Published On: Fri, Aug 2nd, 2024

मणिपुर के जिरीबाम में कुकी-मैतई के बीच शांति समझौता: दोनों पक्ष सुरक्षाबलों का सहयोग करने को तैयार; सरकार बोली- स्थिति सामान्य होगी, यह पहला कदम


इम्फाल53 मिनट पहले

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मणिपुर में 3 मई 2023 से हिंसा शुरू हुई है। पिछले एक साल से यहां कुकी मैतई कम्युनिटी के बीच शांति समझौते की मांग की जा रही थी। - Dainik Bhaskar

मणिपुर में 3 मई 2023 से हिंसा शुरू हुई है। पिछले एक साल से यहां कुकी मैतई कम्युनिटी के बीच शांति समझौते की मांग की जा रही थी।

मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी और मैतई के बीच हिंसा का दौर जारी है। इसी बीच पहली बार जिरीबाम जिले में दोनों पक्षों ने शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं।

इसके तहत जिरीबाम में दोनों पक्ष आगजनी और गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षाबलों का सहयोग करेंगे और स्थिति सामान्य करने की दिशा में काम करेंगे।

दरअसल, जिरीबाम के CRPF ग्रुप सेंटर में गुरुवार को कुकी और हमार कम्युनिटी (मैतई) के बीच एक मीटिंग हुई। यह मीटिंग CRPF, असम राइफल्स और डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर ने आयोजित कराई थी। इसी मीटिंग में दोनों पक्षों ने एग्रीमेंट पर साइन किया।

टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह अभी एक ही जिले तक सीमित है, लेकिन हमारा अंतिम लक्ष्य राज्य में शांति बहाल कर स्थिति पहले जैसे सामान्य करना है। इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए यह समझौता पहला कदम है। दोनों पक्षों के बीच अब अगली मीटिंग 15 अगस्त के बाद होगी।

CM विधानसभा में बोले- शांति वार्ता के प्रयास जारी
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने गुरुवार को विधानसभा में कहा- सरकार शांति स्थापित करने के लिए काम कर रही है। इसे लेकर असम के सिलचर में कई बैठकें हो चुकी हैं। जल्द ही शांति स्थापित करने को लेकर बड़ा ऐलान भी करेंगे।

उन्होंने आगे कहा- हिंसा का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इसलिए हालात मुश्किल हो रहे हैं। कुछ तत्व ऐसे हैं जो राजनीति कर रहे हैं। मैं उनसे अपील करता हूं कि वे ऐसा न करें।

इससे एक दिन पहले बुधवार को बीरेन सिंह ने विधानसभा में कहा था कि हिंसा में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। वहीं, 39 लापता हैं। 11,133 घरों में आग लगाई गई, जिसमें से 4,569 घर पूरी तरह खत्म हो चुके हैं।

हिंसा को लेकर कुल 11,892 केस दर्ज हुए हैं। 59,414 विस्थापित लोग राहत शिविरों में हैं। 5,554 किसानों की जमीन बर्बाद हो गई है। विस्थापितों को 302 राहत कैंप में स्थापित किया गया है।

हिंसा से अछूता था जिरिबाम
3 मई 2023 से मणिपुर की इम्फाल घाटी में रहने वाले मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी के बीच जातीय संघर्ष में 226 लोगों की मौत हो गई है। मैतेई, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी समेत विविध जातीय संरचना वाला जिरिबाम जून 2024 तक जातीय संघर्ष और हिंसा से अछूता रहा था।

जिरिबाम में हिंसा की 4 घटनाएं…

14 जुलाई: मणिपुर में सुरक्षाबलों के काफिले पर हमला, CRPF जवान शहीद

मणिपुर के जिरीबाम में सेंट्रल फोर्सेज पर हमला हुआ। CRPF की एक गाड़ी भी हमले में क्षतिग्रस्त हो गई।

मणिपुर के जिरीबाम में सेंट्रल फोर्सेज पर हमला हुआ। CRPF की एक गाड़ी भी हमले में क्षतिग्रस्त हो गई।

