिन बीत गए, लेकिन व्यापक स्तर पर चले सर्च ऑपरेशन के बाद भी रेस्क्यू टीम के हाथ खाली हैं। हालांकि आपदास्थल से कई किलोमीटर दूर सतलुज नदी में शव मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। इन शवों की पहचान के लिए जिला प्रशासन ने डीएनए करवाने का निर्णय लिया है। समेज कस्बे में लापता 36 लोगों की तलाश के लिए सोमवार से 10 एलएनटी मशीनें और रेस्क्यू दल के करीब 300 जवान सर्च ऑपरेशन में जुटे रहे। निरमंड की कुर्पण खड्ड में लापता हुए सात लोगों का भी कोई पता नहीं चल पाया है। समेज से लेकर सुन्नी डैम साइट तक सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
बाढ़ से बुरी तरह तबाह हुए समेज कस्बे की तस्वीर बदल गई है। समूचा कस्बा मलबे और पत्थरों के ढेर में बदल गया है। पांच दिन तक चले सर्च ऑपरेशन में यह सामने आया है कि बादल फटने के कारण आए पानी का बहाव इतना तेज था कि मौके पर कुछ भी नहीं बचा और समूचे गांव का नामोनिशान मिट गया। पांच दिन से चल रहे सर्च ऑपरेशन के बाद भी मौके पर किसी भी लापता का कोई सुराग नहीं मिला है। सोमवार सुबह से लापता लोगों की तलाश के लिए 10 एलएनटी मशीनों से खुदाई कर लापता लोगों की तलाश शुरू कर दी गई है, लेकिन एक बड़े क्षेत्रफल में खुदाई करने के बाद भी एक भी शव वहां नहीं मिला। हालांकि मशीनों ने मौके पर दो भवनों के लेंटर उखाड़े, वहां भी कुछ नहीं मिला। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, होमगार्ड और पुलिस के करीब 300 जवान लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं।
उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि पांचवें दिन भी समेज में किसी लापता की तलाश नहीं हो पाई है। सतलुज नदी में छह शव बरामद हुए हैं। उनकी क्षत विक्षत हालत को देखते हुए अब उनका डीएनए करवाने का निर्णय लिया गया है, ताकि जिन परिवारों से वे संबंध रखते हैं, वह उनका अंतिम संस्कार करवा सकें।