मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संभव: किरेन रिजिजू सभी पार्टियों से बात करेंगे; CJI की जांच समिति ने दोषी पाया था

नई दिल्ली16 मिनट पहले
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14 मार्च को दिल्ली HC जज के सरकारी बंगले में आग लगी थी। वहां दमकल कर्मियों को जले हुए 500 रुपए के नोटों से भरी बोरियां मिलीं थी।
कैश कांड मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। न्यूज एजेंसी PTI ने सरकार से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया कि महाभियोग के लिए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू सभी पार्टियों से बात करेंगे। 15 जुलाई के बाद शुरू होने वाले मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि सरकार अभी इस बात का इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें।
दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। जिसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।
22 मार्च को इस मामले में तत्कालीन CJI ने जांच समिति बनाई थी। कमेटी ने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और 4 मई को CJI को सौंपी थी। कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया था।

तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने महाभियोग की सिफारिश की थी कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी थी। उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी।
हालांकि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की औपचारिक प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेंगे। इस तरह के घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल है।


2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ा था इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।
जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।

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