भाई दिल्ली दंगों में जेल में बंद बहन फरहा बनीं: औरंगाबाद में अंडे बेचने वाले का बेटा बना न्यायधीश, आरा की बबली की पहले अटेंप्ट में 8वीं रैंक – Patna News

32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा का गुरुवार शाम को रिजल्ट आया। इसके बाद तीन युवाओं की चर्चा है। इनमें से एक, देशद्रोह के मामले में जेल में बंद बिहार के जहानाबाद के रहने वाले शरजील इमाम की चचेरी बहन फरहा निशात हैं। वही, दूसरे जिस युवा की चर्चा है, वे
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जहानाबाद के काको की रहने वाली फरहा निशात अब जज बनेंगी। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा परिवार गर्व कर रहा है। फरहा की शुरुआती पढ़ाई काको में हुई है। उनकी मां अकबरी खातून गृहिणी हैं और पिता निशात अख्तर गवर्मेंट जॉब से रिटायर्ड हैं। फरहा ने क्लैट परीक्षा पास करने के बाद हिदायतुल्लाह नेशनल यूनिवर्सिटी, रायपुर से 2018 में कानून की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लॉ क्लर्क सह रिसर्च असिस्टेंट के रूप में काम किया और न्यायिक प्रक्रिया को करीब से समझा। इसके बाद उन्होंने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।
परिजनों को दिया सफलता का श्रेय
फरहा अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन-बहनोई और छोटे भाई-बहनों को देती हैं। उन्होंने सेल्फ स्टडी और परिवार के मार्गदर्शन के साथ प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास की, जबकि इंटरव्यू के लिए आंशिक रूप से संस्थानों की मदद ली। फरहा को किताबें पढ़ने, बच्चों को पढ़ाने और सीरियल देखने का शौक है।
वे त्वरित और न्यायपूर्ण फैसलों के जरिए समाज की सेवा करने का संकल्प रखती हैं। उन्होंने बताया कि लॉ करने के मेरी इंर्टनशिप लगी थीं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जॉब शुरू की। फिर उन्हें लगा कि कुछ अलग किया जाए और फिर उन्होंने न्यायाधीश बनने की तैयारी शुरू की। इसके लिए फरहा रोजाना 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई करती थीं।
आरा की बबली पहली बार में बनी जज
आरा की रहने वाली बबली राज ने पहली बार में ही बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में पूरे राज्य में 8वीं रैंक हासिल की है। इस सफलता से बबली का बचपन का सपना पूरा हुआ है। उन्होंने पटना में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की है। बबली ने बताया कि मैं बचपन से ही न्यायिक सेवा में जाना चाहती थी, इसलिए शुरू से ही न्यायिक सेवा की ओर अपना कदम बढ़ाया और तैयारी में जुट गई।
2013 में प्राइवेट स्कूल DAV से दसवीं की परीक्षा में 10 CGPA दर्जे से पास की। उसके बाद इंटर की पढ़ाई पटना से शुरू किया। पार्क माउंट पब्लिक स्कूल, नेऊरा से 2015 में इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद अपने संकल्प की ओर कदम बढ़ा दिया।
साल 2021 में चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी से BA LLB की परीक्षा पास की। 2023 में LLM की पढाई पूरी की। परीक्षा पास करने के बाद न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। हर दिन का पढ़ने का टारगेट रहता था। सुबह 8:30 बजे लाइब्रेरी जाती थी, दो बजे वापस आती थी। फिर पांच बजे लाइब्रेरी जाकर पढ़ाई करती थी। मेरी सफलता में परिवार का पूरा सहयोग है।
