रुपौली में अति पिछड़ा वोट बंटने से जेडीयू को नुकसान, सवर्ण और मुस्लिमों ने निर्दलीय शंकर सिंह को जिताया
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बिहार के पूर्णिया जिले की रुपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की जीत के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जिस रुपौली विधानसभा से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को सबसे ज्यादा वोट मिले, वहीं पर उपचुनाव में पार्टी को झटका मिला। बताया जा रहा है कि रुपौली में अति पिछड़ा और खासकर गंगोता जाति के वोटों का बंटवारा हुआ, इससे जेडीयू को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। निर्दलीय शंकर सिंह ने जेडीयू के कलाधर मंडल को उपचुनाव में 8211 वोटों से हरा दिया। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं।
रुपौली में पहली बार दोनों प्रमुख दल जेडीयू और आरजेडी ने गंगोता जाति के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा। जेडीयू के कलाधर और आरजेडी की बीमा भारती इसी जाति से आती हैं। रुपौली विधानसभा में गंगोता जाति के करीब 70 हजार वोट हैं, जिनका दोनों प्रत्याशियों के बीच बंटवारा हो गया।
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शंकर सिंह के समर्थन में गए सवर्ण और मुस्लिम
रुपौली उपचुनाव में निर्दलीय लड़े पूर्व विधायक शंकर सिंह के प्रति विभिन्न जातियों के लोगों ने अपना समर्थन दिया। जनता ने पार्टी लाइन से हटकर शंकर सिंह को जिताया। शंकर सिंह राजपूत समाज से आते हैं, उन्हें सवर्ण जातियों के अच्छे खासे वोट मिले जिससे एनडीए को नुकसान झेलना पड़ा। वहीं, पहली बार अल्पसंख्यकों ने भी निर्दलीय शंकर सिंह को वोट दिया। इससे आरजेडी के मुस्लिम वोट छिटककर उनके पाले में चले गए। बाहुबली रह चुके शंकर सिंह इलाके में लगातार सक्रिय रहे। 2005 में वे लोजपा से विधायक बने लेकिन उसके बाद बीमा भारती से चुनाव हारते रहे। उनकी इलाके में सुलभ उपलब्धता के चलते ही जनता ने शंकर सिंह को जिताया।
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माना जा रहा है कि लंबे समय से सत्ता में बने रहने के चलते एनडीए के नेता एवं कार्यकर्ता जनता से सीधा संपर्क नहीं साध पाए, इस कारण भी रुपौली में जेडीयू की हार हुई। इसके इतर शंकर सिंह का लगातार लोगों से मिलना जुलना होता रहा। 20 सालों से वे क्षेत्र की जनता से संपर्क में बने रहे।
इसके अलावा रुपौली में डिग्री कॉलेज की वर्षों पुरानी मांग पूरी नहीं होने से भी जेडीयू से जनता का मोहभंग हुआ। पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान मंत्री लेशी सिंह ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने यह मांग रखी थी। मगर निर्दलीय शंकर सिंह इस मुद्दे को जनता के बीच ले गए, जिसका उन्हें फायदा हुआ।
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दरअसल, रुपौली उपचुनाव को एनडीए ने हाई प्रोफाइल चुनाव बना दिया था। सीएम नीतीश से लेकर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एवं जीतनराम मांझी समेत अन्य मंत्रियों का चुनावी अखाड़े में कूदना भी लोगों को रास नहीं आया। इसके इतर शंकर सिंह गली-कूचों में जाकर लोगों से वोट मांगते रहे और उन्हें जनता ने जिताकर दूसरी बार विधायक बना दिया।