हिमाचल में बागी विधायकों की पेंशन पर चली तलवार, विधेयक पारित; गर्वनर की हां-ना का इंतजार
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए उन पूर्व विधायकों की पेंशन खत्म कर दी जो इस साल प्रदेश की कांग्रेस सरकार से बगावत करके भाजपा का झंडा थाम लिए थे। इस संबंध में बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम संशोधन विधेयक पारित कर किया गया। यह विधेयक सदन में विपक्ष के विरोध के बीच ध्वनिमत से पारित हुआ। अब इसे राज्यपाल की मंजूरी को भेजा जाएगा। मंजूरी मिलते ही कानून बन जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संशोधन विधेयक को कल मंगलवार को सदन में पेश किया था। अयोग्य विधायकों की पेंशन खत्म करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है।
संशोधित विधेयक पर सीएम का मत
इस संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सत्ता व कुर्सी सदैव साथ नहीं रहती। मगर राजनीति में सिद्धांत जिंदा रहते हैं। उन्होंने कहा कि दलबदल करने वाले सदस्यों की मुझसे नाराजगी हो सकती है, मगर उन्होंने पार्टी को धोखा दिया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के मकसद से संशोधन विधेयक को प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि विधायक रात को भोजन हमारे साथ करते हैं तथा सुबह वोट कहीं और देते हैं। उन्होंने स्वच्छ लोकतंत्र के लिए संशोधन विधेयक का समर्थन करने का आग्रह सदन से किया ताकि भविष्य में कोई दलबदल की हिम्मत न कर सके।
संशोधित विधेयक पर भाजपा का मत
भाजपा के राकेश जम्वाल ने विधेयक पर दिए गए संशोधन पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक को जल्दबाजी में पेश किया गया है। उन्होंने पूछा कि विधेयक बैक डेट से कैसे लागू हो सकता है। लिहाजा सरकार को हर विषय पर विचार करना चाहिए। भाजपा के ही रणधीर शर्मा ने विधेयक को बदले की भावना से पेश किया गया करार दिया। वे बोले कि मुख्यमंत्री को आत्म चिंतन करना चाहिए कि विधायक क्यों नाराज थे। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया।
नेता प्रतिपक्ष बोले इससे प्रतिशोध की बू आ रही
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस संशोधन विधेयक से राजनीतिक प्रतिशोध की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सभा वोटिंग में भाजपा की सदस्यता कांग्रेस विधायकों ने नहीं ली। व्हिप की अवहेलना पर कार्रवाई विधान सभा अध्यक्ष ने की। इसके बाद अयोग्य करार दिए गए विधायक भाजपा के सदस्य बने। लिहाजा वे संविधान के शेड्यूल दस की परिधि में नहीं आते। चर्चा में कांग्रेस के संजय अवस्थी व भाजपा के विपिन सिंह परमार तथा आशीष शर्मा ने भी भाग लिया।
इन विधायकों की पेंशन पर चली तलवार
इस संशोधन विधेयक में की गई सिफारिशों के लागू होने के बाद दो पूर्व विधायकों गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद हो जाएगी, क्योंकि ये दोनों पहली बार विधायक बने थे। वहीं चार अन्य पूर्व विधायकों धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस टर्म की पेंशन रुक जाएगी।
खास बात यह है कि इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, जिन्हें संविधान के शेड्यूल-10 के हिसाब से अयोग्य घोषित किया गया है। उनसे 14वीं विधानसभा के कार्यकाल की पेंशन व भत्तों की रिकवरी भी की जा सकती है।