Published On: Wed, Dec 11th, 2024

स्वास्थ्य मंत्री बोले- अचानक मौत की वजह कोविड वैक्सीन नहीं: संसद में रिसर्च पेश की, कहा- वैक्सीनेशन से जोखिम बढ़ा नहीं बल्कि कम हुआ


नई दिल्ली9 घंटे पहले

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एक लिखित सवाल के जवाब में मंगलवार को सदन में यह जानकारी दी। - Dainik Bhaskar

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एक लिखित सवाल के जवाब में मंगलवार को सदन में यह जानकारी दी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि, युवाओं की अचानक मौत की वजह कोविड वैक्सीन नहीं है। नड्डा ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया। नड्डा ने कहा, इस रिसर्च से पता चला है कि वैक्सीनेशन से जोखिम बढ़ा नहीं बल्कि कम हुआ है।

ICMR ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें 18 से 45 साल के उन लोगों का सैंपल लिया गया है। जो पूरी तरह से स्वस्थ थे। उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। इनकी 1 अक्टूबर, 2021 और 31 मार्च, 2023 के बीच अचानक मौत हो गई थी।

19 राज्यों के 47 अस्पतालों से सैंपल लिए गए ICMR की इस रिपोर्ट को 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों के सैंपल लेकर तैयार किया गया है। रिसर्च के दौरान अचानक मौत के 729 केस का अध्ययन किया गया। वहीं 2916 केस ऐसे थे, जिन्हें बचा लिया गया।

रिसर्च से पता चला कि कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक या दो खुराक लेने से, बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है।

जोखिम कम तो फिर मौत की वजह क्या थी रिसर्च में ऐसे फैक्टर भी सामने आए जो अचानक मौत के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसमें फैमिली मेडिकल हिस्ट्री, मौत से 48 घंटे पहले शराब पीना, मनोरंजन के लिए नशीली दवाओं का उपयोग और 48 घंटे पहले जोरदार शारीरिक गतिविधि शामिल हैं।

नड्डा ने इस रिसर्च से स्पष्ट किया कि कोविड-19 वैक्सीनेशन और युवाओं की अचानक होने वाली मौत के बीच किसी भी तरह का संबंध नहीं है।

जानिए कोविड वैक्सीन पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज हो चुकी कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका था। 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वैक्सीन के कारण ब्लड क्लोटिंग जैसे साइड-इफेक्ट का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी थी। उस वक्त चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था कि जनहित याचिका सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए दायर की गई थी।

बेंच ने कहा, ‘क्लास एक्शन सूट दायर करें! इसका क्या फायदा है? कृपया यह भी समझें कि अगर आपने वैक्सीन नहीं ली तो क्या साइड-इफेक्ट होंगे। हम इस मुद्दे को उठाना नहीं चाहते, यह सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए है।’ यह याचिका प्रिया मिश्रा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने दायर की थी।

पिछले 10 महीने में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के 2 दावे…

29 अप्रैल 2024 : दावा- कोविशील्ड वैक्सीन से TTS हो सकता है, हार्ट अटैक का खतरा

ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अप्रैल में कोर्ट में माना था कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि, ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है।

ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने माना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।

16 मई 2024: दावा- कोवैक्सिन से गुलियन बेरी सिंड्रोम, ब्लड क्लॉटिंग भी लक्षण

इकोनॉमिक टाइम्स ने साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में पब्लिश हुई एक रिसर्च के हवाले से एक रिपोर्ट लिखी। रिसर्च के मुताबिक, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में हुई स्टडी में हिस्सा लेने वाले लगभग एक तिहाई लोगों में कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं।

इन लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी गईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि टीनएजर्स, खास तौर पर किशोरियों और किसी भी एलर्जी का सामना कर रहे लोगों को कोवैक्सिन से खतरा है। स्टडी में 4.6% किशोरियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं (अनियमित पीरियड्स) देखी गईं। प्रतिभागियों में आंखों से जुड़ी असामान्यताएं (2.7%) और हाइपोथायरायडिज्म (0.6%) भी देखा गया। वहीं, 0.3% प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 0.1% प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान भी हुई।

PM ने कोवैक्सिन के 2 डोज लगवाए थे

पीएम ने 8 अप्रैल 2021 को कोवैक्सिन का दूसरा डोज लिया था।

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पीएम नरेंद्र मोदी ने 1 मार्च 2021 को कोवैक्सिन का पहला डोज लिया था।

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10 लाख में किसी 1 को कोरोना-वैक्सीन से जानलेवा खतरा: एक्सपर्ट्स बोले- घबराएं नहीं

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेमेटोलॉजी के पब्लिकेशन के मुताबिक, वैक्सीन से साइड इफेक्ट का खतरा 10 लाख लोगों में से 13-15 लोगों को ही होता है। इनमें भी 90% ठीक हो जाते हैं। इसमें मौत की आशंका सिर्फ 0.00013% को ही है। यानी 10 लाख में 13 को साइड इफेक्ट है, तो इनमें से जानलेवा रिस्क सिर्फ एक को होगा। पढ़ें पूरी खबर…

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