स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले से शर्मनाक तस्वीर: सीवान के सदर अस्पताल में न स्टाफ मिला, न एंबुलेंस; परिजन खुद शव लेकर पहुंचे पोस्टमॉर्टम हाउस – Siwan News

बिहार सरकार जहां स्वास्थ्य सेवाओं के विकास और डिजिटलीकरण को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं सच्चाई बिल्कुल उलट नजर आ रही है। सीवान सदर अस्पताल से एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने न सिर्फ व्यवस्था की पोल खोल दी, बल्कि मानवता को भी शर्मसार कर दिया।
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पिहुली गांव के निवासी धर्मेंद्र सिंह की शनिवार को अपराधियों ने गोली मार दी थी। हत्या के बाद उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया। हद तो तब हो गई, जब अस्पताल में न तो कोई कर्मचारी मौजूद था और न ही शव पोस्टमॉर्टम हाउस तक ले जाने के लिए एंबुलेंस। मजबूर परिजन खुद ही शव को स्ट्रेचर पर लादकर मुख्य सड़क पार कर पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे।

स्ट्रेचर से मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम हाउस तक लाते परिजनों की फोटो
मदद के लिए लगाई गुहार
परिजनों ने बताया कि उन्होंने अस्पताल कर्मियों से बार-बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने सहायता नहीं की। उन्हें टालमटोल कर सिर्फ इधर-उधर भटकाया गया। अंत में मजबूर होकर परिजन खुद ही शव को स्ट्रेचर पर रखकर मुख्य सड़क पार करते हुए पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे।
स्वास्थ्य मंत्री पर विपक्ष का हमला तेज
घटना ऐसे समय सामने आई है, जब एक दिन पहले ही जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर तीखा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि, “स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल है, मंत्री कॉटन-बैंडेज में भी घोटाला कर रहे हैं।”
इसके ठीक अगले ही दिन स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले सीवान से ऐसी शर्मनाक तस्वीर सामने आ जाना राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की असलियत उजागर करता है।
लापरवाही या संवेदनहीनता?
इस घटना ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और जिला प्रशासन की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटल और आधुनिक होने की बात करती है। वहीं, जमीनी हकीकत यह है कि शव उठाने तक के लिए परिजनों को आत्मनिर्भर बनना पड़ता है।
यह घटना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि व्यवस्था की असंवेदनशीलता और सरकारी तंत्र की नाकामी का सबूत है। जनता जानना चाहती है कि आखिर जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?