भास्कर ओपिनियन: काशी के बाद अब भोजशाला का सर्वे, पहले मंदिर होने के प्रमाण
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9 घंटे पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर
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धार की भोजशाला और कमाल मौलाना मस्जिद परिसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। रिपोर्ट बताती है कि पहले बने हुए मंदिरों को तोड़कर यहाँ मस्जिद बनाई गई थी।
तक़रीबन सवा तीन महीने तक किए गए साइंटिफिक सर्वे के बाद यह पाया गया है कि यहाँ पहले से मौजूद स्ट्रक्चर परमार काल के रहे होंगे। रिपोर्ट में सर्वे और खुदाईके दौरान मिले क़रीब सत्रह सौ से ज़्यादा प्रमाणों का ज़िक्र किया गया है।
हिंदू पक्ष के वकील का दावा है कि सर्वे रिपोर्ट ने हमारा दावा सौ प्रतिशत पक्का किया है।कुल मिलाकर खुदाई में यहां 94 आर्टिकल्स मिले, इनमें टूटी हुई मूर्तियाँ, शिलालेख और संस्कृत के श्लोक शामिल हैं। अलग- अलग समय के तीस सिक्के भी मिले हैं।
काशी की तरह यहाँ भी मस्जिद को बनाने के लिए उपयोग में लाए गए स्तम्भ भी मंदिर के ही प्रतीत होते हैं। हालाँकि यह रिपोर्ट फ़िलहाल हाईकोर्ट को सौंपी गई है। यहाँ इस मामले में अगली सुनलाई 22 जुलाई को होनी है लेकिन मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इससे कुछ नहीं होने वाला।
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि एएसआई की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट के स्तर पर कोई भी फ़ैसला नहीं लिया जा सकता इसलिए जो कुछ भी होगा, आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा।
जहां तक एएसआई की रिपोर्ट का सवाल है यह कई तरह के सबूतों के साथ पेश की गई है। खुदाई के दौरान सीढ़ियों के नीचे एक बंद कमरा मिला है जिसमें वाग्देवी, माँ सरस्वती, हनुमानजी और गणेशधाम समेत अन्य देवी प्रतिमा, शंख और चक्र आदि मिले हैं। इसी तरह परिसर के उत्तर- पूर्वी कोने और दरगाह के पश्चिमी हिस्से में श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमा मिली है।
यही नहीं यज्ञशाला के पास सनातनी आकृति वाले पत्थर भी मिले हैं। बहरहाल, इस मामले में आगे क्या होगा यह तो आख़िरकार कोर्ट को ही तय करना है लेकिन यह सब लम्बा चलने वाला है, इसमें कोई शक नहीं है।देखना यह है कि हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में क्या होगा और इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाता है तो वहाँ से क्या फ़ैसला आएगा?