Published On: Sun, Jun 8th, 2025

राजस्थान में छोटे बांधों के रखरखाव को लेकर बड़ा बदलाव, अब इस विभाग को मिली जिम्मेदारी, ये शर्तें शामिल


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Pali News: राजस्थान सरकार ने राज्य के 300 हेक्टेयर तक के छोटे बांधों का जिम्मा पंचायतीराज संस्थाओं से हटाकर सिंचाई विभाग को सौंपने का निर्णय लिया है. इससे 3,236 बांधों और तालाबों का प्रबंधन अब जल संसाधन विभाग क…और पढ़ें

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राजस्थान
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राजस्थान के पाली जिले का हेमावास बांध

हाइलाइट्स

  • राजस्थान में छोटे बांधों का जिम्मा सिंचाई विभाग को सौंपा गया.
  • 3,236 बांधों का प्रबंधन अब जल संसाधन विभाग करेगा.
  • मानसून से पहले बांधों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है.

पाली. राजस्थान में मानसून सक्रिय होने से पहले एक बड़ी खबर सामने आई है. राज्य के 300 हेक्टेयर तक के छोटे बांधों का जिम्मा अब सिंचाई विभाग संभालेगा. प्रदेश के 3,236 बांधों को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव है. हस्तांतरण के बाद इन बांधों की जल संरचनाओं का प्रबंधन सिंचाई विभाग करेगा. इन बांधों का भौतिक सत्यापन सिंचाई विभाग ने शुरू कर दिया है. हस्तांतरण के बाद बांधों और तालाबों की मरम्मत, रखरखाव, आय प्राप्ति और जल उपयोग का जिम्मा जल संसाधन विभाग के अधीन रहेगा.

पहले इनकी देखभाल पंचायतीराज संस्थाओं के जिम्मे थी, जो अब सिंचाई विभाग को सौंप दी गई है. सिंचाई विभाग पाली के अधीक्षण अभियंता रामनारायण चौधरी के अनुसार, सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं के बांधों के हस्तांतरण के आदेश जारी कर दिए हैं, जिसमें पाली के बांध भी शामिल हैं.

मानसून के दौरान रखरखाव में आ सकती है मुश्किलें

वर्ष 2001 और 2003 से पंचायतीराज संस्थाओं के अधीन थे सरकार ने 13 फरवरी 2001 और 30 जून 2003 को 80 हेक्टेयर के 2,191 बांध और तालाब तथा 300 हेक्टेयर तक के 1,045 बांध और तालाब पंचायतीराज संस्थाओं को सौंपे थे. उस समय इन बांधों पर कार्यरत कर्मचारी भी पंचायतीराज में चले गए थे. अब बांधों को वापस सिंचाई विभाग में लेने पर वे कर्मचारी भी सिंचाई विभाग में आ जाएंगे, जो उनका मूल विभाग है. इससे कुछ नए प्रयोग भी देखने को मिल सकते हैं. सिंचाई विभाग अब मानसून आने से पहले बांधों और तालाबों का रखरखाव करेगा. समस्या यह है कि मानसून आने में कम समय बचा है, जिससे रख-रखाव मुश्किल हो सकता है.

हस्तांतरण प्रमाण पत्र में ये शर्तें शामिल

पंचायतीराज संस्थाओं के बांधों का भौतिक सत्यापन सिंचाई विभाग के एक्सईएन और पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा. यह कार्य मानसून से पहले करना होगा ताकि बांधों और तालाबों का रखरखाव हो सके. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मानसून आने में कम समय बचा है. वहीं हस्तांतरण प्रमाण पत्र में बांध या तालाब का नाम, गांव, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, तहसील और जिले का नाम लिखा होगा. इसके साथ ही अक्षांश और देशांतर, सिंचित क्षेत्र, भराव क्षमता, मुख्य नहर की लंबाई, मिट्टी के पाल की स्थिति, डूब क्षेत्र में सिल्ट भराव की स्थिति, स्पिलवे, स्लयूज की स्थिति और नहरी तंत्र के हालात अंकित कर प्रमाण पत्र देना होगा. इसके अलावा दस साल की जल आवक भी बतानी होगी.

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छोटे बांधों को लेकर बड़ा फैसला, इस विभाग को मिली प्रबंधन की जिम्मेदारी

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