Published On: Tue, Nov 19th, 2024

राजस्थान के अग्निवीर को पहली बार मिला शहीद का दर्जा: आतंकियों ने सिर में मारी थी गोली; पैरा स्पेशल फोर्स का हिस्सा थे – Alwar News


जितेंद्र सिंह राजस्थान के पहले अग्नवीर होंगे, जिन्हें शहीद का दर्जा दिया जाएगा। वे 2022 की अग्निवीर भर्ती में सेना में शामिल हुए थे। जितेंद्र मई-2024 में जम्मू कश्मीर के पूंछ के राजौरी इलाके में आतंकी सर्च ऑपरेशन के दौरान गोली लगने से शहीद हो गए थे।

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सोमवार को अलवर जिले के रैणी क्षेत्र के नवलपुरा मोरोड गांव में उनके परिवार को शहीद के दर्जे का पत्र सौंपा गया। अब राज्य सरकार के जरिए शहीद को मिलने वाला पैकेज उनके परिजनों को दिया जाएगा। परिजनों को केंद्र सरकार और पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से दो करोड़ रुपए मिल चुके हैं।

सर्च ऑपरेशन में लगी थी गोली गांव के पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया- कमांडिंग ऑफिसर कर्नल तरुण देव ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव सुधांशु पंत के नाम पर पत्र लेटर जारी कर अग्निवीर जितेंद्र सिंह को शहीद माना। परिजनों ने बताया- 29 दिसंबर 2022 को जितेंद्र सिंह अग्निवीर में भर्ती हुए थे।

इसके बाद उन्हें 3 पैरा स्पेशल फोर्स का हिस्सा बनाया गया था। उन्होंने इसके लिए बेंगलुरु में 1 साल की स्पेशल ट्रेनिंग भी ली थी। 29 फरवरी 2024 को पहली बार उसकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई थी। 9 मई 2024 को जम्मू कश्मीर के पुंछ राजौरी इलाके में जितेंद्र को सेना की टुकड़ी के साथ आतंकी सर्च ऑपरेशन में भेजा गया था। इस दौरान गोली लगने से जितेंद्र शहीद हो गए थे। एक गोली जितेंद्र सिंह के सिर में लगी व दूसरी गोली उसकी कमर को छूकर निकल गई थी।

ग्रामीण आपस में सहयोग कर जितेंद्र की स्मृति में शहीद पार्क डेवलप कर रहे हैं।

ग्रामीण आपस में सहयोग कर जितेंद्र की स्मृति में शहीद पार्क डेवलप कर रहे हैं।

2 करोड़ मिल चुके जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों ने बताया कि उनके पास आर्मी हेडक्वार्टर से पत्र आया था। जिसे जयपुर निदेशालय भेज दिया है। इसमें लिखा था कि अग्निवीर जितेंद्र सिंह को शहीद का दर्जा दिया गया है। केंद्र सरकार से मिली सहायता में जितेंद्र सिंह को 1 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं पंजाब नेशनल बैंक की ओर से 1 करोड़ रुपए की सहायता मिली है।

ये हैं शहीद जितेंद्र सिंह के मेडल, जो उन्होंने स्कूल में खेल में जीते थे।

ये हैं शहीद जितेंद्र सिंह के मेडल, जो उन्होंने स्कूल में खेल में जीते थे।

सात महीने बाद मिला शहीद का दर्जा गांव के पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया- पहले उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया गया था। इस मामले पर सेना की तरफ से एक जांच करवाई गई थी। जितेंद्र ने 17 महीने सेना में नौकरी की। परिजनों का कहना है कि वे सेना में भर्ती होने के लिए दिन में मजदूरी करते और शाम को तैयारी करते थे।

उनका परिवार राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मिला था और शहीद के दर्जे को लेकर बात की थी। मुख्यमंत्री ने जितेंद्र सिंह के परिवार को कारगिल शहीद का पैकेज देने की बात कही थी और सम्मान भी किया था। गांव में जितेंद्र सिंह के नाम पर एक शहीद स्मारक बनाया जा रहा है। पिता मगन सिंह का निधन हो चुका है। उनका बड़ा भाई सुनील खेती करता है। मां सरोज देवी बार-बार बेटे को याद कर गमगीन हो जाती हैं।

राहुल गांधी ने संसद में उठाया था मुद्दा, उसके बाद मिली मदद 1 जुलाई 2024 : राहुल गांधी ने संसद में अग्निवीर को शहीद का दर्जा न देने का मसला उठाया था। उन्होंने कहा था, ‘पूरा देश जानता है कि ये सेना की स्कीम है। सेना जानती है कि ये स्कीम सेना की नहीं, पीएम का ब्रेन चाइल्ड है। अग्निवीर जवानों के खिलाफ, सेना के खिलाफ है।’

इसके बाद राजनाथ सिंह ने कहा था कि सरहद पर अगर कोई अग्निवीर शहीद हो जाता है, तो उसे एक करोड़ रुपए मिलता है।

4 जुलाई 2024: रक्षा मंत्रालय से शहीद जितेंद्र के भाई के पास फोन आया कि जल्द ही आपके खाते में 48 लाख रुपए जमा करा दिए जाएंगे। उसके कुछ समय बाद पैसे खाते में जमा किए गए।

इस बीच राज्य सैनिक कल्याण विभाग ने जितेंद्र के कैजुअल्टी प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से मांगे, ताकि उस आधार पर राज्य सरकार की तरफ से भी मदद की जा सके।

राजस्थान में कारगिल पैकेज के तहत शहीद को मिलते हैं तीन विकल्प..

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