‘सिंदूर’ के समय पाक से हुए UPI: हवाला लेनदेन से पकड़े गए 12 जासूस; देश के गद्दारों तक ऐसे पहुंचीं खुफिया एजेंसियां

नई दिल्ली4 मिनट पहलेलेखक: पवन कुमार
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में गिरफ्तार किए गए पाकिस्तान के 12 जासूसों तक आखिर खुफिया एजेंसियां कैसे पहुंचीं? इस सवाल का जवाब चौंकाने वाला है। इन एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने भास्कर को बताया कि जब भारत ने 9 आतंकी ठिकाने तबाह किए, तभी बौखलाए पाक ने भारत में अपने सभी जासूस एक्टिव किए।
उनसे सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से भारतीय सैन्य ठिकानों, सेना के मूवमेंट्स, सैन्य बेस, एयरबेस की संवेदनशील जानकारियां मंगाना तेज कीं। इसके लिए इन्हें पाकिस्तान से पे-पल पेमेंट एप, ऑनलाइन गैंबलिंग एप, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, हवाला, UPI और क्रिप्टो करेंसी के जरिए 20 हजार से लेकर एक लाख रुपए मिले।
सीजफायर के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों के राडार पर वे सोशल मीडिया अकाउंट और फोन नंबर आए, जो लड़ाई के दौरान लगातार एक्टिव थे और आईएसआई उनसे संपर्क में थी।
ट्रांसजेक्शन की पड़ताल में पाकिस्तान के जासूसों की जानकारी मिली
सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक से भारत में हुए हवाला, UPI और बिटक्वाइन ट्रांजेक्शन की जानकारी डार्क वेब पर मिली। इन ट्रांजेक्शन्स की पड़ताल में पाकिस्तान की जासूस ज्योति मल्होत्रा, अरमान, देवेंद्र सिंह ढिल्लो, मोहम्मद मुर्तजा अली, सुखप्रीत सिंह, करनबीर सिंह नोमान इलाही, हारून, तुफैल, सुखदेव सिंह गोहिल, शहजाद और मोतीराम जाट की जानकारी मिली।
गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी गई। यदि कार्रवाई में जरा भी देरी होती तो जासूस भाग सकते थे। इसलिए तय हुआ कि जो जासूस जिस राज्य का है, वहां की जांच एजेंसी को पकड़ने की जिम्मेदारी दें। नतीजा इन 12 समेत 15 पकड़ाए।
पाकिस्तानियों से संपर्क रखने वाले 10 हजार से ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट राडार पर
सूत्रों के मुताबिक भारतीय खुफिया एजेंसियों को एआई बेस्ड एडवांस टेक्नोलॉजी आधारित सॉफ्टवेयर के जरिए 5 लाख से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट ऐसे मिले हैं, जिनका संबंध पाकिस्तान से है। इनकी स्क्रूटनी करने से पता चला है कि कुछ के रिश्तेदार पाक में हैं तो कुछ यूं ही रैंडम तरीके से पाकिस्तानियों के संपर्क में हैं और उनसे चैट भी करते हैं।
वहीं, कुछ सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक, इंस्टाग्राम व अन्य में पाक लोगों की एंट्री तो है, मगर उससे कभी बातचीत के सबूत नहीं मिले हैं। इसके अतिरिक्त करीब 10 हजार लोग ऐसे भी मिले हैं जो अपने अकाउंट पर किसी न किसी पाक में रह रहे व्यक्ति से लगातार संपर्क में रहे हैं। ये अकाउंट हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, यूपी, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लोगों से संबंधित हैं।
जासूसों ने सेना के मूवमेंट की जानकारी, फोटो-वीडियो भेजे
ज्योति मल्होत्रा: पाक हाई कमीशन के अफसर दानिश के संपर्क में थी। ISI ने दानिश के जरिए इससे बात कर सेना के मूवमेंट की जानकारी ली। इसके बैंक खातों की जांच में ऑनलाइन पेमेंट पता चला। मनी ट्रेल की जांच में पाक से पैसे आने का पता चला। इसे हवाला, कैश, UPI से भी कई पेमेंट हुए।
गजाला: यह भी दानिश के संपर्क में थी। पाक कई जानकारियां पहुंचाईं। इसे भी दानिश ने UPI से कई बार पेमेंट किया।
अरमान: वॉट्सएप के जरिए आईएसआई के एक लोकल कनेक्शन को संवेदनशील जानकारियां दीं।
तारीफ: ये भी नूंह का है, जो ऑपरेशन सिंदूर के वक्त दानिश के संपर्क में था।
देवेंद्र ढिल्लो: हनीट्रैप में फंसा। पाक की लड़की को ऑपरेशन की जानकारियां दीं
मो. मुर्तजा: इसने टीवी चैनलों से सेना के मूवमेंट की जानकारी जुटाकर खुद के बनाए एप से आईएसआई को भेजी।
यासीन मोहम्मद: यह भी ऑपरेशन के दौरान दानिश के संपर्क में था।
सुखप्रीत सिंह: पाक ऑपरेटर को भारतीय सेना की फोटो-वीडियो भेज रहा था। इसे पाक एजेंट से एक लाख रु. हवाला के जरिए मिले।
करणबीर सिंह: ये सीधे आईएसआई से संपर्क में था। इनसे पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में सेना की मूवमेंट की जानकारियां भेजीं। हवाला के जरिए 50 हजार रु. लिए। 50 हजार और मिलने थे।
शहजाद: ISI को जानकारियां दीं। पाक के पे-पल एप से पैसे लिए।
नोमान इलाही: यूपी के कैराना के इस सिक्योरिटी गार्ड ने ऑपरेशन के दौरान फोन के जरिए सेना के मूवमेंट की जानकारी पाक एजेंट को दी। इसे यूपीआई के जरिए पाक से पेमेंट हुआ।
सहदेव सिंह गोहिल: गुजरात का स्वास्थ्य कर्मचारी। पाक एजेंट अदिति भारद्वाज को कच्छ, भुज और नलिया के बीएसएफ और नेमी की यूनिट्स की फोटो-वीडियो भेजे। 40 हजार रु. पाक एजेंट से नकद मिले। 60 हजार मिलने बाकी थे
मोती राम जाट: CRPF में एएसआई। इसने पाक एजेंट्स को जानकारियां दीं। पैसे भी मिले।