Published On: Thu, May 29th, 2025

सिर पर घूंघट काढ़ सरपंच ने किया कमाल, बदल कर रख दी गांव की तस्वीर, बना डाला मॉडल पंचायत


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अलवर के भजेड़ा पंचायत में सबसे कम उम्र की महिला सरपंच की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. इस महिला सरपंच ने वो कर दिखाया जो अच्छे-अच्छे महानुभवी सरपंच भी नहीं कर पाते.

सिर पर घूंघट काढ़ सरपंच ने किया कमाल, बदल कर रख दी गांव की तस्वीर

महिला सरपंच के काम ने जीत लिया लोगों का दिल (इमेज- फाइल फोटो)

राजस्थान के अलवर जिले की भजेड़ा ग्राम पंचायत इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. इसका कारण है इस पंचायत की सबसे कम उम्र की महिला सरपंच, सीमा मीना, जिन्होंने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में न केवल गांव की तस्वीर बदली बल्कि ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण की एक नई मिसाल कायम की. अक्टूबर 2020 में पहली बार सरपंच चुनी गईं सीमा ने अपने दृढ़ संकल्प और दूरदर्शी नेतृत्व से भजेड़ा को एक मॉडल पंचायत में बदल दिया, जो राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र की अन्य ग्राम पंचायतों के लिए प्रेरणा बन गया है.

बदल दी गांव की तस्वीर
सीमा मीना, जिनकी उम्र उस समय मात्र 25 वर्ष थी, जब वे सरपंच चुनी गई, ने पितृसत्तात्मक समाज में एक नया अध्याय लिखा. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां महिलाओं को अक्सर घर की चारदीवारी तक सीमित रखा जाता है, वहां सीमा ने न केवल नेतृत्व संभाला बल्कि भजेड़ा पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों में विकास की नई इबारत लिखी. उनके कार्यकाल में सड़कों का निर्माण, स्वच्छता अभियान, स्कूलों का उन्नयन और पेयजल सुविधाओं का विस्तार जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य हुए. इन विकास कार्यों ने न केवल ग्रामीणों के जीवन स्तर को ऊंचा किया बल्कि पंचायत को शहर जैसी सुविधाओं से लैस करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया.

सड़कों पर दिया खास ध्यान
सीमा ने अपनी शुरुआत गांव की बदहाल सड़कों को ठीक करने से की. भजेड़ा और आसपास के गांवों में कच्ची सड़कों को पक्का किया गया, जिससे न केवल आवागमन आसान हुआ, बल्कि गर्भवती महिलाओं और मरीजों को अस्पताल पहुंचने में सुविधा हुई. इसके अलावा उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त (ODF) गांव बनाने पर जोर दिया. पंचायत में हर घर में शौचालय निर्माण के लिए जागरूकता अभियान चलाए गए और सरकारी योजनाओं का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया गया.

शिक्षा पर भी किया फोकस
शिक्षा के क्षेत्र में भी सीमा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. स्थानीय स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को देखते हुए उन्होंने कक्षाओं का निर्माण, पेयजल व्यवस्था और लड़कियों के लिए अलग शौचालयों की व्यवस्था की. उनकी कोशिशों से स्कूलों में ड्रॉपआउट दर कम हुई और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा मिला. सीमा का मानना है कि शिक्षा ही वह आधार है, जो ग्रामीण समाज को बदल सकता है. उनकी इस सोच ने भजेड़ा को शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनाया. पेयजल और स्वच्छता के अलावा, सीमा ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. उन्होंने स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को बढ़ावा दिया, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी. इन समूहों के माध्यम से महिलाओं को छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू करने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया. यह कदम न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित हुआ.

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Sandhya Kumari

न्यूज 18 में बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रही हूं. रीजनल सेक्शन के तहत राज्यों में हो रही उन घटनाओं से आपको रूबरू करवाना मकसद है, जिसे सोशल मीडिया पर पसंद किया जा रहा है. ताकि कोई वायरल कंटेंट आपसे छूट ना जाए.

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