महापर्व पर नड्डा का चुनाव पर महामंथन: पटना में नीतीश कुमार के साथ स्टीमर पर घूमे, चिराग से मिलकर लिया उपचुनाव पर फीडबैक – Patna News

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लोकपर्व छठ के अवसर पर पटना आए और नीतीश कुमार के साथ डेढ़ घंटे का समय स्टीमर पर बिताया। नड्डा का जुड़ाव पटना से काफी रहा है। लेकिन, यह पहला मौका है, जब वे छठ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ स्टीमर पर घूमे और ल
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जेपी नड्डा आरएसएस कार्यालय विजय निकेतन भी पहुंचे थे। राज्यपाल से भी मिले और लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान के आवास भी गए। उसके बाद से यह चर्चा तेज है कि क्या नड्डा किसी खास मकसद से पटना आए थे।सूत्र बता रहे हैं कि 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के अंदर कौन, कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, इसका होमवर्क शुरू हो गया है।
सामने बिहार में चार सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव है और इसके बाद 2025 में विधानसभा का चुनाव होना है। नड्डा की बिहार यात्रा को राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा हैं। राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय कहते हैं कि ‘जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के विचार कई मुद्दों पर अलग-अलग रहे हैं। ऐसे में इमामगंज उपचुनाव की राजनीति को साधने के लिए चिराग के यहां जाना नड्डा को जरूरी लगा।’

जेपी नड्डा पटना में बीजेपी नेताओं के साथ बैठक करते हुए।
हिंदुओं के बीच बड़ा मैसेज देने की कोशिश
बिहार में हिंदू वोट बैंक को एकजुट करने की भरपूर कोशिश बीजेपी कर रही है। कुछ दिन पहले केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने हिंदू स्वाभिमान यात्रा उस भागलपुर से शुरू की, जहां बिहार में आजादी के बाद 89 में सबसे बड़ा दंगा हुआ था। हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष यह कहते रहे कि यह बीजेपी की यात्रा नहीं है। लेकिन, लोगों में मैसेज यही गया कि बीजेपी की रणनीति के तहत ही गिरिराज सिंह ने यह यात्रा निकाली थी। उस यात्रा के बाद छ्ठ का समय आया तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पटना आए और खास तौर से हिंदू परिवारों द्वारा मनाए जाने वाले महापर्व में बीजेपी की उपस्थिति दर्ज कराई।

