Published On: Sat, Jun 22nd, 2024

भर्तृहरि को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर कांग्रेस का विरोध: चेयरपर्सन पैनल से हट सकते हैं तीन सांसद; रिजिजू बोले- झूठ की सीमा होती है


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नई दिल्ली41 मिनट पहले

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने में नियमों का पालन किया गया है। - Dainik Bhaskar

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने में नियमों का पालन किया गया है।

18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले प्रोटेम स्पीकर के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। सरकार ने 20 जून को कटक से भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया था। इसे लेकर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज की थी कि कांग्रेस के आठ बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश की जगह सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करना लोकसभा के नियमों का उल्लंघन है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के इन बयानों को लेकर कहा कि झूठ की सीमा होती है। हमने नियमों के तहत ही भतृर्हरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाया है। महताब लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसद हैं। वे लगातार सात बार लोकसभा में चुने गए हैं, जबकि सुरेश कोडिकुन्निल भले ही आठ बार सांसद रहे हों, लेकिन वे लगातार नहीं चुने गए। वे 1998 और 2004 में लोकसभा सदस्य नहीं थे।

इधर विपक्ष धमकी दे रहा है कि संसद में चेयरपर्सन के पैनल को जॉइन नहीं करेगा। दरअसल शनिवार को विपक्ष के सूत्रों ने बताया कि लोकसभा सांसदों को शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर भतृर्हरि की मदद के लिए चेयरपर्सन पैनल में पांच सांसद नियुक्त किए गए हैं।

इनमें से तीन विपक्षी सांसद- सुरेश कोडिकुन्निल (कांग्रेस), थलिक्कोट्टई राजुथेवर बालू (DMK), सुदीप बंदोपाध्याय (TMC) इस पैनल में शामिल होने से मना कर सकते हैं। बाकी दो सांसद राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते भाजपा से हैं।

इन पांच सांसदों को संसद में सबसे अधिक कार्यकाल के आधार पर लोकसभा सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए चुना गया है। इनमें से तीनों विपक्षी सांसद इस पैनल में शामिल होने से मना कर सकते हैं।

इन पांच सांसदों को संसद में सबसे अधिक कार्यकाल के आधार पर लोकसभा सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए चुना गया है। इनमें से तीनों विपक्षी सांसद इस पैनल में शामिल होने से मना कर सकते हैं।

18वीं लोकसभा में भर्तृहरि की जिम्मेदारी

  • 543 नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे। शपथ ग्रहण दो दिन तक चल सकता है।
  • इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। तब तक लोकसभा चलाने की जिम्मेदारी भर्तृहरि ​​​​की होगी।

कौन होता है प्रोटेम स्पीकर?
प्रोटेम लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर से आया है। इसका मतलब होता है- कुछ समय के लिए। प्रोटेम स्पीकर अस्थायी स्पीकर होता है। लोकसभा या विधानसभा चुनाव होने के बाद सदन को चलाने के लिए सत्ता पक्ष प्रोटेम स्पीकर को चुनता है।

प्रोटेम स्पीकर का मुख्य काम नव निर्वाचित सांसदों/विधानसभा को शपथ ग्रहण कराना है। यह पूरा कार्यक्रम प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में होता है। प्रोटेम स्पीकर का काम फ्लोर टेस्ट भी करवाना होता है। हालांकि संविधान में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति, काम और पावर के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 20 जून को भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर और उनकी सहायता के लिए पांच सांसदों को नियुक्त किए जाने की जानकारी दी।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 20 जून को भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर और उनकी सहायता के लिए पांच सांसदों को नियुक्त किए जाने की जानकारी दी।

INDIA गुट स्पीकर पद के लिए दावेदारी पेश कर सकता है
18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई तक चलेगा। 26 जून से लोकसभा स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसी खबरें हैं कि भाजपा ओम बिड़ला को दूसरी बार स्पीकर बना सकती है। जबकि भाजपा की सहयोगी पार्टियां- चंद्रबाबू नायडू की TDP और नीतीश कुमार की JDU- भी स्पीकर पद मांग रही हैं।

इधर विपक्षी खेमा I.N.D.I.A गुट भी लोकसभा में मजबूत स्थिति में है। ऐसे में उसे उम्मीद है कि डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष के किसी सांसद को मिलेगा। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर विपक्ष के सांसद को डिप्टी स्पीकर पद नहीं मिलता है तो विपक्षी खेमा स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगा।

डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परम्परा रही है। 16वीं लोकसभा में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। जबकि, 17वीं लोकसभा में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें…

राजस्थान में कोटा-बूंदी सीट से भाजपा उम्मीदवार और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने लगातार तीसरी जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल को 41,974 वोटों से हराया है।

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1999 में स्पीकर ने विशेष अधिकार का इस्तेमाल किया और एक वोट से अटल सरकार गिर गई थी। ये एक उदाहरण स्पीकर पद की अहमियत बताने के लिए काफी है। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद ये पद एक बार फिर चर्चा में है। नतीजों में BJP को बहुमत नहीं मिला। वो चंद्रबाबू नायडू की TDP और नीतीश कुमार की JDU के सहारे सरकार बनाने जा रही है।

इस बीच खबरें आ रही हैं कि दोनों ही पार्टियां स्पीकर पद के लिए अड़ी हैं। स्पीकर का पद कितना ताकतवर होता है; सहयोगी दलों को सांसद टूटने का डर या कोई और वजह, आखिर क्यों बनाना चाहते हैं अपना स्पीकर…पूरी खबर यहां पढ़ें…

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