मणिपुर में सुरक्षाबलों ने 11 उग्रवादियों को मार गिराया: CRPF चौकी पर हमला करने पहुंचे थे; दो जवान भी घायल, 5 स्थानीय लोग लापता

इंफाल4 मिनट पहलेलेखक: एम मुबासिर राजी
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अधिकारियों ने कहा कि उग्रवादियों के पास एडवांस हथियार थे। उन्होंने इलाके की कई दुकानों को भी आग लगाई।
मणिपुर के जिरिबाम जिले में सोमवार दोपहर करीब 2.30 बजे कुकी उग्रवादियों ने बोरोबेकेरा उपमंडल के जकुराडोर करोंग में मौजूद सीआरपीएफ चौकी पर हमला किया। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 11 उग्रवादियों को मार गिराया।
अधिकारियों के मुताबिक, एनकाउंटर के दौरान सीआरपीएफ के दो जवान घायल हुए हैं, जिसमें एक की हालत गंभीर बताई गई है। दोनों का इलाज जारी है। उन्होंने कहा कि उग्रवादी सैनिकों जैसी वर्दी पहने थे। इनके बाद अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद थे।
उन्होंने कहा कि मृतक 11 उग्रवादियों के शवों को बरामद करके बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन में रखा गया है। उन्होंने ये भी बताया कि हमले के दौरान इलाके के लोकल लोग यहां-वहां भाग गए थे। 5 लोगों के लापता होने की बात कही जा रही है। या तो उन्हें इन उग्रवादियों के साथियों ने अगवा किया है ये वे जकुराडोर करोंग में ही छिपे हुए हैं।
एनकाउंटर की 2 तस्वीरें…


इंफाल में हुई किसान की हत्या सोमवार को ही मणिपुर के याइंगंगपोकपी शांतिखोंगबन इलाके में खेतों में काम कर रहे एक किसान पर उग्रवादियों ने पहाड़ी से गोलीबारी की। इसके कारण एक किसान की मौत हो गई। इसके अलावा कई किसानों को चोट आई।
पुलिस ने बताया कि इस इलाके में उग्रवादी लगातार तीन दिन से पहाड़ी से निचले इलाकों में फायरिंग कर रहे हैं। खेतों में काम कर रहे किसानों को निशाना बनाया जा रहा है। क्योंकि यहां धान की फसल की कटाई चल रही है। हमलों के कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे हैं।
10 नवंबर को भी इंफाल पूर्वी जिले के सनसाबी, सबुंगखोक खुनौ और थमनापोकपी इलाकों में भी इसी तरह के हमले किए गए। 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले के सैटन में उग्रवादियों ने 34 साल की महिला की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त महिला खेत में काम कर रही थी। उग्रवादियों ने पहाड़ी से निचले इलाकों में गोलीबारी की थी।
इंफाल में सुरक्षाबलों ने गोला-बारूद जब्त किया असम राइफल्स ने सोमवार को बताया कि बीते 3 दिनों में मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों में तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने कई हथियार, गोला-बारूद और IED जब्त किए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 9 नवंबर को असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस की जॉइंट टीम ने चुराचांदपुर जिले के एल खोनोम्फई गांव के जंगलों से एक.303 राइफल, दो 9 एमएम पिस्टल, छह 12 सिंगल बैरल राइफल, एक.22 राइफल, गोला-बारूद और सामान जब्त किया था।
इसके अलावा एस चौंगौबंग और कांगपोकपी जिले के माओहिंग में एक 5.56 मिमी इंसास राइफल, एक प्वाइंट 303 राइफल, 2 एसबीबीएल बंदूकें, दो 0.22 पिस्तौल, दो इंप्रोवाइज्ड प्रोजेक्टाइल लांचर, ग्रेनेड, गोला-बारूद जब्त किए गए थे।
10 नवंबर को असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और बीएसएफ की जॉइंट टीम ने काकचिंग जिले के उतांगपोकपी के एरिया में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था। इसमें एक 0.22 राइफल, गोला-बारूद और सामान शामिल था।
8 नवंबर: उग्रवादियों ने फूंक डाले 6 घर, 1 महिला की मौत 8 नवंबर को जिरीबाम जिले के जैरावन गांव में हथियारबंद उग्रवादियों ने 6 घर जला दिए थे। ग्रामीणों का आरोप था कि हमलावरों ने फायरिंग भी की थी। घटना में एक महिला की मौत हुई थी। मृतक महिला की पहचान जोसंगकिम हमार (31) के रूप में हुई थी। उसके 3 बच्चे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि हमलावर मैतेई समुदाय के थे। घटना के बाद कई लोग घर से भाग गए।

मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया।
इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत।
स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था।
4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।