शरद पवार का सख्त संदेश, अजीत पवार पर इशारों में वार, बोले- जो गया, वो गया

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शरद पवार ने बीजेपी के साथ सत्ता में बैठे नेताओं से वैचारिक असहमति जताई है. उन्होंने एनसीपी के दोनों गुटों के एकजुट होने की अटकलों को खारिज किया है. पवार ने सिद्धांत आधारित राजनीति पर जोर दिया है.

शरद पवार ने कहा कि जो बीजेपी के साथ गया, वो हमारे साथ नहीं आ सकता. (Image:News18)
हाइलाइट्स
- शरद पवार ने बीजेपी के साथ सत्ता में बैठे नेताओं से असहमति जताई.
- एनसीपी के दोनों गुटों के एकजुट होने की अटकलों को खारिज किया.
- शरद पवार ने सिद्धांत आधारित राजनीति पर जोर दिया.
नई दिल्ली. महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. एनसीपी (शरद पवार गुट) के मुखिया शरद पवार ने बिना किसी का नाम लिए बड़ा राजनीतिक संकेत दे दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि जो नेता या गुट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सत्ता में बैठा है, उसके साथ उनका कोई सैद्धांतिक मेल नहीं हो सकता. हालांकि उन्होंने अजीत पवार का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान का निशाना सीधा-सीधा उसी ओर इशारा करता है.
शरद पवार ने कहा कि ‘अगर कोई सत्ता के लिए बीजेपी के साथ जाकर बैठता है, तो ये उनकी पार्टी का विचार हो सकता है, लेकिन हमारा नहीं. बीजेपी से हमारे विचार मेल नहीं खाते, इसलिए उस रास्ते पर चलने का सवाल ही नहीं उठता.’ उन्होंने आगे जोड़ा कि ‘हमें अवसरवादी राजनीति को बढ़ावा नहीं देना है. हमें वैचारिक और सिद्धांत आधारित राजनीति करनी है.’ पवार का यह बयान ऐसे समय आया है जब कभी एकजुट रही एनसीपी अब दो धड़ों में बंट चुकी है– एक अजीत पवार के साथ सत्ता में, और दूसरा शरद पवार के साथ विपक्ष में.
हाल ही में महाराष्ट्र की सियासत में यह चर्चा तेज हो गई थी कि एनसीपी के दोनों गुट शायद फिर से एक हो सकते हैं. लेकिन शरद पवार के इस बयान ने साफ कर दिया है कि बीजेपी के साथ खड़े लोगों को वह अपने पाले में नहीं देखना चाहते. यह साफ है कि पवार अब उस राजनीति को नकारते हैं जो सत्ता के लिए वैचारिक समझौते करती हो. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जो नेता भाजपा के साथ हैं, उन्हें भविष्य में कोई सियासी जगह नहीं दी जाएगी.
शरद पवार का यह बयान सिर्फ एनसीपी के भीतर का मुद्दा नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में भी एक सख्त संदेश की तरह देखा जा रहा है. पवार का कहना है कि गठबंधन की राजनीति तभी चलेगी जब विचारों की समानता होगी, सिर्फ सीट या सत्ता के लिए नहीं.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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