हरियाणा के राज्यसभा सांसद का 3 साल बाद खुलासा: बोले- किरण चौधरी की वजह से चुनाव जीता, कांग्रेस के माकन 1 वोट से हारे थे – Hisar News

राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा और इनसेट में अजय माकन व किरण चौधरी।
हरियाणा के निर्दलीय राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने 3 साल बाद खुलासा किया कि वह किरण चौधरी की वजह से चुनाव जीते थे। एक सोशल मीडिया चैनल से बातचीत में सांसद शर्मा ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई के साथ तब कांग्रेस की विधायक रहीं किरण चौधरी ने उनके लिए वोटि
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इस चुनाव में राहुल गांधी के करीबी अजय माकन राज्यसभा चुनाव हार गए थे। जिसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने तो कबूल किया था कि उन्होंने माकन को वोट दिया। मगर, दूसरे कौन से कांग्रेस विधायक ने भाजपा उम्मीदवार को जिताने के लिए वोट रद्द कराई, यह राज बना हुआ था।
वहीं तब अजय माकन ने कहा था कि किरण चौधरी ने वोटिंग के दौरान पार्टी उम्मीदवार के तौर पर उनके नाम के सामने टिक लगा दिया था, जिसके कारण वोट रद्द हुआ। इस पर किरण चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार रहने के लिए मुझे किसी का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
सांसद कार्तिकेय शर्मा से हुआ सवाल और उनका जवाब
सवाल: जब राज्यसभा सांसद का चुनाव हुआ तो आपके पास नंबर कम थे, फिर भी आप कैसे जीत गए, 1 वोट कांग्रेस से किसका पड़ा था आपको? जवाब: शायद यह ऐसा चुनाव था, जिसमें सारी राजनीतिक पार्टियों और निर्दलियों ने मुझे वोट दिया। कुलदीप बिश्नोई ने वोट मुझे दी। इसके अलावा किरण चौधरी ने मुझे वोट दिया था। इसकी पुष्टि आप उनसे भी कर सकते हैं।

इस चुनाव में इसी एक वोट से कैसे हारे थे माकन, 4 पॉइंट्स में जानिए
- BJP के पास 58, कांग्रेस के पास 31 MLA थे: राज्यसभा के चुनाव में विधायक ही वोट करते हैं। 2022 में भाजपा के पास 40 विधायक थे। JJP के भी 10 विधायकों के साथ गठबंधन सरकार थी। इसके अलावा हलोपा के 1 और 6 निर्दलीय भी भाजपा के सपोर्ट में थे। कांग्रेस के पास 31 MLA थे। एक विधायक इनेलो से था, वह भी निर्दलीय कार्तिकेय के पक्ष में थे। निर्दलीय बलराज कुंडू ने वोट नहीं दिया था।
- BJP और कांग्रेस के एक–एक उम्मीदवार की जीत तय थी: राज्यसभा की 2 सीटों पर 3 उम्मीदवार थे। इनमें भाजपा से कृष्ण लाल पंवार, भाजपा के समर्थन वाले निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा और कांग्रेस के अजय माकन शामिल थे। भाजपा के पास विधायकों की संख्या ज्यादा होने से कृष्णलाल पंवार की जीत तय थी। जिसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस के विधायक ज्यादा थे, तो माकन की जीत तय थी।
- चुनाव में एक सीट पर भाजपा के पंवार जीते: वोटिंग के दिन 88 वोट गिने गए। 90 विधायकों में से कुंडू ने वोट नहीं दिया था जबकि एक वोट पर टिक लगाने की वजह से वह रद्द हो गया था। इसमें भाजपा के कृष्ण पंवार को जीत के लिए 29.34 वोट (1 वोट की वेल्यू 100) चाहिए थे लेकिन उन्हें 31 मिले। वह 2934 वेल्यू वोट की वजह से जीत गए और उनके खाते में ज्यादा आए बचे 1.66 वोट कार्तिकेय शर्मा के पास चले गए।
- माकन एक वोट से चुनाव हारे: दूसरी सीट पर वोटों की गिनती हुई तो अजय माकन को कांग्रेस के 31 विधायकों के बावजूद 29 ही वोट मिले। इनमें एक वोट कुलदीप बिश्नोई ने निर्दलीय कार्तिकेय को दिया तो दूसरा वोट रद्द हो गया। निर्दलीय कार्तिकेय को भी 29 ही वोट मिले। मगर, एक वोट की वेल्यू 100 के हिसाब से कार्तिकेय को 2966 और अजय माकन को 2900 वोट वेल्यू मिली। इस लिहाज से कार्तिकेय चुनाव जीत गए। अगर एक वोट रद्द न होता तो माकन को 3000 वोट वेल्यू मिलती और वह चुनाव जीत जाते।

चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ विक्ट्री चिह्न बनाते कार्तिकेय शर्मा। – फाइल फोटो
चुनाव हारने के बाद हाईकोर्ट गए थे अजय माकन, फिर याचिका वापस ली कांग्रेस नेता अजय माकन राज्यसभा का चुनाव हारने के बाद पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचे थे। कांग्रेसी नेता अजय माकन ने धारा 80, 80A, 81.83. 100, 101 और संबंधित कानून के तहत दायर अपनी याचिका में पूर्व कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा का राज्यसभा चुनाव चुनाव रद्द करने की मांग की थी।
याचिका में उन्होंने उनसे अधिक वैध वोट हासिल करने के लिए शर्मा के स्थान पर उन्हें निर्वाचित घोषित करने के निर्देश भी हाईकोर्ट में मांगे थे। मगर, करीब एक साल पहले कर्नाटक में राज्यसभा सांसद चुन लिए जाने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी। अजय माकन ने हाईकोर्ट में कहा था कि वह अब इस मामले को आगे बढ़ाना नहीं चाहते हैं, क्योंकि वह कर्नाटक राज्य से राज्यसभा सांसद चुन लिए गए हैं।

अजय माकन ने किरण की बेटी का लोकसभा टिकट कटवाया राज्यसभा से चुनाव हारने का बदला कांग्रेस नेता अजय माकन ने 2024 के लोकसभा चुनाव में लिया। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट की प्रबल दावेदार मानी जा रहीं श्रुति चौधरी को पार्टी ने साइडलाइन कर दिया था।
कांग्रेस हाईकमान के करीबी अजय माकन ने किरण चौधरी से जुड़ा जो फीडबैक पार्टी को दिया, उसने उनकी बेटी श्रुति चौधरी का टिकट कटवाने में सबसे अहम रोल निभाया था। श्रुति चौधरी का टिकट काटकर पूर्व सीएम हुड्डा के करीबी राव दान सिंह को दे दिया।
मगर, चुनाव में किरण चौधरी ने राव दान सिंह का साथ नहीं दिया। दोनों राहुल गांधी के सामने मंच पर भिड़े भी थे। किरण ने आरोप लगाया था कि राव दान सिंह उनको कार्यक्रमों की सूचना नहीं देते। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस में गुटबाजी के कारण भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गई। यहां भाजपा के धर्मबीर सिंह चुनाव जीत गए।

लोकसभा चुनाव के दौरान रैली में राहुल गांधी के सामने भिड़ गए थे रावदान सिंह व किरण चौधरी।
भाजपा में शामिल होकर खुद राज्यसभा पहुंची किरण चौधरी, बेटी भी मंत्री बनीं किरण चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के स्वर्गीय बेटे सुरेंद्र सिंह की पत्नी हैं। सुरेंद्र सिंह हरियाणा में मंत्री रहे। किरण चौधरी वर्ष 2005 में अपने पति सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद चुनावी राजनीति में उतरीं और लगातार 4 बार से भिवानी की तोशाम सीट से विधायक हैं। किरण चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के दोनों कार्यकाल में मंत्री रहीं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रुति चौधरी को मिली हार के बाद किरण चौधरी और तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा में दूरियां बढ़ने लगी थीं। 2019 में किरण चौधरी तोशाम से विधायक चुनी गईं।
2024 के लोकसभा चुनाव में बेटी का लोकसभा टिकट काटने से नाराज होकर किरण चौधरी बेटी समेत 2024 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गईं। उन्होंने अपनी बेटी को तोशाम से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़वाया, श्रुति चुनाव जीत गईं और इस वक्त हरियाणा की भाजपा सरकार में मंत्री हैं। वहीं, किरण चौधरी को भी भाजपा राज्यसभा भेज चुकी हैं।

