रोहतक में लब्धि जैन के साध्वी बनने की यात्रा शुरू: रथ पर सवार होकर चली आयोजन स्थल, दीक्षा मंत्र के साथ मिलेगी नई पहचान – Rohtak News

लब्धि जैन साध्वी बनने से पूर्व जैन स्थानक में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए।
रोहतक में लब्धि जैन की साध्वी बनने की यात्रा अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। लब्धि जैन के मंगल तिलक के साथ साध्वी बनने के बीच अब कुछ घंटे ही शेष है। आयोजन स्थल पर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। दीक्षा मंत्र के साथ ही लब्धि जैन को साध्वी रूप में नए नाम
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लब्धि जैन की सुबह तिलक की रस्म होगी, जिसमें लब्धि के सभी भाई, भाभी व परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहेंगे। इसके बाद मंगल कलश व रथ यात्रा शुरू होगी। रथ पर सवार लब्धि दुल्हन के जोड़े में निकलेगी, जो रास्ते में आने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए जाएगी। साध्वी बनने से पहले यह आखिरी बार होगा, जब लब्धि शादी के लाल जोड़े में नजर आएगी।

लब्धि जैन को नोटों की माला पहनाते श्रद्धालु।
साध्वी बनने के लिए अभिमंत्रित वस्त्र करेगी धारण लब्धि जैन साध्वी बनने से पहले जैन मुनि द्वारा अभिमंत्रित किए गए वस्त्रों को धारण करेगी, जिनमें से आधे वस्त्रों पर केसर का प्रिंट करवाया गया है। वहीं, अष्टमंगल कलश वाला वस्त्र दीक्षा मंत्र के दौरान लब्धि को दिया जाएगा, साथ ही एक नई पहचान भी लब्धि को मिल जाएगी, जिससे भविष्य में लब्धि को जाना जाएगा।
गुरु महाराज के रूप में बेटी आएगी नजर लब्धि जैन की मां सेंजल का कहना है कि अभी तक लब्धि उनकी बेटी थी, लेकिन साध्वी बनने के बाद लब्धि में वह गुरु के दर्शन करेंगे। लब्धि भी उनके लिए वैसे ही पूजनीय हो जाएगी, जैसे अन्य साधु व साध्वी है। लब्धि के साध्वी बनने के बाद वह उसका भी गुरुओं की भांति ही आशीर्वाद लेंगे।

लब्धि जैन के साथ जैन साध्वी व श्रद्धालु।
गाजे बाजे के साथ निकली रथ यात्रा लब्धि जैन की सुबह तिलक रस्म के बाद गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। जैन स्थानक से लेकर आयोजन स्थल तक पूरे रास्ते श्रद्धालु नाचते हुए चले और लब्धि जैन को एक कन्या रूप में लोगों ने आशीर्वाद दिया। वहीं, साध्वी बनने के बाद जैन समाज के लोगों ने उनका आशीर्वाद लिया।

लब्धि जैन को आशीर्वाद देती जैन साध्वियां।
मोह माया का त्याग कर अपनाया संयम का रास्ता लब्धि जैन ने साध्वी बनने से पहले सभी मोह माया का त्याग कर दिया। सभी रिश्ते नाते पीछे छोड़ दिए। एक साध्वी के रूप में लब्धि का नया जीवन शुरू होने जा रहा है, जिसमें पूरा जीवन दूसरों की भलाई के लिए एक तपस्या के रूप में रहेगा। समाज में जैन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कार्य किया जाएगा।