Published On: Sat, Nov 30th, 2024

मरजिंदर सिरसा को श्री अकाल तख्त साहिब से समन: 2 दिसंबर को भाजपा नेता की पेशी; 2007-17 तक शिअद सरकार में मिली कैबिनेट रैंक – Amritsar News


भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा।

भारतीय जनता पार्टी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा को भी 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब में पेश होने के लिए समन भेजा गया है। सिरसा, (जो शिरोमणि अकाली दल के शासनकाल में कैबिनेट मंत्री रैंक रखते थे) को अन्य नेताओं के साथ तलब किया गया है। जिन पर सिख समुदाय

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श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने इन मामलों पर चर्चा के बाद दोषी नेताओं के लिए धार्मिक सजा (तनखैया) की घोषणा करने की संभावना जताई है। इस बैठक का उद्देश्य इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों से जवाबदेही तय करना और धार्मिक मूल्यों के साथ न्याय सुनिश्चित करना है। यह फैसला सिख समुदाय और शिरोमणि अकाली दल की मौजूदा स्थिति के लिए महत्वपूर्ण होगा​।

सुखबीर बादल सहित पूरी कैबिनेट होगी मौजूद

जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 2 दिसंबर को दोपहर एक बजे श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिख साहिबानों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल के साथ 2007-2017 के दौरान पद पर रहे मंत्रियों, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में सुखबीर बादल और 2007-17 के दौरान अकाली दल के मंत्रियों को सजा सुनाई जा सकती है। कुछ दिन पहले सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए थे और उन्होंने मांग की थी कि उन्हें तनखैया घोषित किए हुए तीन महीने से अधिक का समय बीत चुका है और उन्हें अब सजा सुनाई जानी चाहिए।

सुखबीर ने लिखा- सारे वर्कर चाहते थे मैं चुनाव लड़ूं

श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे सुखबीर बादल ने अपने लिखित आवेदन में कहा था कि पार्टी के सारे वर्कर चाहते थे कि विशेष हालात के चलते मुझे अभी हो रहे उपचुनाव लड़ने और प्रचार की इजाजत दी जाए।

उपचुनाव न लड़ पाने के कारण पंथ और पंजाब को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन अकाल पुरख की रजा में उन्होंने यह नुकसान झेला है। इसीलिए उनकी सजा पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए और उन्हें इजाजत दी जाए कि वह पंथ विरोधी ताकतों से डटकर मुकाबला कर सकें।

श्री अकाल तख्त साहिब से सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया गया था।

श्री अकाल तख्त साहिब से सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया गया था।

जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने किया था तनखैया घोषित

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने जुलाई महीने में सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था।

फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ।”

बागी गुट की शिकायत के बाद शुरू हुआ था विवाद

दूसरी तरफ बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई।

1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत

2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।

2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी

श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया।

3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई

1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया।

अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुई।

4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ

अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था।

पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।

4 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया

इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जिसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था।

सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी। जिसके बाद 5 जुलाई को स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया।

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