जिरीबाम में CRPF और पुलिस टीम के काफिले पर कुकी उग्रवादियों ने 14 जुलाई को हमला कर दिया। इसमें CRPF का एक जवान शहीद हो गया। पुलिस का एक अधिकारी भी घायल हो गया। पुलिस ने बताया कि मोंगबुंग में कुकी उग्रवादियों ने पहाड़ी इलाके से गोलीबारी की। गोली CRPF जवान अजय कुमार झा के सिर पर लगी। पूरी खबर पढ़ें…

10 जून: मणिपुर में CM के काफिले पर हमला, दो सुरक्षाकर्मी घायल; CM काफिले में नहीं थे

CM का सुरक्षा दस्ता हिंसा प्रभावित जिरिबाम में सीएम की सभा से पहले तैयारियों का जायजा लेने जा रहा था।

CM का सुरक्षा दस्ता हिंसा प्रभावित जिरिबाम में सीएम की सभा से पहले तैयारियों का जायजा लेने जा रहा था।

जिरिबाम में उग्रवादियों ने मणिपुर CM बीरेन सिंह के सुरक्षा दस्ते पर 10 जून को हमला किया। यह सुरक्षा दस्ता सीएम की सभा से पहले तैयारियों का जायजा लेने जा रहा था। इस गोलीबारी में ड्राइवर समेत दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए। हमले के वक्त मुख्यमंत्री काफिले में नहीं थे। पूरी खबर पढ़ें…

8 जून: जिरीबाम में 2 पुलिस चौकियां, 70 घर जलाए गए, SP का भी तबादला

पुलिस का कहना है कि हमलावर 3-4 नावों पर सवार हो बराक नदी के रास्ते घुसे थे।

पुलिस का कहना है कि हमलावर 3-4 नावों पर सवार हो बराक नदी के रास्ते घुसे थे।

जिरीबाम में 8 जून को संदिग्ध उग्रवादियों ने दो पुलिस चौकियों, एक फॉरेस्ट ऑफिस और 70 घरों में आग लगा दी। पुलिस का कहना है कि हमलावर 3-4 नावों पर सवार हो बराक नदी के रास्ते घुसे थे। इधर, आग लगाने की घटना जीरी मुख और छोटो बेकरा की पुलिस चौकियों और गोआखाल वन बीट ऑफिस में हुई। इस घटना के कुछ घंटों बाद एसपी का तबादला कर दिया गया। पूरी खबर पढ़ें…

6 जून: बुजुर्ग की हत्या​​​​​​​ के बाद 200 मैतई घर छोड़कर भागे, कुछ जंगलों में छिपे

जिरिबाम के गांवों में आगजनी से भारी नुकसान हुआ है।

जिरिबाम के गांवों में आगजनी से भारी नुकसान हुआ है।

जिरिबाम में 6 जून को मैतेई बुजुर्ग की हत्या के विरोध में इलाके में हिंसा भड़क गई थी। गुस्साए गांववालों ने जिरिबाम पुलिस स्टेशन के सामने विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव से पहले उनसे जो लाइसेंस वाले हथियार लिए गए थे, वे उन्हें लौटा दिए जाएं। हिंसा के चलते 200 से ज्यादा मैतेई लोगों को घरों से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर भेजा गया। कुछ लोग जंगल में भी छिपे थे। पूरी खबर पढ़ें…

मणिपुर में 67 हजार लोग विस्थापित हुए
जिनेवा के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) ने रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि साल 2023 में साउथ एशिया में 69 हजार लोग विस्थापित हुए। इनमें से 97 फीसदी यानी 67 हजार लोग मणिपुर हिंसा के कारण विस्थापित हुए थे। रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में साल 2018 के बाद हिंसा के कारण पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन देखने को मिला।

मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मई 2023 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जो देखते ही देखते पूर्वी-पश्चिमी इंफाल, बिष्णुपुर, तेंगनुपाल और कांगपोकपी समेत अन्य जिलों में फैल गए थे।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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