Published On: Tue, Jun 3rd, 2025

राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार के बिलों को मंजूरी दी: CM स्टालिन बोले- गवर्नर सुप्रीम कोर्ट से डर गए; SC ने बिल रोकने को अवैध बताया था


चेन्नई27 मिनट पहले

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तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सरकार की ओर से पारित 2 बिलों को मंजूरी दे दी है। इनसे 12,000 से ज्यादा दिव्यांगजनों को शहरी और स्थानीय निकायों में नामांकन का अधिकार मिलेगा। ये बिल लंबे समय से राजभवन में लंबित थे।

राज्यपाल के इस फैसले पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा- यह मंजूरी मिलनी ही थी। राज्यपाल को डर था कि अगर फिर से बिलों को रोका तो हम सुप्रीम कोर्ट चले जाएंगे।

8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के मामले पर राज्यपाल के अधिकार की सीमा तय कर दी थी। बेंच ने कहा था- राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है। साथ ही सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध भी बताया था।

कोर्ट ने कहा था कि यह मनमाना कदम है और कानून के नजरिए से सही नहीं है। राज्यपाल को राज्य की विधानसभा को मदद और सलाह देनी चाहिए थी। आदेश दिया कि विधानसभा से पास बिल पर राज्यपाल एक महीने के भीतर कदम उठाएं।

फोटो 18 नवंबर 2023 की है। जब CM एमके स्टालिन ने विधानसभा के विशेष सत्र में 10 बिल पास किए थे। इन्हीं को लेकर विवाद शुरू हुआ था।

फोटो 18 नवंबर 2023 की है। जब CM एमके स्टालिन ने विधानसभा के विशेष सत्र में 10 बिल पास किए थे। इन्हीं को लेकर विवाद शुरू हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की तरफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। इसमें कहा गया था कि राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य के जरूरी बिलों को रोककर रखा है। बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में काम कर चुके पूर्व IPS अधिकारी आरएन रवि ने 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल का पद संभाला था।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को 2 निर्देश दिए थे 1. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को निर्देश दिया कि उन्हें अपने विकल्पों का इस्तेमाल तय समय-सीमा में करना होगा, वरना उनके उठाए गए कदमों की कानूनी समीक्षा की जाएगी।

2. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल बिल रोकें या राष्ट्रपति के पास भेजें, उन्हें यह काम मंत्रिपरिषद की सलाह से एक महीने के अंदर करना होगा। विधानसभा बिल को दोबारा पास कर भेजती है, तो राज्यपाल को एक महीने के अंदर मंजूरी देनी होगी।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह राज्यपाल की शक्तियों को कमजोर नहीं कर रहा, लेकिन राज्यपाल की सारी कार्रवाई संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुसार होनी चाहिए।

तमिलनाडु सरकार ने विशेष सत्र में पारित किए गए थे बिल राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पारित 12 में से 10 बिलों को 13 नवंबर 2023 को बिना कारण बताए विधानसभा में लौटा दिया था और 2 बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। इसके बाद 18 नवंबर को तमिलनाडु विधानसभा के विशेष सत्र में इन 10 बिलों को फिर से पारित किया गया और गवर्नर की मंजूरी के लिए गवर्नर सेक्रेटेरिएट भेजा गया।

बिल पर साइन न करने का विवाद नवंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच था। सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका में राज्य सरकार ने मांग की कि राज्यपाल इन सभी बिलों पर जल्द से जल्द सहमति दें। याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल का ये रवैया गैरकानूनी है और इन बिलों को लटकाने, अटकाने से डेमोक्रेसी की हार होती है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा था- मुद्दा सुलझाने के लिए गवर्नर को सीएम के एक साथ बैठकर चर्चा करनी चाहिए।

स्टालिन बोले थे- सभी राज्य सरकारों की जीत हुई CM एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया था। उन्होंने कहा-

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यह सिर्फ तमिलनाडु नहीं, बल्कि पूरे देश की राज्य सरकारों की जीत है। अब ये बिल राज्यपाल की मंजूरी वाले माने जाएंगे।

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स्टालिन ने विधानसभा में कहा था कि विधानसभा में पारित कई विधेयकों को राज्यपाल ने लौटा दिया था। इन्हें दोबारा पारित कर राज्यपाल को भेजा गया, लेकिन उन्होंने न मंजूरी दी और न ही कोई कारण बताया। संविधान के अनुसार, जब कोई बिल दोबारा पारित हो जाता है तो राज्यपाल को उस पर मंजूरी देनी होती है। लेकिन उन्होंने जानबूझकर देरी की।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच 2021 से विवाद

राज्यपाल और स्टालिन सरकार के बीच 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही खराब रिश्ते रहे हैं। DMK सरकार ने उन पर भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करने और विधेयकों और नियुक्तियों को रोकने का आरोप लगाया है। राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें किसी कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार का विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच गया है।

6 जनवरी को राज्यपाल ने विधानसभा से वॉकआउट किया था

तमिलनाडु विधानसभा से वॉकओवर करते राज्यपाल आरएन रवि।

तमिलनाडु विधानसभा से वॉकओवर करते राज्यपाल आरएन रवि।

तमिलनाडु विधानसभा सत्र के पहले दिन 6 जनवरी को राज्यपाल ने बिना संबोधन के वॉकआउट कर दिया था। जिसका राज्य के CM समेत अन्य मंत्रियों ने भी विरोध किया। स्टालिन ने यह भी कहा था कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। इस पर गवर्नर ने रविवार को कहा- CM स्टालिन का अहंकार ठीक नहीं है।

दरअसल, सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है, लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए। राजभवन ने कहा- राज्यपाल ने सदन से राष्ट्रगान गाने की अपील की, ​​लेकिन मना कर दिया गया। यह चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए।

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नई शिक्षा नीति (NEP) और ट्राय लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच विवाद चल रहा है। इस बीच तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने राज्य के बजट से ₹ का सिंबल बदलकर तमिल भाषा में कर दिया है। तमिलनाडु में DMK की सरकार है और एम के स्टालिन यहां के CM हैं। सरकार ने 2025-26 के बजट में ‘₹’ का सिंबल ‘ரூ’ सिंबल से रिप्लेस कर दिया। यह तमिल लिपी का अक्षर ‘रु’ है। पूरी खबर पढ़ें…

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