Published On: Sun, Jun 8th, 2025

सस्पेंड ASI के घर से मिले AK-47,इंसास पर सरकारी कोड: ऐसी गन पुलिस-पैरा मिलिट्री को सप्लाई होती है; कार्बाइन पर मेड इन चाइना लिखा है – Samastipur News


समस्तीपुर में सस्पेंड ASI सरोज सिंह के घर पर शुक्रवार को STF ने रेड की। इस दौरान AK-47 राइफल, इंसास राइफल, रेगुलर राइफल और दो नाली बंदूक के साथ 145 से अधिक जिंदा कारतूस बरामद हुआ। पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

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बरामद AK-47 और इंसास रेगुलर है। जिस पर एक कोड अंकित है। इसका इस्तेमाल पुलिस या पैरा मिलिट्री फोर्स करती है। कार्बाइन पर मेड इन चाइना लिखा है।

मोहिउद्दीन नगर थाना की अपर थानाध्यक्ष प्रियंका कुमारी के बयान पर 5 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिसमें निलंबित एएसआई सरोज सिंह के अलावा चाचा परशुराम सिंह, मुन्ना यादव, चचेरा भाई विश्वजीत कुमार और निशांत कुमार शामिल है।

एसपी अशोक मिश्रा ने कहा, ‘इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। बरामद हथियारों में से दो ओरिजनल है। जिसके बारे में बता लगाया जा रहा है। इस नंबर की हथियार पुलिस या पैरा मिलिट्री को सप्लाई की जाती है।

यह भी पता लगाया जा रहा है कि आखिर सरोज सिंह के पास ये हथियार कहां से आए। उसने कहीं से चुराए है या खरीदी है। संपत्ति जब्त करने की दिशा में भी जांच की जा रही है।’

सरोज सिंह के घर से एक राइफल समेत कई हथियार बरामद किए गए हैं।

सरोज सिंह के घर से एक राइफल समेत कई हथियार बरामद किए गए हैं।

इंसास और AK-47 पर सरकारी कोड

प्राथमिकी में बताया गया है कि एक-47 राइफल की लंबाई 14 अंगुल है। बॉडी की लंबाई 13 अंगुल और बैरल की लंबाई 24 एंगल है। राइफल एक्सटेंशन रॉड पर कोड 57650 और रोटेटिंग बोर्ड पर 66644 लिखा हुआ है। इसके अलावा बॉडी पर 27 लिखा हुआ है। यह ओरिजिनल हथियारों का कोडिंग होती है, जो सरकार की ओर से की जाती है।

इसी तरह बरामद 30.06 राइफल का सत्यापन किया गया। हथियार की कुल लंबाई 67 अंगुल, बट की लंबाई 22 अंगुल, बॉडी की लंबाई 11 अंगुल, बैरल की लंबाई 34 है। बॉडी पर 30-06 स्पॉटिंग राइफल 166109096 RFII 20267-17 और बैरल पर CE40/ 11697/Rf16 अंकित है। इस तरह के नंबर ओरिजिनल हथियारों पर अंकित होते हैं।

सरोज को हथियार और गहनों का शौक था।

सरोज को हथियार और गहनों का शौक था।

पुलिस पर चलाई थी चार राउंड गोली, चारों खोखा बरामद

प्राथमिकी में बताया गया, ‘पुलिस जैसे ही सरोज सिंह के घर पर पहुंची, फायरिंग शुरू हो गई। सरोज सिंह की ओर से 4 राउंड गोली चली। जिसके बाद STF और लोकल पुलिस ने अपना परिचय देते हुए अनाउंस करके सरेंडर करने को कहा। मामले की जांच पटोरी के सर्किल इंस्पेक्टर पवन कुमार को सौंपा गया है।’

सरोज सिंह को ले जाती एसटीएफ

सरोज सिंह को ले जाती एसटीएफ

वर्चस्व के लिए अपने साथियों से हुई दुश्मनी

सरोज को जानने वाले बताते हैं कि शुरुआत में प्रिंस मुखिया, नवीन सिंह और सरोज सिंह, तीनों एक साथ रहते थे। घर भी आसपास ही है। सरोज ने जब दियारा की जमीन पर कब्जा जमाने की सोची थी तब तीनों ने मिलकर बाहरी लोगों को वहां से खदेड़ा।

बाद में सरोज की लालच बढ़ गई। वो चाहता था कि दियारा की पूरी जमीन पर उसका ही राज चले। वर्दी का पावर सरोज के पास अलग था। इसी कारण प्रिंस से उसकी दुश्मनी हो गई, दोनों के रास्ते अलग हो गए। जमीन पर कब्जाने पर सरोज पर केस भी हुआ।

पटना में छापेमारी के दौरान कैश बरामद किए गए। नोट गिनने की मशीन भी मिली।

पटना में छापेमारी के दौरान कैश बरामद किए गए। नोट गिनने की मशीन भी मिली।

गंगा के रास्ते हथियार घर तक लाता था

सरोज का घर गंगा नदी के पास ही। उसे हथियार लाना होता था तो वो नदी का रास्ता चुनता था। रात के अंधेरे में ही हथियार लाता था। उस वक्त पुलिस की पेट्रोलिंग नहीं रहती थी। हथियार लेकर गंगा नदी के रास्ते वो नाव से बाढ़-बख्तियारपुर गंगा पार करता था।

चर्चा है कि बाहुबली से हथियारों का लेना-देना भी होता था। सरोज ने अपने चाचा और चचेरे भाइयों के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया। खूब पैसे कमाए। दूसरी तरफ प्रिंस से दूरी भी बढ़ती गई।

प्रिंस मुखिया जिसके साथ सरोज की अदावत चल रही थी।

प्रिंस मुखिया जिसके साथ सरोज की अदावत चल रही थी।

पुलिस रिकार्ड में 6 महीने से था फरार

सरोज सोना के गहनों का भी शौकीन है। मोटी-मोटी चेन, हाथ में ब्रेसलेट, अंगुलियों में अंगूठी शौक से पहनता है। इस कारण लोग सरोज को गोल्ड मैन भी कहने लगे थे।

पत्नी रीता सिंह को भी गहनों से लाद कर रखता था। हाल ही में नोटों की गड्डी के साथ सरोज का फोटो वायरल हुआ था। सरोज के पिता त्रिपुरारी सिंह समान्य किसान थे।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 2008 बैंच का सरोज सिपाही है। जहानाबाद यातायात थाने में पद स्थापित था। गलत आचरण और प्रशासनिक अनुशासनहीनता के कारण निलंबित कर दिया गया था।

विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी। निलंबन अवधि के दौरान इसे जहानाबाद पुलिस मुख्यालय में रहना था, लेकिन यह जमीन धंधे में लिप्त रहने के कारण 6 महीने से विभागीय रिकॉर्ड में फरार था।

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