मानहानि केस- केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: ध्रुव राठी का वीडियो रीट्वीट करने के मामले में हाईकोर्ट के समन को चुनौती दी थी
नई दिल्ली10 मिनट पहले
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केजरीवाल ने मई 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी की तरफ से सर्कुलेट किए गए मानहानिकारक वीडियो को रीट्वीट किया था।
सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई होगी। मई 2018 में केजरीवाल ने यूट्यूबर ध्रुव राठी की तरफ से सर्कुलेट किए गए मानहानिकारक वीडियो को रीट्वीट किया था।
इसे लेकर केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया गया और दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें समन भेजा था। केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के समन को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर. महादेवन की बेंच इस मामले की सुनवाई कर सकती है। इस मामले में केजरीवाल पहले ही स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने वीडियो रीट्वीट करके गलती की थी।
11 मार्च को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल से पूछा था कि क्या वह इस मामले में शिकायतकर्ता से माफी मांगना चाहते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह शिकायतकर्ता पर निर्भर करेगा कि वह इस माफीनामा को स्वीकार करता है या नहीं।
11 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल से पूछा था कि क्या वह इस मामले में शिकायतकर्ता से माफी मांगना चाहते हैं।
मई 2018 का है मामला
ध्रुव राठी ने 2018 में एक ट्वीट करते हुए ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नाम के ट्विटर पेज के संस्थापक और संचालक पर बीजेपी आईटी सेल पार्ट-2 जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया था। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने इस ट्वीट को रीट्वीट कर दिया था। इस वीडियो में विकास सांकृत्यायन नाम के व्यक्ति के बारे में अपमानजनक बातें कही गई थीं।
मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने यह कहते हुए मुकदमा रद्द करने से मना कर दिया था कि ट्वीटर पर केजरीवाल को बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं। उन्होंने शिकायतकर्ता के खिलाफ कही गईं अपमानजनक बातों की पुष्टि किए बिना उसे रीट्वीट किया और करोड़ों लोगों तक फैलाया।
सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से पूछा था- क्या वे मामला बंद करना चाहते हैं
केजरीवाल ने 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उन्होंने भाजपा आईटी सेल से संबंधित कथित मानहानि वाले वीडियो को रीट्वीट करके गलती की थी। शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि केजरीवाल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे कि X (पहले ट्विटर) या इंस्टाग्राम पर माफी जारी कर सकते हैं।
26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किए बिना, शिकायतकर्ता से पूछा था कि केजरीवाल ने अपनी गलती मान ली है, तो क्या अब वे इस मामले को बंद करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से कहा था कि वह केजरीवाल से जुड़े इस मानहानि मामले को अगले आदेश तक न सुने।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा था कि केजरीवाल ने शिकायतकर्ता के खिलाफ कही गईं अपमानजनक बातों की पुष्टि किए बिना उसे रीट्वीट किया और करोड़ों लोगों तक फैलाया।
5 फरवरी को हाईकोर्ट में हुई थी सुनवाई
इससे पहले 5 फरवरी को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई थी। इसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि कथित अपमानजनक सामग्री को रीपोस्ट करने पर मानहानि कानून लागू होगा। ऐसी कोई सामग्री जिसके बारे में कोई जानकारी न हो, उसे रीट्वीट करते समय जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा था कि जब कोई पब्लिक फिगर अपमानजनक पोस्ट को ट्वीट करता है, तो उसके परिणाम किसी के कानों में फुसफुसाहट से कहीं ज्यादा होते हैं।
कोर्ट ने कहा था कि रीट्वीट और रीपोस्ट करने को लेकर अब तक कोई साफ कानून नहीं बना है, लेकिन अगर इस कारण से हम रीपोस्टिंग और रीट्वीटिंग की अनुमति देंगे तो खराब नीयत वाले कई लोग इसका दुरुपयोग करेंगे और यह कहकर बच जाएंगे कि उन्होंने सिर्फ किसी कंटेंट को रीट्वीट किया था।
इसे लेकर केजरीवाल ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट यह समझने में नाकाम रहा कि उनका ट्वीट शिकायतकर्ता को नुकसान पहुंचाने की नीयत से नहीं किया गया था।
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