Published On: Wed, Aug 7th, 2024

महावीर ने एक मुक्के में छुड़ाई अंग्रेज अफसर की मुक्केबाजी, मिली काला पानी की सजा


भूले-बिसरे स्‍वतंत्रता सेनानी: स्‍वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहूति देने वाले क्रांतिकारियों में ठाकुर महावीर सिंह का नाम भी शामिल है. ठाकुर महावीर सिंह वही क्रांतिकारी हैं, जिनके साथ मिलकर भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, बटुकेश्‍वर दत्‍त और यतींद्रनाथ दास ने एसेंबली में बम विस्‍फोट को अंजाम‍ दिया था. इस मामले में महावीर सिंह को अंग्रेजी हुकूमत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. चलिए, अब आपको बताते हैं कौन हैं ठाकुर महावीर सिंह और स्‍वतंत्रता के आंदोलन में उनका क्‍या योगदान रहा.

ठाकुर महावीर सिंह का जन्‍म 16 सितंबर 1904 को उत्‍तर प्रदेश के एटा जिले के अंतर्गत आने वाले टहला गांव में हुआ था. महावीर के पिता एटा जिले के प्रतिष्ठित वैद्यों में से एक थे. महावीर सिंह की प्राथमिक पढ़ाई एटा जिले में ही हुई. महावीर सिंह में देश भक्ति का जज्‍बा पहली बार तब देखने को मिला, जब अंग्रेजी हुकूमत को खुश करने के लिए सरकारी अधिकारियों ने एक शांति सभा का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में जिले के कलेक्‍टर, पुलिस कप्‍तान सहित सभी बड़े लोगों को आमंत्रित किया गया था.

साथ ही, इस कार्यक्रम में तमाम स्‍कूलों के बच्‍चों को जबरन लाया गया था. महावीर सिंह भी इन्‍हीं बच्‍चों में एक थे. कार्यक्रम के दौरान, जब लोग बढ़ चढ़ कर अंग्रेजी हुकूमत के कसीदे पढ़ रहे थे, उस बीच महावीर सिंह ने बीच सभा में खड़े होकर भारत माता की जय और महात्‍मा गांधी की जय के नारे लगाए गए थे. महावीर सिंह के शुरूआत करते ही दूसरे बच्‍चे भी भारत माता की जय और महात्‍मा गांधी की जय के नारे लगाने लगे. महावीर सिंह को इन नारों की कीमत 21 बेतों की सजा खाकर चुकानी पड़ी.

बस यहीं से महावीर सिंह स्‍वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. इसके बाद, उनके पिता ने उन्‍हें उच्‍च शिक्षा के लिए कानपुर भेज दिया. यहीं पर उनका संपर्क चंद्रशेखर आजाद से हुआ. चंद्रशेखर आजाद से प्रभावित होकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए. वहीं काकोरी कांड के बाद चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह ने यह निर्णय लिया कि लाहौर में कुछ साथियों को मोटर कार चलाने की ट्रेनिंग दी जाए. महावीर सिंह को इस कार्य के लिए चुना गया और उन्‍हें लाहौर भेज दिया गया.

इसी बीच, लाला लाजपत राय ने लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया. एक प्रदर्शन के दौरान अंग्रेज हुकूमत की लाठी से प्रहार से लाला लाजपत राय की मृत्‍यु हो गई. इसके बाद, भगत सिंह और राजगुरु ने लाला लाजपत राय पर हमला करने वाले अंग्रेज अफसर की हत्‍या करने की योजना तैयार की. भगत सिंह और राजगुरु को घटनास्‍थल तक कार से महावीर सिंह ने ही पहुंचाया. इसके बाद, असेंबली में बम फेंके जाने के दौरान भगत सिंह और बटुकेश्‍वर दत्‍त के साथ महावीर सिंह भी मौजूद थे.

इस मामले में गिरफ्तार हुए महावीर सिंह को आजन्‍म कारावास की सजा सुनाई गई. सजा सुनाए जाने के बाद महावीर सिंह और डॉ. गया प्रसाद को दक्षिण की बेलारी सेंट्रल जेल भेज दिया गया. वहां जाने के बाद भी महावीर सिंह ने अपना आंदोलन खत्‍म नहीं किया. वह जेल में न केवल अंग्रेज अफसरों की आदेशों को मानने से इंकार कर देते थे, बल्कि न ही टोटी पहनते थे और न ही परेड में हिस्‍सा लेते थे. अंग्रेज अफसर हथकड़ी और बेडि़यां पहनाकर जबरन परेड में लाते थे.

परेड के दौरान, महावीर सिंह कभी बैठ जाते तो कभी लेट जाते. अंग्रेज अफसरों की तमाम कोशिशों के बावजूद वह परेड नहीं करते थे. उन दिनों बेलारी जेल का सुप्रीटेंडेंट एक मुक्‍केबाज था. महावीर जब भी अंग्रेज अफसरों का आदेश मानने से इंकार करते, मुक्‍केबाज सुप्रीटेंडेंट उन पर मुक्‍केबाजी की जोर आजमाश कर लहुलुहान कर देता था. एक दिन महावीर सिंह की हथकड़ी खुली हुईं थी. सुप्रीटेंडेंट के प्रहार करते ही महावीर सिंह ने उसे एक ऐसा मुक्‍का मारा कि वह लड़खड़ाकर चार कदम दूर जा गिरा.

इस घटना के बाद, महावीर सिंह को तीस बेतों की सजा सुनाई गई और जनवरी 1933 में उन्‍हें अंडमान (कालापानी)भेज दिया गया। कालापानी की सजा के दौरान महावीर सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया. कुछ दिनों अंग्रेजी अफसरों ने उनकी भूख हड़ताल को नजरअंदाज किया, लेकिन जब कई दिन गुजर गए तो उन्‍हें जबरन दूध पिलाने की कोशिश की जाने लगी. इसी कोशिश के दौरान, एक दिन उनके फेफड़ों में दूध भर गया, जिसकी वजह से मृत्‍यु हो गई. इस तरह, ठाकुर महावीर सिंह ने देश की स्‍वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्‍च बलिदान दे दिया.

Tags: 15 August, Independence day, India news

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