Published On: Sat, May 31st, 2025

सूती कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है जयपुर का यह गांव, पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा, नेता और अभिनेता की है पहली पसंद


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Jaipur Handloom Village: जयपुर का खतेहपुरा गांव सूत से कपड़े तैयार करने के लिए जाना जाता है. इस गांव में कई परिवार पीढ़ियों से इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. यहां से कपड़े तैयार कर आमेर भेजा जाता है और फिर आमेर से प…और पढ़ें

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इस कपड़े का उपयोग राजनेता और फिल्म अभिनेता भी करते  हैं 

हाइलाइट्स

  • खतेहपुरा गांव सूती कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है.
  • यहां के कपड़े राजनेता और अभिनेता की पसंद हैं.
  • खादी ग्रामोद्योग कारीगरों को सूत उपलब्ध कराता है.

जयपुर. राजस्थान के जयपुर जिले में आज भी सूत से कपड़ा बनाने का काम होता है. जिले का खतेहपुरा गांव सूती कपड़ों की आकर्षक बनावट के लिए प्रसिद्ध है. इस गांव में सदियों से चरखे पर सूत काटकर पारंपरिक तरीके से कपड़े बनाने का काम होता आ रहा है. इस गांव में दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी इस परंपरा को जिंदा रखे हुए है. खतेहपुरा के कारीगरों के बनाए कपड़ों की देशभर में पहचान है. इस गांव के महादेव महावर, करण और रामकिशोर महावर का परिवार तो पिछली पांच पीढ़ियों से सूत से कपड़ा बनाने का काम करता आ रहा है.

महादेव महावर ने बताया कि पहले खतेहपुरा में बड़े स्तर पर सूत से कपड़े बनाने का काम होता था, लेकिन अब यह छोटे स्तर पर किया जा रहा है. खतेहपुरा गांव में एक हजार की आबादी है और यहां कुल 120 घर हैं. यहां तैयार किए गए कपड़े को आमेर भेजा जाता है और फिर आमेर से कपड़े को पैकिंग कर राजस्थान से बाहर अन्य राज्यों को भेजा जाता है. इस कपड़े का उपयोग राजनेता और फिल्म अभिनेता करते हैं. उन्हाेंने बताया कि कपड़ा महंगा होता है, लेकिन टिकाऊ होता है. खतेहपुरा गांव में खादी का कपड़ा बनाने का काम महादेव कोली के परिवार के 10 सदस्य कर रहे हैं. यह परिवार 120 साल से यही काम कर रहा है.

इस तरह तैयार होता है सूत से कपड़ा

गांव की महिलाएं बताती हैं कि सूत से कपड़ा बनाने के लिए सबसे पहले सूत को चार दिन तक भिंगोया जाता है, फिर बांस पर लटकाकर सुखाया जाता है. इसके बाद मैदा के पानी में भिगोया जाता है और फिर बांस पर लटकाकर सुखाया जाता है. इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद धागा तैयार किया जाता है और गट्टे में पिरोया जाता है. वहीं फिर मशीन से कपड़ा तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि पहले चरखे पर सूत तैयार होता था. हाथ से चलने वाली मशीन से कपड़ा बनता था. अब बिजली से चलने वाली मशीन से कपड़ा तैयार किया जाता है. इस सूत से पुरुषों की धोती, तौलिया, कुर्ता और पजामा बनाए जाते हैं.

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खादी ग्रामोद्योग करवाता है सूत उपलब्ध

महादेव महावर ने बताया कि खादी ग्रामोद्योग द्वारा इनको सूत उपलब्ध कराई जाती है, इनको 23.50 रुपए मीटर के दिए जाते हैं, लेकिन कंप्लीट बनने के बाद 250-300 रुपए मीटर में बेचा जाता है. खतेहपुरा में पांच-छह साल पहले तीन सूत कातने के कारखाने थे, लेकिन अब जिले में सिर्फ यहीं पर एक कारखाना चल रहा है.

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सूती कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है यह गांव, आम से लेकर खास तक की है पहली पसंद

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