राजस्थान को बना दिया हिमाचल… रेगिस्तान में उगे सेब, 45 डिग्री तापमान में किसान ने किया कमाल!

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Agriculture News: अजमेर के फतेह सिंह रावत ने जलवायु अनुकूल न होने के बावजूद 45 डिग्री तापमान में सेब उगाकर मिसाल पेश की है. उन्होंने जैविक खेती अपनाते हुए माखुपुरा की पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाया. उनके प्रयास ने …और पढ़ें

अजमेर के माखुपुरा में लगाए हिमाचल प्रदेश के सेब के पेड़
हाइलाइट्स
- फतेह सिंह रावत ने पथरीली जमीन पर सेब उगाए.
- हरमन शर्मा ने 45 डिग्री तापमान में फल देने वाले पौधे विकसित किए.
- बेरोजगार युवा इस तकनीक से रोजगार शुरू कर सकते हैं.
अजमेर. जब कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति पूरी निष्ठा और संकल्प के साथ आगे बढ़ता है, तो रास्ते की हर कठिनाई उसके हौसले के आगे छोटी पड़ जाती है. यह साबित किया है अजमेर जिले के हाथीखेड़ा निवासी फतेह सिंह रावत ने. उन्होंने माखुपुरा की पथरीली जमीन पर, जहां अनुकूल जलवायु नहीं है, हिमाचल की जलवायु में उगने वाले सेब के पेड़ लगाए हैं. खास बात यह है कि 45 डिग्री तापमान में भी दो साल पहले लगाए गए इन पौधों पर फल आने लगे हैं.
रावत ने बताया कि उन्होंने भिवाड़ी की एक नर्सरी से सेब के पौधे दो साल पहले खरीदे थे. हरिमन 99 और डोरसेट गोल्डन किस्म के पौधे उन्होंने लगाए हैं. यह किस्में वैज्ञानिक हरमन शर्मा द्वारा विकसित की गई हैं. ये पौधे 45 डिग्री तापमान में भी फल देने की क्षमता रखते हैं.
किसानों को दिया नया संदेश
फतेह सिंह रावत का उद्देश्य है कि जिले के किसान पारंपरिक गेहूं और धान के अलावा भी नई फसलों की ओर ध्यान दें. उन्होंने बताया कि जिस जमीन पर उन्होंने सेब उगाए हैं, वह पहले उपजाऊ नहीं थी, लेकिन कड़ी मेहनत और जैविक विधियों से उन्होंने इसे खेती योग्य बनाया. रावत रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते. उनका मानना है कि जैविक खेती से उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर होती है और यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. उनका कहना है कि बेरोजगार युवा भी इस तकनीक से रोजगार शुरू कर सकते हैं.
पहले साल में ही मिला परिणाम
रावत ने बताया कि पौधे लगाने के बाद पहले ही साल एक पेड़ पर 7 से 10 सेब लगे थे. इस साल उनके पेड़ों पर 5 से 7 किलो सेब आ चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनके खेत में सेब के अलावा आम, आड़ू, चीकू और बादाम के भी कई किस्मों के पौधे लगे हुए हैं.