वो नदी जिसका कभी विवाह नहीं हुआ, अकेली जो बहती है उल्टी दिशा में, जानें कहानी
Narmada River: भारत में नदियों को देवी और मां के रूप में माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है. नदियों से लोगों की धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है और उसे देवी गंगा कहा जाता हैं. देश में अधिकांश नदियों को महिला रूप में ही दर्शाया गया है. केवल ब्रह्मपुत्र नदी एकमात्र अपवाद है, जिसे पुरुष माना जाता है. भारत में लगभग 400 नदियों का जाल है, लेकिन उल्टी दिशा में बहने वाली नदी केवल एक है, वह है नर्मदा.
प्रेम, विश्वासघात और अकेलापन
इसका मतलब यह है कि जहां एक ओर ज्यादातर नदियां पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर बहती हैं और उनका समापन बंगाल की खाड़ी में होता है. वहीं, नर्मदा नदी पूर्व दिशा से पश्चिम की ओर जाती है और उसका मिलन अरब सागर से होता है. नर्मदा नदी को ‘आकाश की बेटी’ और भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है. इस नदी के साथ प्रेम, विश्वासघात और अकेलेपन की कहानी जुड़ी हुई है. मां नर्मदा अविवाहित क्यों रहीं, इसके पीछे पौराणिक मान्यता है.
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क्यों कुंवारी है नर्मदा
लोककथाओं के अनुसार एक सुंदर राजकुमार के रूप में पहचाने जाने वाले सोनभद्र से प्यार करती थीं. नर्मदा और सोनभद्र का सुंदर मिलन होना था, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था. विवाह से पहले नर्मदा को पता चला कि सोनभद्र उनकी दासी जुहिला को पसंद करता है. दोनों प्रेमियों के दिल में गहरी दरार पैदा हो गई. दिल टूटने और धोखा खाने के बाद नर्मदा ने सोनभद्र से दूर अपने पूर्व मंगेतर के व्यक्तित्व के विपरीत पश्चिम की ओर बहने के लिए अपना रास्ता तय करने का फैसला किया. साथ ही नर्मदा ने कुंवारी रहने का फैसला किया. इसीलिए नर्मदा उल्टी दिशा में बहती है.
उल्टा बहने का वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों का मानना है कि नर्मदा नदी के उल्टे बहने की वजह रिफ्ट वैली है. जिसका मतलब है कि नदी के प्रवाह के लिए जो उसका ढलान बनता है, उल्टी दिशा में है. जिस ओर नदी का ढलान होता है, उसी दिशा में नदी का प्रवाह होता है. नर्मदा मध्य प्रदेश और गुजरात की प्रमुख नदी है.
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सबसे अनोखी नदी
नर्मदा का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपूर जिले के अमरकंटक पठार से होता है. इस नदी ने सदियों से सभ्यताओंं का पोषण किया है और अनगिनत किवंदितियों को जन्म दिया है. यह नदी लाखों लोगों के दिलों में एक पवित्र स्थान रखती है. नर्मदा नदी का बेसिन लगभग 98,796 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैला हुआ है. ताप्ती, माही, साबरमती, लूनी और कई छोटी नदियां भी पश्चिम की ओर बहती हैं. लेकिन नर्मदा अरब सागर में गिरने वाली एकमात्र प्रमुख नदी है.
पांचवीं सबसे बड़ी नदी
नर्मदा देश की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है. यह 1077 किलोमीटर का कुल मार्ग तय करती है. इस नदी को कुछ स्थानों पर रीवा नदी भी कहा जाता है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार होने वाला ओंकारेश्वर मंदिर भी नर्मदा नदी के तट पर बना हुआ है. प्रमुख नदियां जिन क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं, वहां के भूगोल, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यही भूमिका नर्मदा भी निभाती है.
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FIRST PUBLISHED : July 13, 2024, 11:11 IST