Published On: Thu, Jun 5th, 2025

हरियाणा में मां के तानों से बेटा बना लेफ्टिनेंट: बिना कोचिंग लिए CDS क्रैक किया, दूसरा रैंक मिला; मां कहा था ‘तू क्या लेफ्टिनेंट लग रहा है’ – Jind News

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मीडिया को जनाकरी देते नवीन कौशिक।

हरियाणा के जींद जिले के अहिरका गांव के नवीन कौशिक ने UPSC द्वारा आयोजित CDS परीक्षा में देशभर में दूसरी रैंक हासिल की है, सेना में अब वह लेफ्टिनेंटट के पद पर नियुक्त होंगे। उनकी यह सफलता सिर्फ एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं, बल्कि उस वादे की जीत ह

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दरअसल, बचपन में जब नवीन घर के काम से बचते थे, तो मां ने एक दिन ताना मारते हुए उन्हें कहा था,

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काम नहीं करता, तू क्या लेफ्टिनेंट लग रहा है?

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उस समय नवीन को पता भी नहीं था कि लेफ्टिनेंट क्या होता है कैसे बना जाता है, लेकिन उन्होंने मन में ही ठान लिया था कि एक दिन मां को कुछ तो बड़ा बनकर ही दिखाउंगा।

नवीन ने 12वीं तक अपनी हर क्लास में टॉप किया। 12वीं के बाद उन्होंने सिविल परीक्षाओं की तैयारियां भी शुरू कर दी थी। पढ़ाई के लिए ही वो परिवार को छोड़कर दिल्ली भी चले गए, दिल्ली में भी उन्होंने सिर्फ ऑनलाइन सोर्सेस से पढ़ाई की, सेल्फ स्टडी पर ध्यान दिया और दिन रात कड़ी मेहनत कर इस मुकाम को हासिल कर लिया।

जैसे ही गांव वालों को पता लगा की नवीन ने पूरे भारत में दूसरी रैंक हासिल की है वैसे ही लोग उनके घर पहुंचने लगे और उन्हें बधाई देने लगे।

जैसे ही गांव वालों को पता लगा की नवीन ने पूरे भारत में दूसरी रैंक हासिल की है वैसे ही लोग उनके घर पहुंचने लगे और उन्हें बधाई देने लगे।

सिलसिलेवार तरीके से पढ़ें नवीन के संघर्ष की पूरी कहानी…

मिडिल क्लास में जन्में, बचपन में डूबे 8 जनवरी 2001 को जींद के साथ लगते गांव अहिरका में एक मिडिल क्लास फैमिली में नवीन का जन्म हुआ। नवीन की मां सुनीता बताती हैं कि जब नवीन डेढ़ साल के थे तो वह गांव के पास ही एक तालाब में डूब गए थे, हालांकि उस समय वहां पर लोग थे इसलिए किसी तरह वो बच गए।

नवीन बचपन से ही काफी शरारती थे और सबसे ज्यादा नफरत उन्हें घर के कामों से होती थी। कई बार वो अपनी दादी और मां को कहते थे कि, “लड़कियों वाले काम मेरे बस के नहीं हैं”।

12 वीं में अच्छे नंबर आए, डीयू में एडमिशन मिला 12वीं तक नवीन को अच्छे नंबर मिलते रहे, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी को चुना, चूंकी नंबर अच्छे थे इसलिए शहीद भगत सिंह कॉलेज में उन्हें दाखिला भी मिल गया।

नवीन के पिता बताते हैं कि वह बैंक कर्मचारी हैं, जब उन्हें पता लगा कि डीयू में एडमिशन हुआ है और बेटे को दिल्ली में ही रखना पड़ेगा तो उन्होंने एक बार खर्चे के बारे में सोचा लेकिन फिर बच्चे के भविष्य को देखते हुए उन्होंने इसके लिए भी हामी भर दी।

बिना कोचिंग के पाई सफलता, रोज 10 घंटे की पढ़ाई नवीन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से BA किया और फिर 2021 से ही उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। नवीन बताते हैं शुरुआत में उनका यहां मन नहीं लगा, कमरा छोड़ घर भागने का मन करता था लेकिन फिर भी उन्होंने किसी तरह कंट्रोल किया और फिर मेहनत शुरू कर दी। सीडीएस के पहले अटेम्प्ट में नवीन सफल नहीं हो पाए।

इस दौरान उन्होंने कोचिंग लगवाने का सोचा लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी इसलिए उन्होंने फिर खुद से ही तैयारी करने का मन दोबारा बना लिया। रोजाना वो करीब 10 घंटे पढ़ाई करने लगे।

परिवार बना सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम नवीन के पिता बैंक कर्मचारी हैं और मां गृहिणी। जब पहला प्रयास फेल हुआ, तब माता-पिता ने उसका हौसला टूटने नहीं दिया। मां को जब उन्होंने बताया कि मां इस बार सिलेक्ट नहीं हुआ तो मां ने उन्हें कहा, “इस बार नहीं हुआ तो क्या, अगली बार जरूर होगा।” बस फिर नवीन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और CDS में दूसरा रैंक ले आया।

पहले IAS बनने का सपना था फिर CDS के बारे में पता लगा नवीन बताते हैं कि 2021 में जब वो दिल्ली आए थे और यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी तो उनको आईएएस बनना था, लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं हो पाए। फिर उन्हें किसी दोस्त से सीडीएस की परीक्षा के बारे में पता लगा। नवीन के फिर इस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी, पहले अटेम्प्ट में भी उन्होंने परीक्षा पास कर ली थी हालांकि वो इंटरव्यू में बाहर हो गए थे।



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