मां बन गई रेप पीड़िता पर नहीं मिला इंसाफ, DNA रिपोर्ट दबा रही पुलिस; कोर्ट से थानेदार को शोकॉज
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रेप और महिलाओं के साथ अपराध को लेकर देश में कई कड़े कानून बनाए गए हैं। पर ऐसे वारदात रुक नहीं रहे। कई बार पुलिस की कार्यशैली ही ऐसे अपराधों के आरोपियों को सजा दिलाने और पीड़ित को न्याय दिलाने में बाधा बन जाती है। बिहार के मुजफ्फरपुर में दुष्कर्म की शिकार 14 साल की नाबालिग मां बन गई लेकिन अभी तक इंसाफ नहीं मिला। पुलिस की जांच को अड़ंगा कारण बताया जा रहा है। दुष्कर्म पीड़िता के जन्मे बच्चे और इस कांड के गिरफ्तार आरोपित शिव बालक पंडित की डीएनए जांच रिपोर्ट पुलिस दबाकर बैठ गई है। कोर्ट से मांगे जाने के बाद भी आईओ एफएसएल रिपोर्ट नहीं सौंप रही है। इसके लिए विशेष पॉक्सो कोर्ट-2 के न्यायाधीश प्रशांत कुमार झा ने एसएसपी के माध्यम से कांड के आईओ और साहेबगंज थानेदार को सदेह हाजिर होकर शोकॉज का आदेश दिया है।
कोर्ट ने एसएसपी को भेजे शोकॉज लेटर में बताया है कि हाइकोर्ट ने इस केस को 21 जुलाई 2024 तक निष्पादित करने का आदेश दे रखा है। कई बार सूचना के बाद भी एफएसएल रिपोर्ट नहीं दी जा रही है, जिसके कारण केस में इंसाफ लंबित चल रहा है। यदि 21 जुलाई तक एफएसएल रिपोर्ट के लिए केस निष्पादित नहीं होता है तो इसकी पूरी रिपोर्ट हाइकोर्ट को भेजी जाएगी।
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विशेष पॉक्सो कोर्ट ने साहेबगंज के थानेदार और कांड के आईओ को 22 जुलाई 2024 को कोर्ट में सदेह हाजिर होने का आदेश दिया है। विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार ने बताया कि साहेबगंज थाने में छह नवंबर 2022 को दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के आवेदन के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। तब दुष्कर्म पीड़िता छह माह की गर्भवती थी। केस में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया था, जिसके बाद बच्चे और आरोपित के डीएनए की जांच का आदेश दिया गया। पुलिस ने आरोपित और बच्चे की डीएनए जांच कराई है, जिसकी रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जानी है। पुलिस इस रिपोर्ट को दबाए बैठी है जिससे कोर्ट अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच रहा है। पीडि़ता को इंसाफ मिलने में देरी हो रही है तो अप्रत्यक्ष लाभ आरोपी को मिल रहा है।