Published On: Sat, Jul 27th, 2024

सीएम मोहन यादव के क्षेत्र के स्कूल के हाल : ज्यादा बारिश हो गई तो छुट्टी, नाली के पास करते हैं मध्याह्न भोजन


Ground Report From CM Mohan Yadav Constituency Primary School Ujjain MP News Today

उज्जैन से ग्राउंड रिपोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश अजब है और गजब भी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विधानसभा क्षेत्र में हाल यह है कि प्राइमरी स्कूल को बुनियादी सुविधाओं के मशक्कत करनी पड़ रही है। वादे तो खूब हुए लेकिन अब तक बच्चों के लिए सुविधाएं नहीं जुट सकी है। 2015 से स्कूल असुविधाओं के बीच बच्चों को सुनहरे भविष्य के ख्वाब दिखा रहा है। हालत यह है कि ज्यादा गर्मी या बारिश हो तो स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है।

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन जिले के उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस क्षेत्र में ही जवाहर नगर में कुशाभाऊ ठाकरे शासकीय प्राथमिक विद्यालय संचालित होता है। यहां 65 विद्यार्थी व्यवस्थाओं के अभाव में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल में कमरा नहीं होने की वजह से पेड़ के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। जिस जगह बच्चे बैठते हैं, वहां बड़ी नाली है। बच्चों का मध्याह्न भोजन भी नाली के पास ही होता है। 

दो टीचरों के लिए दो टेबल-कुर्सी

स्कूल में फर्नीचर के नाम पर दो शिक्षिकाओं के लिए दो टेबल और दो कुर्सी है। बच्चे जमीन पर बैठते हैं। स्कूल में शौचालय तक नहीं है। बच्चे खुले में शौच करते हैं। रिहायशी इलाका होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। महिला टीचर और छात्राओं को तो सबसे अधिक दिक्कत होती है। जवाहर नगर के शासकीय प्राथमिक कुशाभाऊ ठाकरे विद्यालय में 100 वर्गफीट का एक कमरा है। उसमें ही पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं लगती हैं। स्कूल कार्यालय का काम भी यहीं पर होता है। कमरे में ही स्कूल का सामान रखा है। स्कूल में वर्तमान में कुल 65 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। रोज 50 से अधिक बच्चे उपस्थित रहते हैं। बरसात में नाला उफान पर होता है तो पानी कमरे मं भर जाता है। इसकी छत भी रिसती है।  

भवन बनना शुरू हुआ तो आपत्ति आ गई

इस स्कूल के लिए राशि आवंटित हुई थी। भवन का निर्माण प्रारंभ भी हुआ था। भवन का निर्माण प्लिंथ हाइट तक हुआ था। पुलिस विभाग की आपत्ति के बाद काम रोक दिया गया। जवाहर नगर उज्जैन विकास प्राधिकरण की योजना का हिस्सा है। योजना में यहां पुलिस चौकी के साथ-साथ प्राथमिक विद्यालय-सह-वाचनालय बनना है। जिला शिक्षा केंद्र ने जमीन की वास्तविक पड़ताल किए बगैर स्कूल भवन का निर्माण प्रारंभ कर दिया था। इस पर आपत्ति आ गई। भवन निर्माण रोकना पड़ा। इसके बाद कुछ हुआ ही नहीं। स्थिति जस की तस है। 

धूप और बारिश में सबसे अधिक परेशानी

शिक्षिका निहारिका कोठरी ने बताया कि वर्ष 2015 से स्कूल सुविधाओं के अभाव में संचालित हो रहा है। बच्चे एडमिशन के लिए आ रहे हैं, लेकिन हमें मना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी बारिश और धूप से होती है। इतने बच्चे बिठाने के लिए जगह ही नहीं है। जब भी बारिश जैसा लगता है, तो हम बड़े बच्चों को बिठाकर छोटे बच्चों की छुट्टी कर देते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कई बार वरिष्ठों से शिकायत की। डीईओ भी आए। भोपाल तक शिकायत पहुंचाई। कोई नतीजा नहीं निकला। स्कूली शिक्षक एवं बच्चों का कहना है कि स्कूल की खाली पड़ी जमीन पर भवन बनाया जाए, जिससे कुछ सुधार हो सके। 

अफसरों ने कहा- जमीन जल्द मिल जाएगी

शिक्षा विभाग के एडीपीसी गिरीश तिवारी का कहना है कि मिडिल स्कूल अभी एक कमरे में संचालित हो रहा है। वहां थाना बनना था, जिसकी वजह से स्कूल बनाने पर रोक लगी है। कुछ दिन पहले ही कलेक्टर ने विभागीय समीक्षा बैठक की थी। उन्होंने बताया था कि एसपी से बात हो गई है। अब उस जगह पर स्कूल बनाने के लिए जमीन मिल जाएगी। प्रक्रिया चल रही है। नगर निगम इसकी एजेंसी है। जल्द ही निगम इस स्कूल को बनाएगा।  

(उज्जैन से निलेश नागर की रिपोर्ट)

 

प्रायमरी शासकीय स्कूल....100 स्क्वायर फिट के कमरे में लगती है दो कक्षाएं....तीसरी से पांचवी तक

सरकारी प्राथमिक विद्यालय में नाले के पास संचालित होती हैं कक्षाएं।   

प्रायमरी शासकीय स्कूल....100 स्क्वायर फिट के कमरे में लगती है दो कक्षाएं....तीसरी से पांचवी तक

प्राथमिक विद्यालय में 100 वर्गफीट में लगती है दो कक्षाएं।

 

प्रायमरी शासकीय स्कूल....100 स्क्वायर फिट के कमरे में लगती है दो कक्षाएं....तीसरी से पांचवी तक

प्राथमिक विद्यालय में इस तरह बाहर बैठकर बच्चे करते हैं पढ़ाई।  

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