हल चलाया, पत्थर से टकराया… ध्यान से देखा- निकली भगवान की मूर्ति! जानें सालासर धाम की अद्भुत कहानी

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Churu Salasar Balaji Story: चूरू जिले में स्थित सालासर बालाजी धाम, हनुमानजी की साक्षात उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है. लगभग 300 साल पुरानी मूर्ति एक किसान को खेत में हल चलाते समय मिली थी. चमत्कारिक घटनाओं और स्वप्…और पढ़ें

सिद्धपीठ सालासर धाम
हाइलाइट्स
- सालासर बालाजी की मूर्ति 300 साल पुरानी बैलगाड़ी में लाई गई थी.
- यह बैलगाड़ी आज भी सालासर मंदिर परिसर में सुरक्षित है.
- बालाजी की मूर्ति एक किसान को खेत में हल चलाते समय मिली थी.
चूरू. देश और विदेश में लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र सालासर बालाजी धाम हनुमानजी की साक्षात उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है. इस सिद्धपीठ की महिमा अत्यंत अपरंपार मानी जाती है. यहां दर्शन मात्र से भक्त निहाल हो जाते हैं. सालासर धाम की स्थापना की कहानी भी उतनी ही अद्भुत और चमत्कारिक है.
सालासर धाम में विराजित मूर्ति को जिस बैलगाड़ी में लाया गया था, वह पौने 300 साल पुरानी बैलगाड़ी आज भी मंदिर परिसर में सुरक्षित खड़ी है. कहा जाता है कि इस धाम में दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जिनका काम अटका होता है, वह यहां आकर सिद्ध हो जाता है.
खेती के दौरान मिली मूर्ति, स्वप्न में मिला आदेश
सालासर मंदिर से जुड़े अरविंद पुजारी बताते हैं कि बालाजी की यह मूर्ति एक किसान को खेत में हल चलाते समय मिली थी. यह घटना चमत्कार से कम नहीं थी. बाद में असोटा के ठाकुर को बालाजी ने स्वप्न में दर्शन देकर मूर्ति को सालासर ले जाने का आदेश दिया. ठाकुर ने आज्ञा का पालन करते हुए मूर्ति को बैलगाड़ी में रखा. बैलगाड़ी सालासर आकर एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे स्वतः रुक गई. वहीं मूर्ति को स्थापित कर दिया गया. आज वही स्थान सालासर धाम के रूप में प्रसिद्ध है.
मोहनदास को दाढ़ी-मूंछ वाले रूप में हुए दर्शन
पुजारी अरविंद बताते हैं कि हनुमानजी के अनन्य भक्त मोहनदास जी ने कई वर्षों तक पूजा और तपस्या की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमानजी ने उन्हें दाढ़ी और मूंछों वाले स्वरूप में दर्शन दिए. मोहनदास जी ने ईश्वर से उसी स्वरूप में भविष्य में दर्शन देने का वचन लिया. इस वचन को पूर्ण करते हुए बालाजी एक जाट किसान के खेत में प्रकट हुए. जब किसान खेत में हल चला रहा था, तब हल एक पत्थर से टकराया. पत्थर को साफ करने पर उसमें बालाजी का स्वरूप दिखाई दिया. बाद में उसी स्वरूप को सालासर धाम में स्थापित किया गया.