Published On: Sat, Jun 22nd, 2024

भास्कर ओपिनियन: पर्चे लीक करने के पीछे कहीं कोचिंग माफिया का जाल तो नही?


8 मिनट पहले

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सरकारी तंत्र और कोचिंग माफिया की मिलीभगत के बिना किसी परीक्षा के पर्चे लीक होना आसान नहीं लगता। शिक्षा क्षेत्र में कई कोचिंग संस्थानों की मौजूदगी और उनमें श्रेष्ठ बनने या बने रहने की आपसी होड़ किस हद तक जा सकती है या जाएगी, इसकी कल्पना करना भी समंदर का थाह लेने की तरह है।

ये कोचिंग संस्थान दरअसल, एक तरह की नोट छापने की मशीन बन चुके हैं। मेडिकल और आईआईटी में एडमिशन के नाम पर पैरेंट्स लाखों रुपए खर्च करने को तैयार रहते हैं। कोई अपनी जीवन भर की जमा पूंजी लगाकर, तो कोई अपनी जमीन- जायदाद को कौड़ी के मोल स्वाहा करके।

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने 11 जून को दिल्ली में NTA हेडक्वार्टर के सामने दोबारा एग्जाम कराने को लेकर प्रदर्शन किया था।

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने 11 जून को दिल्ली में NTA हेडक्वार्टर के सामने दोबारा एग्जाम कराने को लेकर प्रदर्शन किया था।

दरअसल, हम हिंदुस्तानी माता- पिताओं की एक अलग तरह की भावुक कहानी होती है। किन्हीं परिस्थितियों की वजह से या हमारे हालात के कारण जो हम खुद अपने जीवन में नहीं कर पाए, वह सब अपने बच्चों से करवाना चाहते हैं या उन्हें वह सब करते हुए देखना चाहते हैं। यही सबसे बड़ी ऐसी भावुकता है जिसके लिए हम सब वह सबकुछ करने को तैयार हो जाते हैं जिससे हमारे बच्चों की राह किसी न किसी तरह आसान बन सके।

इसी का फ़ायदा उठाते हैं बडे- बड़े शिक्षण संस्थान और उनसे किसी न किसी रूप में जुड़े हुए या संबद्ध कोचिंग संस्थान। माता- पिता की भावनात्मक भूख को मिटाने या उनकी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के पीछे जी भरकर पैसे लूटे जाते हैं और हमें लगता है कि हम यह सब बच्चों के लिए कर रहे हैं।

फिर शुरू होती है कोचिंग संस्थानों और सरकारी तंत्र की मिलीभगत की कहानी। अगर यह सब नहीं हो तो महत्वपूर्ण और अति महत्वपूर्ण परीक्षाओं में लगातार धाँधलियाँ होने का क्या कारण है? कोई सरकार इसकी तह में जाना नहीं चाहती क्योंकि आख़िरकार इस सब में उसकी अपनी बदनामी छिपी होती है। तमाम सरकारें इस तरह की तमाम धाँधलियों का खंडन करती रहती हैं और बिचौलियों, दलालों को लगातार बचने की गलियाँ मिलती जाती हैं।

बच्चों के भविष्य की उनके माता- पिता और परिवारों के सिवाय किसी को चिंता नहीं है। न परीक्षा कराने वाली संस्था या एजेंसी को, न किसी प्रशासन को और न ही किसी सरकार को।

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