Published On: Wed, Jul 17th, 2024

शुभेंदु अधिकारी बोले- सबका साथ, सबका विकास की जरूरत नहीं: कहा- भाजपा को अल्पसंख्यक मोर्चा बंद कर देना चाहिए; जो हमारे साथ, हम उसके साथ


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कोलकाताकुछ ही क्षण पहले

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शुभेंदु अधिकारी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए थे। - Dainik Bhaskar

शुभेंदु अधिकारी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए थे।

पश्चिम बंगाल भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार (17 जुलाई) को कहा, ‘सबका साथ, सबका विकास’, लेकिन अब हम यह नहीं कहेंगे। अब हम कहेंगे ‘जो हमारा साथ, हम उनके साथ…’ सबका साथ, सबका विकास कहना बंद करो।

पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बोले, ‘भाजपा को अल्पसंख्यक मोर्चा की भी जरूरत नहीं है। हम जीतेंगे, हम हिंदुओं को बचाएंगे और संविधान को बचाएंगे।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया था।

शुभेंदु ने कुछ घंटे बाद सफाई दी, पीएम के बयान से कोई लेना-देना नहीं

  • शुभेंदु ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, ‘यह नारा प्रधानमंत्री ने दिया था और यह अभी भी कायम है। भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर मैंने बहुत दुख के साथ अपनी बात रखी कि भाजपा की राज्य इकाई को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा होना चाहिए, न कि उन लोगों के साथ जो भाजपा के साथ नहीं खड़े हैं। मैंने जो कहा वो राजनीतिक बयान है और इसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे से कोई लेना-देना नहीं है।;
  • शुभेंदु ने आगे कहा कि जब मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाता हूं तो वहां विकास कार्यों से हिंदू और मुस्लिम दोनों को फायदा होता है। फिर भी हमें सुनने को मिलता है कि भाजपा एक हिंदू पार्टी है। हमें काले झंडे दिखाए जाते हैं और हमारी गाड़ियों पर पत्थर फेंके जाते हैं।
  • अधिकारी ने कहा कि हमने अब तक जो कुछ भी किया है। वह देश के हर नागरिक के लिए है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। मेरे बयान निजी हैं और इसका पार्टी की सोच से कोई लेना-देना नहीं है। मेरे निर्वाचन क्षेत्र में अल्पसंख्यक मोर्चा था। मैंने मिलन उत्सव में 700 लोगों के साथ ईद मनाई और भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गांगुली को एक भी वोट नहीं मिला। सांप्रदायिक मतदान ने भाजपा को बहुत प्रभावित किया।

लोकसभा चुनाव में 42 में से केवल 12 सीटें मिलीं
लोकसभा चुनाव 2024 में पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में बीजेपी के खाते में केवल 12 सीटें आई। ​​​​​​ 2019 में 18 सीट पर जीत मिली थी। बीजेपी को इस बार 6 सीट का नुकसान हुआ। TMC को 29 सीट, कांग्रेस को एक और कांग्रेस के साथ अलायंस में चुनाव लड़ी CPI(M) ने एक जीत हासिल की थी।

BJP ने इस बार लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 30 सीटें जीतने का टारगेट रखा था। CAA, आरक्षण, संदेशखाली और करप्शन जैसे मुद्दे उठाने के बावजूद पार्टी कामयाब नहीं हो पाई। पार्टी के बड़े नेता जैसे निशीथ प्रमाणिक, लॉकेट चटर्जी और एसएस आहलूवालिया अपनी सीट नहीं बचा पाए।

रिजल्ट के बाद बिष्णुपुर के सांसद सौमित्र खान और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने स्टेट लीडरशिप के फैसलों पर सवाल उठाए थे। हालांकि खराब प्रदर्शन के बावजूद सुकांत मजूमदार को कैबिनेट में जगह मिली।

विधानसभा उप-चुनाव में सभी सीटें पर हार मिली
15 जुलाई को पश्चिम बंगाल की 4 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट आया था। BJP को यहां भी नुकसान हुआ। ममता बनर्जी की TMC ने चारों पर जीत दर्ज की। जिन सीटों को BJP को हार मिली, पिछली बार इनमें से 3 सीटें भाजपा के पास थीं, लेकिन इस बार TMC ने तीनों सीटें छीन लीं। यहां TMC अकेले चुनाव लड़ी थी।

