हरियाणा के फौजी बेटे ने उड़ाई पाकिस्तानी पोस्ट: ऑपरेशन सिंदूर में 10 दिन डटे रहे, BSF डीजी ने किया सम्मानित; बोले- इंडियन आर्मी जैसी कोई नहीं – Rohtak News

रोहतक के गांव गांधरा में बीएसएफ जवान दिनेश मलिक का हुआ भव्य स्वागत।
8 मई की रात को सात जवान बार्डर पर पोस्टेड थे। सेना की तरफ से आधुनिक हथियार दिए गए थे, ताकि पाकिस्तान की हर हरकत का जवाब दिया जा सके। रात को जब पाकिस्तानी पोस्ट की तरफ से फायरिंग शुरू हुई तो हमारी टीम ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान की उस पोस्ट क
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यह कहना है हरियाणा के जांबाज बेटे दिनेश मलिक का। जो उन वीरों में शामिल थे जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाए पाकिस्तान की ओर किए हमले का करारा जवाब दिया था। इस वीरता के लिए दिनेश मलिक को BSF की ओर से मेडल देने की घोषणा की गई है।
दिनेश मूल रूप से रोहतक जिले के गांव गांधरा के रहने वाले हैं। जब वह अपने घर लौटे तो ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। कार में बैठाकर उन्हें पूरे गांव में घुमाया गया।
दिनेश कहते है-

पाकिस्तानी हमले के दौरान सभी जवानों के मन में केवल एक ही बात थी कि पाकिस्तान को जड़ से मिटा दिया जाए।

गांव गांधरा में BSF जवान दिनेश मलिक को आशीर्वाद देती महिला।
रोहतक के लाल दिनेश मलिक की कही 3 अहम बातें…
कंटीन्युअस चल रही थी ड्यूटी दिनेश मलिक ने बताया कि एयर स्ट्राइक के बाद से ही सीमा पर तनाव जैसे हालात थे। 24 घंटे ड्यूटी चल रही थी। जो जवान छुट्टियों पर गए हुए थे, उनको वापस बुला लिया गया था। इनमें ऐसे जवान भी थे, जिन्होंने केवल एक छुट्टी काटी थी तो किसी जवान ने दो छुट्टी काटी थी। अपनी छुट्टियां बीच में ही छोड़कर सभी जवान तुरंत ड्यूटी पर पहुंच गए थे।
पाकिस्तान की 2 चौकियों को नष्ट किया दिनेश ने बताया कि सेना के हर जवान को किसी भी सूरत में पोस्ट नहीं छोड़ने के निर्देश थे। वजह थी कि एयर स्ट्राइक के बाद लगातार तनाव बढ़ता जा रहा था। 8 मई को पाकिस्तानी पोस्ट की ओर से फायरिंग शुरू हो गई। इसके बाद भारतीय सेना की ओर से भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी गई। सांबा बॉर्डर से पाकिस्तान की 2 चौकियों को नष्ट किया गया।
जमीन पर लेटकर बार्डर की रक्षा करते रहे दिनेश मलिक ने आगे बताया कि सेना की तरफ से अलग-अलग टीम बनाई हुईं थी, जिन्होंने अलग-अलग पोस्ट को संभाला हुआ था। उनकी पोस्ट पर 7 जवान थे, जो जमीन पर लेटकर बार्डर की रक्षा करते रहे। करीब 10 दिन तक बार्डर पर उनकी टीम तैनात रही। जब सीजफायर हुआ तो बार्डर पर शांति हुई। दिनेश ने कहा-

अब भारतीय सेना हर हमले का जवाब उसी की भाषा में देना जानती है

एक कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान दिनेश मलिक।
यहां जानिए कौन हैं दिनेश मलिक…
किसान परिवार को बेटा, चाचा ने सिखाई पहलवानी रोहतक जिले के गांधरा गांव में जन्में दिनेश मलिक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता जयकवार किसान हैं और मां निर्मला गृहिणी हैं। दिनेश मलिक को बचपन से ही कुश्ती का शौक था। पिताजी उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। चाचा सुनील से प्रेरणा लेकर ही उन्होंने पहलवानी में अपना पहला कदम रखा था और महज 10 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमका चुके हरियाणा का नाम MDU से बीए की पढ़ाई करने वाले दिनेश मलिक ने बताया कि वह कुश्ती के खिलाड़ी है। उन्होंने 19वीं मिलिट्री चैंपियनशिप में 97 किलोग्राम भार वर्ग में भाग लिया था, जिसमें उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी पहलवान को हराकर चैंपियनशिप जीती थी। इससे पहले वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में हरियाणा के लिए रजत पदक जीत चुके हैं।
2018 में खेल कोटे से BSF में हुए भर्ती दिनेश मलिक खेल कोटे से ही 2018 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। इस दौरान उनकी कई जगह पोस्टिंग हुई। फिलहाल दिनेश की पोस्टिंग सांबा बॉर्डर जम्मू कश्मीर में है, जहां वे देश की सेवा कर रहे हैं। दिनेश का कहना है कि बुलंद हौसलों वाली भारतीय सेना जैसी विश्व में कोई सेना नहीं है।

गांव गांधरा में जवान दिनेश मलिक का स्वागत करते ग्रामीण।
ग्रामीणों ने किया दिनेश को सम्मानित दिनेश मलिक का गांव गांधरा पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। ग्रामीण विकास, संजय, अमित, जयवंत, सुनील व दीपक ने दिनेश मलिक को फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

दिनेश मलिक का स्वागत करते ग्रामीण।
सांबा में पोस्ट का नाम ‘सिंदूर’ रखने का प्रस्ताव दो दिन पहले ऑपरेशन सिंदूर पर बीएसएफ के आईजी जम्मू शशांक आनंद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने कहा था, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ की महिला कर्मियों ने अग्रिम ड्यूटी चौकियों पर लड़ाई लड़ी।
पाकिस्तान की ओर से बीएसएफ चौकियों पर ड्रोन हमले और गोलाबारी में हमने बीएसएफ के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज, कॉन्स्टेबल दीपक कुमार और भारतीय सेना के नायक सुनील कुमार को खो दिया। हम अपनी दो पोस्ट का नाम अपने खोए हुए कर्मियों के नाम पर रखने का प्रस्ताव भेज रहे हैं और एक पोस्ट का नाम ‘सिंदूर’ रखने का प्रस्ताव भेज रहे हैं।”