सिसोदिया ने जमानत के लिए क्यों दायर की SLP, जनरल पीटिशन से यह अलग कैसे, क्या जेल से आएंगे बाहर?

दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी दायर की है. सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, हम विशेष परिस्थितियों में आपके पास आए हैं. हमारी जमानत याचिका पर फिर से विचार किया जाए. अदालत ने उनकी दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका पर विचार करने का भरोसा दिया. आखिर ये एसएपी है क्या? यह जनरल पीटिशन से अलग कैसे? क्या इससे सिसोदिया को जमानत मिलने का रास्ता खुलेगा?
सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की जमानत पर बहस करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने तीन अहम दलीलें दीं. उन्होंने कहा, मनीष सिसोदिया 16 महीने से जेल में हैं. कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए लेकिन यह शुरू ही नहीं हुई. इसलिए मैंने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है. कोर्ट ने तीन जुलाई के बाद फिर से याचिका दायर करने की छूट दी थी. हम उसी के आधार पर आए हैं और चाहते हैं कि हमारे मामले को सुना जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने का अनुरोध किया गया है. लेकिन सिंघवी ने एसएलपी ही दायर क्यों की. आइए जानते हैं इसकी वजह.
कब सुप्रीम कोर्ट करता है सुनवाई
दरअसल, यह निचली अदालत से सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील का का रास्ता है. संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट सीधे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ भी अपील स्वीकार कर सकता है. लेकिन इसमें एक शर्त भी रखी गई है. जब कानून से जुड़ा कोई बड़ा मसला होता है, या फिर घोर अन्याय होता दिख रहा होता है. देश की किसी भी अदालत या ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जा सकती है. हालांकि, आर्म्ड फोर्सेज से जुड़े कोर्ट या ट्राइब्यूनल के फैसले पर एसएलपी लागू नहीं होती.
एसएलपी दायर करने की शर्तें
एसएलपी दायर करने की कुछ शर्तें हैं. एसएलपी दायर करने के लिए किसी निर्णय या आदेश का अंतिम होना जरूरी नहीं है. इसे अंतरिम या अस्थायी आदेश या निर्णय के विरुद्ध भी दायर किया जा सकता है. एसएलपी दाखिल करना वैकल्पिक है और सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर निर्भर है. अदालत याचिका को स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प चुन सकती है. कोई भी व्यक्ति जो किसी फैसले या आदेश से प्रभावित है, एसएलपी दायर कर सकता है, चाहे वह दीवानी या आपराधिक मामले से संबंधित हो.
एसएलपी कब दे सकेंगे
एसएलपी दाखिल करने की समय सीमा है. अगर हाईकोर्ट के किसी फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर की जाती है, तो फैसले से 90 दिन के भीतर अपील करनी होगी. अगर हाईकोर्ट एसएलपी के लिए प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दे, तो 60 दिन के भीतर भी एसएलपी दायर की जा सकती है. इसमें पूरी जानकारी दी जाती है. एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड का सिग्नेचर जरूरी होता है. याचिकाकर्ता को यह बताना होता है कि हाईकोर्ट में अन्य कोई अर्जी नहीं लगाई गई है. सुनवाई के बाद अदालत तय करेगी कि मामले को आगे सुना जाए या खारिज कर दिया जाए. सिसोदिया के केस में भी यह स्पेशल प्रोविजन का इस्तेमाल किया गया है. देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट उनके मामले को किस तरह लेता है और क्या फैसला सुनाता है.
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FIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 05:34 IST