सेना को नया एयर डिफेंस सिस्टम QRSAM मिलेगा: DRDO से 30 हजार करोड़ में 3 रेजिमेंट खरीदी जाएंगी; खासियत मूविंग टारगेट तबाह करना

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नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले
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QRSAM का सर्विलांस रडार 120 KM तक निगरानी और IFF के साथ 80 KM तक ट्रैकिंग प्रदान करेगा।
भारतीय सेना को ₹30 हजार करोड़ का क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (QRSAM) मिलेगा। डिफेंस के अधिकारियों के मुताबिक- रक्षा मंत्रालय देश के पश्चिमी और उत्तरी बॉर्डर पर तैनाती के लिए QRSAM की तीन रेजिमेंट खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
QRSAM की दिन और रात दोनों में टेस्टिंग की गई है। इन रेजिमेंट्स को पश्चिमी बॉर्डर (पाकिस्तान) और उत्तरी बॉर्डर (चीन) पर तैनात किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, इस डिफेंस सिस्टम को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने तैयार किया है। ये एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।
सिस्टम में मूविंग टारगेट खोजने, ट्रैक करने और कम समय में फायर करने की कैपेसिटी है। लगभग 30 KM की रेंज के साथ QRSAM मीडियम से कम डिस्टेंस में मीडियम रेज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (MRSAM) और आकाश जैसी मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम को सपोर्ट करेगी।
इस डिफेंस सिस्टम के सेना में शामिल करने के लिए काउंसिल की बैठक जून के चौथे सप्ताह में हो सकती है। भारत-पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई तक चले संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की ओर से भेजे गईं चीनी मिसाइलें और इजराइली ड्रोन सिस्टम को आकाशतीर मिसाइल सिस्टम, S-400 सिस्टम, आयरन ड्रोन सिस्टम ने आसमान में ही खत्म किया था।
भारत-पाक संघर्ष का हीरो बना था आकाश तीर डिफेंस सिस्टम
आकाशतीर एक स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-पावर्ड एयर डिफेंस सिस्टम है। इसका काम लो-लेवल एयरस्पेस की निगरानी करना और ग्राउंड पर तैनात एयर डिफेंस वेपन सिस्टम को कंट्रोल करना है।
आकाशतीर रडार, सेंसर और कम्युनिकेशन सिस्टम को इंटिग्रेट करके सिंगल नेटवर्क बनाता है, जो रियल टाइम में हवाई खतरों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें न्यूट्रिलाइज करने में सक्षम है।

S-400 एयर डिफेंस क्या है और कितना ताकतवर है
S-400 एक एयर डिफेंस सिस्टम है, यानी ये हवा के जरिए हो रहे अटैक को रोकता है। ये दुश्मन देशों के मिसाइल, ड्रोन, राकेट लॉन्चर और फाइटर जेट्स के हमले को रोकने में कारगर है।
इसे रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है और दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है। भारत और रूस के बीच S-400 की 5 यूनिट के लिए 2018 में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की डील हुई थी।
इस सिस्टम की खासियत क्या है?
- S-400 की सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है। यानी रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।
- इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टीपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।
- ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।
- S-400 की एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।
- S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है। यानी ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है। साथ ही यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट पर अटैक कर सकता है।

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