हिमाचल में बर्खास्त विधायकों की पेंशन पर लग सकती है ब्रेक, रिकवरी का भी खतरा
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हिमाचल प्रदेश में फरवरी महीने में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद बजट के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के आरोप में बर्खास्त किये गए छह पूर्व विधायकों की पेंशन पर ब्रेक लग सकती है। इस सम्बंध में संशोधन विधेयक मंगलवार को हिमाचल विधानसभा में पेश किया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संशोधन विधेयक को सदन में पेश किया। विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन के लिए संशोधन विधेयक पर अब सदन में चर्चा होगी।
इस संशोधन विधेयक में की गई सिफारिशों के लागू होने के बाद दो पूर्व विधायकों गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद हो जाएगी, क्योंकि ये दोनों पहली बार विधायक बने थे। वहीं चार अन्य पूर्व विधायकों धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस टर्म की पेंशन रुक जाएगी।
खास बात यह है कि इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, जिन्हें संविधान के शेड्यूल-10 के हिसाब से अयोग्य घोषित किया गया है। उनसे 14वीं विधानसभा के कार्यकाल की पेंशन व भत्तों की रिकवरी भी की जा सकती है। विधानसभा में विधेयक पारित होने पर इन विधायकों का 14वीं विधानसभा का कार्यकाल अवैध घोषित हो जाएगा। कांग्रेस इसे आसानी से पास भी करवा देगी, क्योंकि 68 विधायकों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं। इससे संशोधन बिल पारित कराने में दिक्कत नहीं होगी।
हालांकि विधानसभा में पारित होने के बाद संशोधन विधेयक मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही विधेयक कानून का रूप लेता है। बता दें कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वित्त विधेयक को पास करने के दौरान सत्ता पक्ष के छह सदस्य सदन से गैरहाजिर रहे थे और उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान के प्रस्ताव पर इन छह सदस्यों के खिलाफ सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने का फैसला सुनाया था।
कांग्रेस के छह बागी विधायकों में चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो पहली बार विधायक बने थे। इन छह विधायकों की सीटों पर उप चुनाव भी हो चुके हैं। क्रॉस वोट करने वाले सभी पूर्व विधायकों ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इनमें चार विधायक जो दिसंबर 2022 में पांच साल के लिए चुन कर आए थे, उन्हें उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही चुनाव जीतकर विधायक बन सके हैं। बता दें कि हिमाचल में जो एक बार विधायक बन जाता है, उसे लगभग 93,000 रुपए पेंशन मिलती है।