पटना में स्टीमर पर नीतीश कुमार के साथ जेपी नड्डा।
बिहार बीजेपी में नीतीश कुमार के कद का कोई नहीं
बिहार बीजेपी में नीतीश कुमार के कद का कोई नेता नहीं है। सुशील कुमार मोदी, नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम रहे, लेकिन बिहार भाजपा में उनका कद बड़ा माना जाता था। अब उनकी अनुपस्थिति में नीतीश कुमार के साथ मिलकर लोगों का अभिवादन करने के लिए बीजेपी से राष्ट्रीय स्तर के नेता की उपस्थिति चाहिए था। जेपी नड्डा का पटना से जुड़ाव की वजह से उनकी बिहारी छवि है। हाल के दिनों में कई अस्पतालों के उद्घाटन के समय भी उनका बिहारी अंदाज दिखा था।
नड्डा बीजेपी के ऐसा नेता हैं जिनको बिहार के लोगों के बीच पहचान की जरूरत नहीं हैं। नीतीश कुमार के साथ स्टीमर पर सवार होकर वे लोगों का अभिवादन कर रहे थे तो साफ लग रहा था कि बीजेपी महापर्व छठ की महिमा का सम्मान कर रही है। वे आए तो छठ गीतों के लिए मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर उनके आवास भी गए और श्रद्धांजलि दी। एक तरफ महागठबंधन में तेजस्वी यादव बिहार में बढ़े आरक्षण के दायरे को वापस करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी हैं।
बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती सभा में नीतीश भी
15 नवंबर को बिहार के जमुई में बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती सभा में पीएम नरेन्द्र मोदी के आने का कार्यक्रम है। जमुई में इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है और हेलीपैड बनाया जा रहा है। बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर बिहार सरकार कार्यक्रम करने जा रही है और उस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाने की तैयारी हो रही है। इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार उपस्थित रहें, बीजेपी यह चाहती है। जानकारी है कि नड्डा ने इस कार्यक्रम को लेकर भी नीतीश कुमार से बातचीत की है। दरभंगा एम्स का शिलान्यास कार्यक्रम भी पीएम द्वारा प्रस्तावित है।
बेहतर समन्वय बनाने की कोशिश
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट एनडीए में सहयोगी जेडीयू की तरफ शिफ्ट नहीं हुआ था। बल्कि कई सीटों पर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा की तरफ शिफ्ट हो गया था। नतीजा दो दर्जन सीटों पर जेडीयू को नुकसान हुआ और पार्टी महज 43 सीट हासिल कर पाई। उसके बाद से बीजेपी और जेडीयू के बीच अंदरूनी खींचतान बढ़ गई है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 का समय नजदीक आ रहा है, एनडीए के अंदर की दोनों प्रमुख पार्टियां जेडीयू और बीजेपी एक दूसरे को लेकर राजनीतिक रूप से अलर्ट और एक्टिव मोड में है।
कौन कब क्या पैंतरा ले ले कहना मुश्किल है। बीजेपी के बड़े नेता लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ना है। लेकिन, यह बयान उसी तरह का है जैसा नीतीश कुमार द्वारा पहले दिया जा चुका बयान है कि- मिट्टी में मिल जाएंगे, बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। हालांकि, नीतीश कुमार बार-बार यह बात कह रहे हैं कि दो बार आरजेडी की तरफ जाकर उन्होंने गलती कर दी, अब गलती नहीं करेंगे।
बड़ी बात यह कि प्रशांत किशोर के जन सुराज पार्टी बनाने और आरसीपी सिंह के आसा पार्टी बनाने के बाद यह कहा जा रहा है कि दोनों बीजेपी की बी टीमें हैं। ये दोनों नेता प्रशांत किशोर और आरसीपी की नजदीकियां बीजेपी और जेडीयू दोनों की तरफ रही हैं। आरसीपी सिंह की पार्टी के बारे में तो यह साफ-साफ कहा जा रहा है कि ये नीतीश कुमार के कुर्मी वोट वोट बैंक में सेंधमारी करेंगे। हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने एनडीए की बैठक अपने आवास पर बुलायी थी, उसमें एनडीए की पार्टियों के बीच बेहतर समन्वय पर बातचीत हुई। यह भी तय हुआ कि बीजेपी-जेडीयू मिलजुल कर कार्यक्रम करेगी। बीजेपी की बैठक में नड्डा कह चुके हैं कि एनडीए के अंदर कार्यकर्ता आपस में बेहतर समन्वय रखें।
चिराग पासवान से मुलाकात
जेपी नड्डा ने लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। मुलाकात ने सभी को राजनीतिक स्तर पर चौंकाया। इस मुलाकात का छठ पर्व से कोई लेना-देना नहीं था। बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम भी इस दौरान साथ रहे। हालांकि, लोकसभा चुनाव के समय से चिराग पासवान, नीतीश कुमार की तारीफ करने लगे हैं। उन्हें भारत रत्न देने तक की मांग उन्होंने कर दी। लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को अपनी पार्टी से चिराग पासवान ने टिकट दिया और वह चुनाव जीत कर सांसद भी बन गईं।
चिराग के संबंध नीतीश कुमार से बेहतर दिख रहे हैं, लेकिन ये वही चिराग पासवान हैं जो विधानसभा चुनाव में कह रहे थे कि हमारी सरकारी आने पर नीतीश कुमार की जल-नल योजना की जांच करवाएंगे और नीतीश कुमार को जेल भिजवाएंगे। वे एक साथ दोनों बातें बोल रहे थे कि मैं नरेन्द्र मोदी का हनुमान हूं और नीतीश ने बड़ा भ्रष्टाचार किया है।
2020 में एनडीए की राजनीति कैसी रही, कौन कितनी सीटों पर लड़ा
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सीटों के बंटवारे में बीजेपी को 121 और जेडीयू को 122 सीटें मिली थीं। जेडीयू ने अपने कोटे में से 7 सीटें जीतन राम मांझी की पार्टी हम को दी थीं। वहीं, बीजेपी ने अपने कोटे में से 9 सीटें मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को दी थीं। यानी 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 115 सीटों पर जेडीयू, 112 सीटों पर बीजेपी, 9 सीटों पर वीआइपी और 7 सीटों पर हम पार्टी ने चुनाव लड़ा था। तब चुनावी नतीजों में बीजेपी 74, जेडीयू 43, हम 4 और वीआईपी को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थीं।
बाद के दिनों में वीआईपी के तीन विधायक राजू सिंह, सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। वहीं, बोचहा सीट से जीते वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान का निधन हो गया था। उपचुनाव में उनके बेटे अमर पासवान को आरजेडी ने टिकट दे दिया था और उन्होंने बीजेपी की बेबी कुमारी को हरा दिया था। वीआईपी की गीता कुमारी तीसरे स्थान पर रही थीं।
वीआईपी में बीजेपी ने सेंधमारी की तो आगे चलकर हम पार्टी को जेडीयू में मिलाने की कोशिश नीतीश कुमार ने की, लेकिन जीतन राम मांझी नहीं माने। उसके विधायकों को भी नीतीश नहीं तोड़ पाए। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा ने 137 सीटों पर 2020 विधानसभा चुनाव लड़ा था। जीत हासिल हुई थी महज एक सीट पर। 9 सीटें ऐसी थीं, जिस पर चिराग की पार्टी दूसरे नंबर पर रही थीं। चिराग ने तब कहा था ‘मैं नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं।’

