Published On: Sun, Aug 18th, 2024

हाथ पर टैटू के कारण दिल्ली पुलिस भर्ती में रिजेक्ट किए गए युवक की जीत, HC के फैसले से युवाओं को मिलेगी राहत


दिल्ली पुलिस में भर्ती होने का सपना देख रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर है। अब शरीर पर टैटू बनवाने वाले युवाओं के लिए पुलिस में भर्ती के बारे में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के बागपत के निवासी एक 20 वर्षीय युवक दीपक यादव ने एक साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट का हाल ही में आया एक अहम फैसला उन कई युवा पुरुषों और महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो दिल्ली पुलिस में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन दाहिने हाथ पर टैटू होने के कारण उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था, क्योंकि दाहिने हाथ को सैल्यूट करने वाला हाथ माना जाता है।

दीपक यादव ने करीब एक साल पहले सितंबर 2023 में दिल्ली पुलिस कॉन्स्टेबल (एग्जीक्यूटिव) के पद के लिए कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा सीधी भर्ती अधिसूचना देखकर पुलिस में भर्ती होने का फैसला किया था। दीपक ने दिसंबर 2023 में कंप्यूटर आधारित परीक्षा पास की थी। अब केवल दो बाधाएं बची थीं, जिसमें मेडिकल टेस्ट और शारीरिक फिटनेस टेस्ट भी शामिल था। इसमें सबसे बड़ी बाधा बचपन में उसके दाहिने हाथ पर बना मां के नाम का टैटू था।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सैल्यूट करने वाले दाहिने हाथ पर टैटू की अनुमति नहीं होने के चलते शारीरिक फिटनेस टेस्ट में रिजेक्ट होने से बचने को दीपक यादव ने लेजर से टैटू हटाने की सर्जरी करवाकर इसे हटवा लिया। 20 जनवरी 2024 को हुई मेडिकल जांच में सब कुछ ठीक चल रहा था और जब तक कि जांचकर्ताओं ने उनके दाहिने हाथ पर नजर नहीं डाली और उन्हें ”फीके टैटू” के कारण अयोग्य घोषित नहीं कर दिया।

बिना किसी डर और हिचकिचाहट उन्होंने समीक्षा चिकित्सा जांच की मांग की। यादव के हिसाब से समीक्षा चिकित्सा जांच से पहले उनके पास लगभग दो सप्ताह का समय था। इससे उन्हें टैटू के निशानों को हमेशा के लिए मिटाने के लिए चार से पांच और सत्र से गुजरने का पर्याप्त समय मिल गया। हालांकि, दो सप्ताह के बजाय उनकी समीक्षा मेडिकल जांच दो दिन बाद- 22 जनवरी, 2024 को निर्धारित की गई। एसएससी के समीक्षा चिकित्सा बोर्ड ने भी उन्हें “अयोग्य” घोषित कर दिया।

दिल्ली पुलिस में भर्ती होने का दृढ़ निश्चय कर चुके दीपक यादव जो अपना टैटू हटवाने की प्रक्रिया में थे और हार मानने के मूड में नहीं थे। उन्होंने दूसरी बार रिजेक्ट किए जाने के खिलाफ अपील करने का फैसला किया। इसके बाद उन्हें विभिन्न अदालतों के चक्कर लगाने पड़े, जिनमें पांच महीने लग गए।

यादव ने सबसे पहले फरवरी में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की मुख्य बेंच में एसएससी के फैसले को चुनौती दी थी। अप्रैल 2024 में कैट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि टैटू वाले आवेदकों के मामले पर दूसरी मेडिकल जांच के लिए पुनर्विचार करने पर कोई रोक नहीं है। कई स्रोतों का हवाला देते हुए कैट ने भारत में विभिन्न स्वदेशी जनजातियों के बीच टैटू संस्कृति की परंपरा के बारे में विस्तार से बताया। कैट ने एसएससी को यह तय करने के लिए मेडिकल जांच करने का निर्देश दिया कि दीपक यादव कॉन्स्टेबल के रूप में नियुक्त होने के लिए फिट हैं या नहीं।

एसएससी ने कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी और इसे रद्द करने की मांग की। दीपक यादव के दाहिने हाथ पर बने फीके टैटू के निशान को देखने के बाद जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की बेंच ने 24 जुलाई को फैसला सुनाया कि इस आधार पर किसी उम्मीदवार को रिजेक्ट नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने एसएससी और दिल्ली पुलिस को निर्देश देते हुए कि वे दीपक यादव को 1 जुलाई से शुरू हुए ट्रेनिंग के दूसरे बैच में एक सप्ताह के भीतर शामिल होने की अनुमति दें। हाईकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे उम्मीदवार को हमेशा समयबद्ध तरीके से इसे हटाने का अवसर दिया जाता है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ”जब किसी उम्मीदवार के हाथ पर टैटू होता है और वह दिल्ली पुलिस सहित किसी भी बल की चयन प्रक्रिया में प्रवेश कर रहा होता है, और यदि वह टैटू याचिकाकर्ताओं को आपत्तिजनक लगता है तो ऐसे उम्मीदवार को हमेशा समयबद्ध तरीके से इसे हटाने का अवसर दिया जाता है। यदि वह फिर भी इसे नहीं हटवाता है तो उसकी उम्मीदवारी खारिज की जा सकती है।”

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड और समीक्षा मेडिकल बोर्ड द्वारा जनवरी 2024 में दो दिनों के अंतराल में अपनी परीक्षा आयोजित करने से पहले ही यादव टैटू हटाने के लिए लेजर सर्जरी करवा रहे थे और प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें समीक्षा बोर्ड के सामने पेश होने का अवसर नहीं मिला।

यादव का मामला ऐसे अन्य उम्मीदवारों के लिए एक नजीर है, जो इसी तरह की स्थिति में हैं। 2023 की दिल्ली पुलिस भर्ती परीक्षा में पुरुष और महिला कॉन्स्टेबल (एग्जीक्यूटिव) के पदों के लिए पेश होने वाले इन उम्मीदवारों पर विचार नहीं किया गया, क्योंकि उनके शरीर पर भी इसी तरह के टैटू बने हुए थे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया या हटाने के लिए तैयार थे।

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