संविधान दिवस आज, राष्ट्रपति दोनों सदनों को संबोधित करेंगी: वर्षगांठ पर सिक्का और डाक टिकट जारी होगा; 1949 में इसी दिन कॉन्स्टिट्यूशन अपनाया गया था

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नई दिल्ली10 मिनट पहले
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तस्वीर 7 जून की है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए संसदीय दल की बैठक में हिस्सा लेने के लिए संसद भवन के सेंट्रल हॉल पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने भारत के संविधान को अपने माथे से लगाकर नमन किया था।
देश के संविधान के 75 साल पूरे होने पर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में मंगलवार को कार्यक्रम होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित सभी सांसद इसमें मौजूद रहेंगे।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति धनखड़ दोनों संसदों सदस्यों को संबोधित करेंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला स्वागत भाषण देंगे। संविधान अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को दर्शाने वाला सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया जाएगा।
इसके अलावा ‘भारतीय संविधान का निर्माण: एक झलक’ और ‘भारतीय संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा’ टाइटल वालीं किताबें लॉन्च होंगी। संस्कृत और मैथिली में संविधान की प्रतियां भी जारी की जाएंगी। भारतीय संविधान के निर्माण के ऐतिहासिक महत्व और यात्रा वाली शॉर्ट फिल्म भी दिखाई जाएगी।
दरअसल, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पारित किया था, जिसे 26 जनवरी 1950 को देश ने स्वीकार किया था। सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें 26 नवंबर को हर साल ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाने की बात कही थी। इसका मकसद नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रोत्साहन के तौर पर मनाना है।

संविधान की पांडुलिपि चमड़े की काली जिल्द में हैं, जिस पर सोने की कारीगरी है।
26 नवंबर 1949 को लागू क्यों नहीं हुआ था संविधान? ऐसा करने की एक खास वजह थी, दरअसल, 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस ने देश की पूर्ण आजादी का नारा दिया था। इसी की याद में संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1950 तक इंतजार किया गया।
1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। उस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी कि भारत को 26 जनवरी, 1930 तक संप्रभु दर्जा दे दिया जाए। फिर 26 जनवरी, 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।
इसके बाद 15 अगस्त, 1947 तक यानी अगले 17 सालों तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने और 17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान एडॉप्ट किया। हालांकि, कानूनी रूप से इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, जिस दिन हम सब रिपब्लिक डे मनाते हैं। भारत के संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी में 1 लाख 17 हजार 369 शब्द हैं। जिसमें 444 आर्टिकल, 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं।
प्रेम बिहारी ने लिखी थी संविधान की मूल कॉपी

प्रेम बिहारी संविधान की मूल कॉपी को लिखते हुए। वो उस वक्त देश के सबसे बड़े कैलीग्राफी आर्टिस्ट माने जाते थे।
डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है। मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। इस काम में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद कैलीग्राफर प्रेम बिहारी से संविधान की मूल कॉपी लिखने की गुजारिश की थी। प्रेम बिहारी ने न केवल इसे स्वीकार किया था बल्कि इसके बदले फीस लेने से भी इनकार किया था।
संविधान को हाथ से लिखने में प्रेम बिहारी को 6 महीने लगे थे। इस दौरान 432 निब घिस गईं थीं। प्रेम बिहारी को संविधान हाल में एक कमरा दिया गया, जो बाद में संविधान क्लब हो गया। भारत का संविधान दुनिया में अकेला है, जिसके हर भाग में चित्रकारी भी की गई है।
इसमें राम-सीता से लेकर अकबर और टीपू सुल्तान तक के चित्र हैं। इन्हें शांति निकेतन के नंदलाल बोस की अगुवाई वाली टीम ने अपनी कला से सजाया। उनके भी नाम संविधान की मूल कॉपी में लिखे हैं।
संविधान की हिंदी कॉपी कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखी है। इसका कागज अलग है। इसे हैंडमेड पेपर रिसर्च सेंटर पुणे में बनाया गया है। संविधान की हिंदी कॉपी में 264 पन्ने हैं, जिसका वजन 14 किलोग्राम है। पूरी खबर पढ़ें…
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