महबूबा मुफ्ती बोलीं- भारत और बांग्लादेश के हालात एक जैसे: वहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा, यहां भी अल्पसंख्यकों का वही हाल

जम्मू3 मिनट पहले
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महबूबा मुफ्ती ने जम्मू में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय अल्पसंख्यकों की स्थिति की तुलना बांग्लादेश हिंसा से की।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि उनके लिए भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं है। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा हो रही है। यही हाल भारत के अल्पसंख्यकों का भी है।
मुफ्ती ने कहा, ‘बांग्लादेश में हिंदुओं पर ज्यादती हो रही है। अगर यहां भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होंगे तो फिर भारत और बांग्लादेश में क्या अंतर रह जाएगा? मुझे भारत-बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं दिखता।’

मुफ्ती ने संभल हिंसा और अजमेर दरगाह की बात की महबूबा मुफ्ती ने संभल में हुई हिंसा की भी बात की। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम पर है। शिक्षा और स्वास्थ्य का भी हाल खराब है। सड़के जर्जर हालत में हैं, फिर भी मंदिर की तलाश में मस्जिद गिराना है।
मुफ्ती ने आगे कहा- 800 साल पुरानी अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू-मुस्लिम सभी धर्मों के लोग जाते हैं। लेकिन कुछ लोग उसे भी खोदने लग गए कि शायद मंदिर निकल आए।
अब संभल हिंसा और अजमेर दरगाह का मामला पढ़िए…
संभल हिंसा: यूपी के संभल में 24 नवंबर को डीएम-एसपी के साथ एक टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में करीब दो से तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इस दौरान 5 लोगों की मौत हो गई थी। मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

ये तस्वीर उस वक्त की है, जब छतों से फेंके जा रहे पत्थरों से पुलिसकर्मी बचते दिखे।
अजमेर दरगाह- हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने 25 सिंतबर 2024 को अजमेर की सिविल कोर्ट में अजमेर दरगाह के अंदर एक शिव मंदिर होने की याचिका डाली। गुप्ता ने अजमेर शरीफ दरगाह पर 2 साल की रिसर्च और एक किताब ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ का हवाला दिया। इसमें बताया गया कि दरगाह के नीचे शिव मंदिर मौजूद है। कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया है।

दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन की ओर से उपलब्ध कराई गई तस्वीर। यह तस्वीर किसी पेंटर ने हाथ से बनाई थी।
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