बबली बोलीं- जो भी ड्यूटी मिलेगी ईमानदारी से करूंगी
काम को लेकर बबली ने बताया कि जो भी मुझे ड्यूटी मिले उसे ईमानदारी पूर्वक निभाना है। गरीब और दबे लोगों की मदद करने का उद्देश्य है, क्योंकि आप जज बनकर अच्छे से काम करने पर समाज में अच्छा संदेश दे सकते हैं। बबली की मां डॉक्टर नीलम सिंह ने कहा कि बहुत खुशी हो रही है, बेटी जज बन गई है। उसका पहले जज बनना लक्ष्य नहीं था, लेकिन कॉलेज के दिनों से ही वो जज बनना चाहती थी। कभी पढ़ने के लिए नहीं बोलना पड़ता था। ज्यादातर समय बबली का छात्रावास में ही बिता है। पढ़ाई को लेकर पर्व त्योहारों में भी वो घर नहीं आती थी। बेटी की सफतला के बाद संदेश दी कि बेटियों को जरूर पढ़ना चाहिए अगर बेटियां पढेंगी तो घर परिवार शिक्षित रहेगा।
रिजल्ट से पहले ही पिता ने रख ली थी मिठाई
पिता धर्मेंद्र कुमार यादव ने बताया कि बचपन से ही काफी टैलेंटेड है। मुझे पूर्ण विश्वास था कि मेरी बेटी अच्छा रैंक लाएगी। परीक्षा देने के बाद से ही मुझे पता चल गया था कि बबली टॉप टेन में अपना जगह बनाएगी। रिजल्ट आने से पहले ही मैंने दो किलो मिठाई लाकर घर पर रख दिया था। शुरू से ही पढ़ने के लिए नहीं कहना पड़ता था। वो पटना में रहकर रोजाना आठ से 10 घंटा पढ़ाई करती थी। बबली के पिता धर्मेंद्र कुमार यादव शिक्षक है। जबकि माता डॉक्टर नीलम सिंह आरा के ही एसबी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर है।
औरंगाबाद के आदर्श बने जज, पिता ने अंडा बेचकर पढ़ाया
औरंगाबाद के मदनपुर के रहने वाले विजय साव के बेटे आदर्श कुमार ने भी BPSC PCS-J में सफलता हासिल की है। शिवगंज गांव के रहने वाले आदर्श कुमार दो भाई एवं तीन बहन हैं। आदर्श कुमार की मां सुनैना देवी जीविका समूह चलती हैं। आदर्श कुमार की प्रारंभिक पढ़ाई झारखंड राज्य के बोकारो में DAV स्कूल में हुई। इसके बाद इन्होंने 5 साल तक लॉ BA-LLB की पढ़ाई पटना में नेशनल लॉ कॉलेज से की।
आदर्श कुमार ने बताया कि स्कूलिंग के बाद कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद मुझे जज बनने की इच्छा हुई और मैं इसके प्रति पूरे लगन के साथ लग गया। 12वीं पूरी करने के बाद BA LLB में एडमिशन लिया और यहां पूरा पढ़ाई के दौरान मेरे प्रति अनुकूल माहौल था। उन्होंने बताया कि बिहार ज्यूडिशल जज में 120 वां रैंक हासिल हुआ है। उन्होंने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद पहली बार परीक्षा दिया था और पहले अटेम्प्ट में ही मेरा चयन हो गया। उन्होंने कहा कि आज सभी बच्चे अच्छी मुकाम पर जा सकते हैं। अगर पढ़ाई सही से करें और सही गाइडलाइंस मिले तो सभी बच्चे अच्छा कर सकते हैं।
पढ़ाई को लेकर करते थे टारगेट सेट
आदर्श कुमार ने बताया कि कोई बड़ी मुकाम हासिल करने के लिए आपको टारगेट सेट करना होगा। उसके बाद उसको रूटिंग बनाकर उसे पर कार्य करना होगा। मैं पढ़ाई के लिए प्रतिदिन एक टारगेट सेट करता था। तय टारगेट के अनुसार पढ़ाई पूरी करके ही रात में सोता था। उन्होंने बताया कि लोगों को पिछले वर्ष की प्रश्नों को जरूर देखना चाहिए और उसे पर अमल करना चाहिए।
आदर्श कुमार के पिता विजय साव ने कहा कि मुझे अपने बेटे पर शुरू से ही भरोसा था। पढ़ाई में आदर्श कुमार का जितना खर्चा हुआ, मै देता गया। आदर्श जहां से पढ़ाई करना चाहता था, मैंने वहां भेजा। मेरे बेटे को उसकी मेहनत का फल मिल गया।