Published On: Sun, Dec 29th, 2024

मुंबई की काम्या ने अंटार्कटिका की माउंट विंसेंट फतह की: सातों महाद्वीप की ऊंची चोटियां फतेह करने वालीं दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला माउंटेनियर


मुंबई1 घंटे पहले

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काम्या ने 24 दिसंबर को माउंट विंसेंट की चोटी पर तिरंगा फहराया। - Dainik Bhaskar

काम्या ने 24 दिसंबर को माउंट विंसेंट की चोटी पर तिरंगा फहराया।

मुंबई की काम्या कार्तिकेयन (16) सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों फतेह करने वालीं दुनिया की सबसे कम उम्र की माउंटेनियर (महिला केटेगरी) बन गई हैं।

उन्होंने 24 दिसंबर को अपने पिता सेना कमांडर एस कार्तिकेयन के साथ अंटार्कटिका महाद्वीप के चिली देश में मौजूद माउंट विंसेंट चोटी फतेह करने के साथ ये उपलब्धि हासिल की।

माउंट विंसेंट की ऊंचाई 4 हजार 892 मीटर यानी 16 हजार 50 फुट है। यह सेंटिनल रेंज के मुख्य रिज के दक्षिणी भाग में स्थित है।

काम्या मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल में 12वीं की स्टूडेंट हैं। वे माउंट विंसेंट से पहले अन्य 6 महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां फतेह कर चुकी हैं।

काम्या की माउंट विंसेंट फतेह की तस्वीरें…

अपने पिता के साथ माउंट विंसेंट चोटी पर काम्या कार्तिकेयन।

अपने पिता के साथ माउंट विंसेंट चोटी पर काम्या कार्तिकेयन।

काम्या ने सातों महाद्वीप में मौजूद सबसे ऊंची चोटियां फतेह की हैं।

काम्या ने सातों महाद्वीप में मौजूद सबसे ऊंची चोटियां फतेह की हैं।

काम्या माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय काम्या ने इसी साल 23 मई को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर नया रिकॉर्ड बनाया था। वह नेपाल की ओर से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही बनी थीं।

काम्या माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही भी हैं।

12 साल की उम्र में माउंट एकांकागुआ पर चढ़ाई की थी 12 साल की उम्र में काम्या ने माउंट एकांकागुआ पर चढ़ाई की थी। इसे फतह करने वालीं वे दुनिया की सबसे युवा पर्वतारोही थीं।

अर्जेंटीना की एंडीज पर्वतमाला में स्थित माउंट एकांकागुआ दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप का सबसे उंचा पर्वत है। इसकी ऊंचाई 6962 मीटर है।

काम्या ने 24 अगस्त 2019 को लद्दाख में 6260 मीटर उंचे माउंट मेंटोक कांग्री द्वितीय पर चढ़ाई पूरी की थी। तब भी ऐसा करने वाली वह सबसे युवा पर्वतारोही थीं।

तीन साल की उम्र में ट्रैकिंग शुरू की

काम्या जब 3 साल की थीं तब उन्होंने लोनावाला (पुणे) में बेसिक ट्रैक पर चढ़ना शुरू किया था। जब वह 9 साल की हुईं, तो उन्होंने अपने माता-पिता के साथ हिमालय की कई ऊंची चोटियों को फतह किया।

इनमें उत्तराखंड का रूपकुंड भी शामिल है। एक साल बाद वह नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप (5346 मीटर) पहुंचीं। 2019 में लद्दाख के माउंट स्टोक कांग्री (6153 मीटर) पर चढ़ाई पूरी की थी।

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एवरेस्ट के डेथ जोन में फंस गई थीं ज्योति रात्रे: कहा- 3 दिन -20 डिग्री में गीले स्लीपिंग बैग में सोईं, हर 3 घंटे में साफ करना पड़ता था टेंट

कैंप 4 के नजदीक थे, तभी पता चला कि अगले 3 दिन मौसम बहुत खराब रहने वाला है। हमें 7,800 मीटर पर रुकना पड़ा। यह इलाका डेथटेंट जोन कहलाता है। यहां हालात बहुत खराब थे। बाहर नहीं निकल पाते थे। आंधी की वजह से बर्फ टेंट के अंदर आ रही थी। वह हमारे को ढक देती थी। ऐसे में हमें हर 3 घंटे सफाई करनी पड़ी थी। यहां पर करीब -20 डिग्री टैम्परेचर था। इस तरह से 3 दिन और 4 रातें काटींं। पूरी खबर पढ़ें…

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