विधानसभा उप-चुनाव का रिजल्ट…

एक्सपर्ट ने कहा था- BJP ने ग्राउंड पर मेहनत नहीं की, ममता ने डायरेक्ट बेनिफिट दिया
पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुमन भट्टाचार्य ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में सभी मुद्दे BJP के हाथ से रेत की तरह निकले। बंगाल में BJP के कई मिनिस्टर हारे। निसिथ प्रमाणिक और सुभाष सरकार हारे गए। पांच साल में BJP ने ग्राउंड पर मेहनत नहीं की। वहीं, ममता बनर्जी ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर किया। लक्ष्मी भंडार में ममता ने महिलाओं के हाथ में पैसे रख दिए।’​​​​​​

सुमन ने कहा था कि BJP का सुवेंदु अधिकारी को पार्टी की कमान सौंप देना गलत फैसला था। सुवेंदु ने पार्टी में किसी की नहीं सुनी, बल्कि पार्टी को अपनी तरह से कंट्रोल करने की कोशिश की। यही वजह है कि प्रदेश में BJP प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे सुकांता मजूमदार का विनिंग मार्जिन कम हुआ। दिलीप घोष बर्धमान-दुर्गापुर सीट से चुनाव हार गए। सुवेंदु की करीबी अग्निमित्र पॉल भी हार गईं। वो सुवेंदु के गढ़ मेदिनीपुर सीट से चुनाव हारीं।’

भट्टाचार्य ने कांग्रेस और CPI(M) की परफॉर्मेंस पर कहा था कि ये कांग्रेस और CPI(M) का अंत नहीं है। उन्हें खुद को नए सिरे से खड़ा करना होगा। CPI(M) आज भी 1940 के दौर की बातें करता है। उन्हें इस दौर की मुश्किलों के बारे में सोचना होगा। अधीर रंजन अपने सिवाय किसी के लिए काम नहीं करते थे। उन्हें इस चुनाव में लोगों ने इसी का सबक सिखाया है। कांग्रेस को समझना होगा कि अधीर रंजन चौधरी से कमान लेने का समय आ गया है।
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बंगाल की जिम्मेदारी किसे देगी BJP, RSS से नहीं बनती, इसलिए सुवेंदु का अध्यक्ष बनना मुश्किल

BJP के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष रहे सुकांत मजूमदार ये बात मार्च 2024 में कहा था कि ‘हमने बंगाल से 35 सीटें जीतने का टारगेट रखा है। अगर हमें TMC से एक भी सीट ज्यादा मिलती है, तो ममता सरकार 2026 तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। यह सरकार गिर जाएगी। लोकसभा चुनाव होने वाले थे, BJP जीत के लिए पूरी तरह कॉन्फिडेंट थी। रिजल्ट आए तो पार्टी उम्मीद से बहुत कम सिर्फ 12 सीटें जीत पाई। पूरी खबर पढ़ें…

संदेशखाली फेल, करप्शन का मुद्दा फ्लॉप, बंगाल में ममता हिट, ममता की स्ट्रैटजी के सामने नहीं टिक पाई BJP

संदेशखाली केस में घिरे पार्टी के नेता, करप्शन के आरोप में ED की रेड, गुंडागर्दी के आरोप, इन सबके बावजूद पश्चिम बंगाल में ममता अडिग हैं। उनकी पार्टी TMC ने 29 सीट जीती हैं। 2019 के चुनाव में पार्टी को 22 सीटें मिली थीं। वहीं, BJP बड़े नेताओं की रैलियों और आक्रामक प्रचार के बावजूद सिर्फ 12 सीटों पर सिमट गई है। 2019 में उसे 18 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को एक सीट मिली है। कांग्रेस के साथ अलायंस में चुनाव लड़ रही CPI(M) के हिस्से एक भी सीट नहीं आई। पूरी खबर पढ़ें…

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