Published On: Thu, Aug 8th, 2024

वायुयान विधेयक से विमानन कानून में विसंगतियां दूर होंगीः केंद्र


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नई दिल्ली, विशेष संवाददाता केंद्रीय विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने कहा कि भारतीय वायुयान विधेयक 2024 विमानन कानून में मौजूदा विसंगतियों को दूर करेगा और इस उद्योग को बढ़ने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि विमान अधिनियम, 1934 पिछले कुछ वर्षों में अपने कई संशोधनों के कारण पुराना हो गया है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि पूरे अधिनियम को नया रूप देने की सख्त जरूरत है और यही वजह है कि सरकार ने नया कानून पेश किया है।

नायडू ने विधेयक को लोकसभा में चर्चा और पारित कराए जाने के लिए पेश करते हुए नए कानून की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य विमान के डिजाइन, निर्माण, रखरखाव, संचालन और बिक्री सहित विमानन उद्योग के विभिन्न पहलुओं को विनियमित करना है।

नए विधेयक से उद्योग का विकास

नायडू ने बताया कि 1934 के अधिनियम में 21 संशोधन किए गए, जिसके परिणामस्वरूप, विशेष रूप से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) जैसे आंतरिक संगठनों की शक्तियों और कार्यों के संबंध में अस्पष्टताएं और विरोधाभास उत्पन्न हुए। इन मुद्दों ने विमानन क्षेत्र में भ्रम पैदा किया है, जिससे संबंधित अधिकारियों के लिए प्रभावी ढंग से काम करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि नया विधेयक मौजूदा विसंगतियों को दूर करेगा और उद्योग को विकसित होने में मदद करेगा।

कांग्रेस ने हवाई किराए में वृद्धि का मुद्दा उठाया

कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह विधेयक आम आदमी के बजाय उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने पर अधिक केंद्रित है। उन्होंने हवाई किराए में बेतहाशा वृद्धि की भी आलोचना की और कहा कि खासकर खाड़ी देशों में अपनी आजीविका कमाने जाने वाले श्रमिकों की आय की दृष्टि से उन पर भारी बोझ है। उन्होंने कहा कि आठ हवाई अड्डों का स्वामित्व रखने वाला एक व्यावसायिक समूह हवाई अड्डों को संभालने वाली सबसे बड़ी निजी इकाई बन गया है, जिससे हाल के वर्षों में उसका एकाधिकार हो गया है।

पारदर्शी विमानन नीति हो

चर्चा में अनेक सांसदों ने जोर दिया कि विमान यात्रा के बढ़ते किरायों पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए और विमानन क्षेत्र के विकास के लिए एक पारदर्शी नागर विमानन नीति होनी चाहिए। सपा के राजीव राय ने कहा कि जब हवाई किराये में वृद्धि का सवाल उठता है तो सरकार का कहना होता है कि यह उसके नियंत्रण में नहीं है। अगर ऐसा है तो सरकार हवाई चप्पल पहनने वाले को विमान में बैठाने का नारा क्यों देती है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हवाई अड्डों के निजीकरण के सख्त खिलाफ है।

सत्ता पक्ष ने ऐतिहासिक निर्णय बताया

सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि विधेयक ने भारत और विश्व स्तर पर हवाई यात्रा के विकास पर एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया। वर्ष 1990 तक पायलटों के लिए अधिकांश निजी प्रशिक्षण एयरो क्लबों के माध्यम से आयोजित होते थे। उन्होंने सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जिसे 30 वर्षों से आजमाया जा रहा है। उन्होंने भारत के कानूनों को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा, हमें बिहार में एक नए हवाई अड्डे की आवश्यकता है।

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