भास्कर इन्वेस्टिगेशन- सिलक्यारा टनल हादसे को 7 महीने बीते: रेस्क्यू का खर्च कंपनी से लेना था; लेकिन न मलबा हटा, न वसूली हुई

नई दिल्ली18 मिनट पहलेलेखक: एम. रियाज हाशमी
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जो नवयुगा कंपनी इस टनल को बना रही थी, उससे 100 करोड़ रु. की वसूली नहीं हो पाई। हालांकि इसी कंपनी ने 55 करोड़ चुनावी बॉन्ड पर खर्च किए हैं।
उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में 17 दिनों तक फंसे रहे 41 मजदूरों के आंसू, दर्द और पीड़ा देश कभी नहीं भूल सकता। लेकिन, नवंबर 2023 में जिस कंपनी की लापरवाही से हादसा हुआ था, उससे 7 महीने बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड़ नहीं वसूल जा सके। न ही अब तक टनल का मलबा साफ हुआ है।
5 दिसंबर 2023 को एनएचआईडीसीएल (नेशनल हाइवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के निदेशक अंशू मनीष खल्खो ने कहा था, ‘रेस्क्यू ऑपरेशन में हुए खर्च की राशि कंस्ट्रक्शन कंपनी ही देगी।’
सूत्रों के मुताबिक कई विभागों द्वारा रेस्क्यू पर खर्च 100 करोड़ से अधिक के बिल कंपनी को जनवरी में भेज दिए गए थे, लेकिन उसने भुगतान से मना कर दिया।
दरअसल, पेंच ये है कि एक RTI के मुताबिक, राज्य व केंद्र सरकार ने आपदा राहत कोष से रेस्क्यू की राशि का भुगतान करने से मना कर दिया है। कहा कि ये दुर्घटना प्राकृतिक आपदा नहीं थी।
ऐसे में अब यह राशि उन विभागों के गले पड़ गई है, जिन्होंने इसे खर्च किया था। हालांकि, अभी तक इसका ठीक हिसाब भी नहीं लगाया गया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन पर कुल कितनी राशि खर्च हुई थी?
आरटीआई के मुताबिक, करीब 92 लाख एनएचआईडीसीएल के, 5.49 करोड़ रु. एनईसीएल के और राज्य के 13 विभागों के करीब 65.41 लाख रु. खर्च हुए थे।

नवयुगा कंपनी 55 करोड़ के चुनावी बॉन्ड दे चुकी
- सिलक्यारा टनल का ठेका मिलने के चार महीने बाद ही नवयुगा पर 26 अक्टूबर 2018 को आयकर छापे पड़े और छह महीने बाद इसने 19 अप्रैल 2019 को 30 करोड़ रु. के चुनावी बॉन्ड भाजपा को दिए।
- 2020 के मध्य में नवयुगा को सरकार की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लिंक परियोजना भी मिल गई और 10 अक्टूबर 2022 तक इस कंपनी ने कुल 55 करोड़ के चुनावी बॉन्ड भाजपा को दिए।
- नवयुगा ने भी 3 अन्य कंपनियों श्री साई कंस्ट्रक्शन, नव दुर्गा और पीबी चड्ढा को मजदूरों को ठेका दे दिया। तय हुआ कि टनल, एस्केप पैसेज और अप्रोच रोड 8 जुलाई 2022 तक बन जाएंगे। जुलाई 2018 में काम शुरू हुआ, लेकिन अब तक 56% ही हो पाया। अब इसकी डेडलाइन मई 2024 भी गुजर चुकी है।
ठेके का ‘खेल’… एनएचआईडीसीएल को 1384 करोड़ में ठेका मिला, उसने 854 करोड़ में दिया
- सिलक्यारा व डंडालगांव के बीच 25 किमी की दूरी खत्म करने के लिए 4.859 किमी लंबी इस सुरंग के निर्माण का ठेका एनएचएआई (नेशनल हाइवे अथॉरिटी इंडिया) की निर्माण उपक्रम कंपनी एनएचआईडीसीएल को 1383.78 करोड़ रु. में दिया गया था।
- एनएचआईडीसीएल ने नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसीएल) को यही ठेका जून 2018 में 853.79 करोड़ में दिया।
- एनएचएआई के एक अफसर ने बताया कि टनल के निर्माण का ठेका नवयुगा को 853.79 करोड़ में मिला जरूर है, लेकिन परियोजना की कुल लागत 1383.78 करोड़ है। इसमें भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास, निर्माण पूर्व गतिविधियों और 4 वर्षों तक सुरंग के रखरखाव और संचालन की लागत भी शामिल है। इसे भी देखना चाहिए।
70 पेज की जांच रिपोर्ट में वही खामियां आईं, जो भास्कर ने गिनाई थीं
उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक शांतनु सरकार के नेतृत्व में छह सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल ने 70 पेज की रिपोर्ट में सुरंग परियोजना में कई खामियां बताईं। ये वहीं हैं, जो भास्कर ने नवंबर में ही उजागर कर दी थीं। त्रासदी की स्थिति में कोई बचने का रास्ता और अलार्म सिस्टम नहीं था।
निगरानी भी उचित नहीं थी। हैरत की बात यह है कि एनएचआईडीसीएल ने इस राज्य सरकार की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया। निदेशक अंशु मनीष खलखो ने कहा, हम इन निष्कर्षों से सहमत नहीं हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट पर ही भरोसा करेंगे।
टनल ने 21 बार चेताया, पर बेसुध रहे

रेस्क्यू में मदद के लिए भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से अर्नोल्ड डिक्स को बुलाया था। अर्नोल्ड को रेस्क्यू ऑपरेशन का एक्सपर्ट माना जाता है।
इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिशन के अध्यक्ष, बैरिस्टर, साइंटिस्ट और इंजीनियरिंग प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने सिलक्यारा टनल के रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने भास्कर से ई-मेल संवाद में कई खुलासे किए। बताया, हादसे से पहले टनल में 21 बार भूस्खलन हो चुका था, पर ध्यान नहीं दिया गया। चयनित अलाइनमेंट ठीक नहीं था। ऑडिट में भी अनदेखी हुई।