मिलिए 28 साल के इस शख्स से जो सोशल मीडिया पर देते हैं सफल बिजनेस टिप्स! रतन टाटा भी लेते हैं सलाह, मानते हैं बात

Last Updated:
आज हम आपके लिए एक ऐसे नौजवान के बारे में बता रहे हैं जिसने कम्र उम्र में बिजनेस इंडस्ट्री (Business Industry) में एक नया मुकाम बनाया है. दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा (Ratan Tata) भी इनके आइडियाज के फैन हैं.

आज हम आपके लिए एक ऐसे नौजवान के बारे में बता रहे हैं जिसने कम्र उम्र में बिजनेस इंडस्ट्री (Business Industry) में एक नया मुकाम बनाया है.
नई दिल्ली. आज हम आपके लिए एक ऐसे नौजवान के बारे में बता रहे हैं जिसने कम्र उम्र में बिजनेस इंडस्ट्री (Business Industry) में एक नया मुकाम बनाया है. दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा (Ratan Tata) भी इनके आइडियाज के फैन हैं. ये शख्स हैं- 28 साल के शांतनु नायडू (Shantanu Naidu). दिग्गज बिजनेस लीडर और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा अपने पर्सनल निवेश जिन स्टार्टअप्स (Startups) में करते हैं, उनके पीछे 28 साल के शांतनु नायडू का दिमाग होता है. उनके काम ने टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का दिल जीत लिया. आइए पढ़ें शांतनु की कहानी…
नायडू अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर हर रविवार को ‘ऑन योर स्पार्क्स’ के साथ लाइव आते हैं. उन्होंने अब तक सात सत्रों में भाग लिया है. नायडू ‘ऑन योर स्पार्क्स’ वेबिनार के लिए प्रति व्यक्ति 500 रुपये चार्ज करते हैं. उनकी कंपनी मोटोपॉज (Motopaws )है, जो कुत्ते के कॉलर का डिजाइन और निर्माण करती है जो अंधेरे में चमकते हैं ताकि उनके जीवन को चलाने से बचाया जा सके. Motopaws का कारोबार आज 20 से अधिक शहरों और चार देशों में फैला है.
शांतनु बताते हैं कि रास्ते में गाड़ियों की तेज रफ्तार की चपेट में आकर बहुत से कुत्तों को मरते देखा. यह बेहद पीड़ादायक था. पता चला कि समय रहते ड्राइवर कुत्तों को नहीं देख पाते हैं, यह दुर्घटनाओं का बड़ा कारण था. इससे शांतनु को कुत्तों के लिए एक कॉलर रिफलेक्टर बनाने का आइडिया आया. कुछ प्रयोग के बाद मेटापॉज नाम से कॉलर बना दी. इससे ड्राइवर रात में स्ट्रीट लाइट के बगैर भी कुत्तों को दूर से देख सकते थे. अब स्ट्रीट डॉग्स की जान बच रही थी. इस छोटे से लेकिन महत्वपूर्ण काम के बारे में टाटा समूह की कंपनियों के न्यूजलेटर में लिखा गया. रतन टाटा की इस पर नजर पड़ी, जो खुद भी कुत्तों से काफी लगाव रखते हैं.
पिता के कहने पर शांतनु ने एक दिन टाटा काे पत्र लिख दिया. फिर उन्हें रतन टाटा से मिलने का न्योता मिला. शांतनु अपने परिवार की पांचवी पीढ़ी है, जो टाटा ग्रुप में काम कर रही है. लेकिन कभी टाटा से मिलने का मौका नहीं मिला. मुलाकात में टाटा ने स्ट्रीट डॉग्स प्राजेक्ट की मदद के लिए पूछा लेकिन शांतनु ने मना कर दिया. टाटा ने जोर दिया और एक अघोषित निवेश किया. रतन टाटा के पैसा लगाने के बाद मोटोपॉज की पहुंच देश के 11 अलग-अलग शहरों तक हो गई है. इसी बहाने टाटा से लगातार मुलाकात होती रही.
2018 में मिला टाटा के ऑफिस ज्वाइन करने का न्यौता
एक दिन शांतनु ने रतन टाटा को कॉर्नेल में एमबीए करने की बात बताई. कॉर्नेल में एडमिशन भी मिल गया. एमबीए के दौरान पूरा ध्यान उद्यमिता, निवेश, नए स्टार्टअप के साथ-साथ क्रेडिबल स्टार्टअप्स की खोज, इंटरेस्टिंग बिजनेस आइडियाज और मुख्य इंडस्ट्री ट्रेंड्स खोजने पर था. कोर्स खत्म करने के बाद साल 2018 में टाटा की ओर से अपना ऑफिस जॉइन करने का न्यौता आ गया. शांतनु कहते हैं कि उनके साथ काम करना सम्मान की बात है. इस तरह का मौका जिंदगी में एक ही बार मिलता है. उनके साथ रहकर हर मिनट कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है. कभी जेनरेशन गैप जैसी बात महसूस नहीं की.वह आपको कभी यह महसूस नहीं होने देते कि आप रतन टाटा के साथ काम कर रहे हैं.
स्टार्टअप्स को भी मिलता है टाटा के अनुभव का फायदा
81 साल के रतन टाटा का देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम में गहरा विश्वास है. जून 2016 में रतन टाटा की प्राइवेट इनवेस्टमेंट कंपनी आरएनटी असोसिएट्स और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ऑफ द रीजेंट्स ने भारत में यूसी-आरएनटी फंड्स’ के रूप में नए स्टार्टअप, नई कंपनियों और अन्य उद्यमों को फंड देने के लिए हाथ मिलाया था. हालांकि, रतन टाटा के ज्यादातर निवेशों की रकम के बारे में जानकारी नहीं है लेकिन जो भी स्टार्टअप उन्हें अपने साथ लाने में सफल होते हैं, उन्हें वित्तीय मदद से हटकर रतन टाटा के अनुभव का खजाना मिल जाता है.