यमुनानगर से लापता 8 साल का बच्चा यूपी में मिला: बिहार नानी के पास जाने के लिए 2 रुपए जेब में लेकर निकला, दो दिन भूखा रह कई किमी पैदल चला – Yamunanagar News

यमुनानगर से नानी के प्रति स्नेह और एक बड़ी लापरवाही की कहानी सामने आई है। एक 8 साल का बच्चा जेब में दो रुपए का सिक्का रख 1200 किलोमीटर दूर बिहार में रह रही अपनी नानी से मिलने अकेला ही घर से निकल पड़ा और गुम हो गया। पुलिस में मामला भी दर्ज हुआ।
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वह नंगे पांव पैदल ही अपने घर से 10 किलोमीटर दूर यमुनानगर रेलवे स्टेशन पहुंचा और यहां से प्लेटफार्म नंबर एक पर आकर रुकी पहली ट्रेन में ही चढ़ गया। रास्ते में किसी यात्री से पूछा कि क्या यह ट्रेन मेरी नानी के गांव बिहार के शंभू चौक जाएगी? मना करने पर वह उत्तरप्रदेश के बिजनौर में उतर गया और यहां से भूखे पेट 15 किलोमीटर पैदल चल गांव बिल्लारपुर पहुंच गया। जहां की पंचायत ने उसे अपने पास रख लिया।

बच्चे से वीडियो कॉल पर बात कर भावुक ही मां रेणु। बोली- इसे आगे मत भेजना अपने पास रखना। हम लेने आ रहे हैं।
जहां एक परिवार ने दो दिन उसे अपने पास रखा और सोशल मीडिया के माध्यम से किसी तरह परिजनों से संपर्क कर बच्चे को उन्हें सुपुर्द किया। राहुल के पिता संदेश यादव निवासी गांव कलईया जिला बारा (नेपाल) ने बताया कि 27 मई की शाम करीब साढ़े 6 बजे बड़ा बेटा राहुल घर के सामने गली में ही खेल रहा था। मैं और पत्नी प्लाइवुड फैक्ट्री में अपने काम कर रहे थे।
काम से छुट्टी करके मैं करीब 8 बजे वापिस आई तो राहुल न तो गली में मिला और न ही घर पर। हमें शक हुआ कहीं कोई उसे किडनैप तो नहीं कर ले गया। संदेश ने बताया कि राहुल बिहार में बचपन से अपनी नानी के पास ही रहा है अभी 10 दिन पहले ही उसे यहां अपने पास लेकर आए थे। सोचा रहे थे कि अब राहुल हमारे साथ ही रहेगा तो इसका यहां पहली कक्षा में एडमिशन करा देते हैं। ऐसे में वह अचानक से लापता हो गया।
ऐसे में मिला राहुल
राहुल के लापता होने का समाचार दैनिक भास्कर पर प्रकाशित किया गया। लोगों द्वारा इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया गया। करनाल से महिला ने 29 मई की रात उस पोस्ट को शेयर किया। महिला का जीजा उत्तरप्रदेश के गांव बल्लाशेरपुर गांव में रहता है जहां राहुल रुका हुआ था। उसने सुबह महिला द्वारा शेयर की गई पोस्ट में राहुल को देखा तो उससे संपर्क किया।
संपर्क के दौरान राहुल की फोटो शेयर करने वाले से संपर्क किया गया और फिर यमुनानगर दैनिक भास्कर से बातचीत कर परिजनों से राहुल की बातचीत हुई। वीडियो कॉल पर कन्फर्म कर राहुल के माता पिता और मामा 30 मई को घर से निकले और 31 को उसे वापस यमुनानगर लेकर लौटे।
पूरी कहानी राहुल की जुबानी
राहुल ने बताया कि वह बिहार के कल्याणपुर में नानी के घर जाना चाहता था। उसे डर था कि मम्मी पापा उसके कहने पर उसे वहां लेकर नहीं जाएंगे। वह 27 मई की शाम 5 बजे अपने घर के बाहर खेल रहा था। आसपास कोई नहीं होने का फायदा उठाकर वह नंगे पांव पैदल ही स्टेशन की ओर निकल पड़ा।
जेब में सिर्फ दो रुपए थे। उसे स्टेशन पहुंचने में डेढ़ घंटा लग गया। कुछ देर इंतजार के बाद पहले प्लेटफार्म पर ट्रेन आई तो उसमें चढ़ गया। रात भर सफर कर सुबह 5 बजे ट्रेन में एक अंकल से पूछा कि क्या यह ट्रेन मेरी नानी के गांव बिहार स्थित शंभू चौक जाएगी।
अंकल ने मना कर दिया तो वह वहीं उत्तरप्रदेश के बिजनौर जिले में पर ट्रेन से उतर गया। यहां पर उसे भूख लगी तो मम्मी की याद आई और रोने लगा। थोड़ी ही देर में स्टेशन से बाहर निकल पैदल ही चलने लगा और ऐसे पैदल रुकते-चलते शाम के छह बज गए।
वह गांव बल्लाशेरपुर पहुंचा, जहां गली में घूम रहे बच्चों के साथ खेलने लगा। उसने बच्चों से पूछा कि कल्याणपुर किस तरफ पड़ेगा। वहां एक बच्चे की मां ने अनजान बच्चे को देख उससे उसके बारे में पूछा कि वह कहां से आया है और उसे कहां जाना है। ऐसे में राहुल ने सारी बात उनको बताई। दो दिन से भूखे राहुल को जब महिला ने बिस्किट खिलाया तो वह बेहोश हो गया। ऐसे में गांव के विश्णु डॉक्टर बुलाकर उसका इलाज कराया और फिर खाना खिलाया।