नीतीश कुमार की गतिविधि पर बीजेपी की नजर
मंच पर नीतीश कुमार की गतिविधियां लोगों को लगातार चौंका रही हैं। वे पीएम मोदी से लेकर पूर्व सांसद आरके सिन्हा तक के पैर छूते दिखे। रावण वध में तीर-धनुष दोनों उनके हाथ से छूट गया। बीते दिनों ऐसी कई गतिविधियों के कारण वे चर्चा रहे थे। जेपी नड्डा की नजर इस पर है। बीजेपी इसे वॉच कर रही है। चर्चा है कि पार्टी समय आने पर बड़ा फैसला ले सकती हैं।

यह जेपी नड्डा का चुनावी दौरा था- प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी कहते हैं कि जेपी नड्डा का यह चुनावी दौरा था। चुनाव के समय तालमेल बेहतर रहे इसकी कोशिश उन्होंने की। अगले साल विधानसभा का चुनाव बिहार में होना है। कितनी सीटों पर बातचीत हो सकती है इसका एसेसमेंट भी उन्होंने किया होगा। चुनाव के मुद्दे क्या हो सकते हैं? अपनी पार्टी के लोगों के अलावा नीतीश कुमार से भी फीड बैक लिया होगा। चिराग से भी इस पर बात की होगी। चुनावी लाभ लेने की तैयारी है।

इमामगंज की राजनीति को साधने की कोशिश- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय कहते हैं कि जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के विचार कई मुद्दों पर अलग-अलग रहे हैं। बिहार के इमामगंज में एनडीए की तरफ से हम पार्टी की गीता मांझी चुनाव लड़ रही हैं। वहां जन सुराज ने डॉ. जितेन्द्र पासवान को उतारा है जो पासवानों का वोट काट रहे हैं। ऐसे में चिराग पासवान, इमामगंज जाएं और पासवानों का वोट एनडीए की तरफ करें यह बातचीत करने जेपी नड्डा, चिराग पासवान के पास गए होंगे ताकि यहां एनडीए की उम्मीदवार जीत सके।
दूसरी बात यह कि जेपी नड्डा यह मैसेज देना चाहते हैं कि महापर्व के प्रति बीजेपी की काफी आस्था है। तीसरी बात यह कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जेडीयू के प्रमुख नेता आपस में मिले हैं। ताकि चुनाव को लेकर विशेष रणनीति पर बेहतर तरीके से काम किया जा सकें।