Published On: Thu, Nov 7th, 2024

भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नहीं बदल सकते नियम: राजस्थान हाईकोर्ट की 15 साल पुरानी भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला – Jaipur News


सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जज की संविधान पीठ ने गुरुवार को यह आदेश दिया

.

संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड के अलावा जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल रहे। संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी करते हुए 18 जुलाई 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दरअसल, यह पूरा मामला राजस्थान हाईकोर्ट की 15 साल पुरानी विभागीय ट्रांसलेटर भर्ती-2009 से जुड़ा है। इसमें हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में संशोधन कर दिया था। इससे कई अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए थे। इन्हीं में से 7 अभ्यर्थियों से इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

भर्ती प्रकिया शुरू होने पर नियम नहीं बदल सकते संविधान पीठ ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसके नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया आवेदन आमंत्रित करने और रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी होने से ही शुरू हो जाती है।

संविधान पीठ ने कहा- अगर भर्ती विज्ञप्ति में पहले ही उल्लेख किया गया है कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया जा सकता है। तभी नियमों में बदलाव करने की अनुमति होगी। उसमें भी आर्टिकल-14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन नहीं हो सकता है।

पीठ ने कहा कि निकाय भर्ती प्रक्रिया को पूरी करने के लिए उसके नियम तय कर सकते हैं। बशर्ते उसमें अपनाई गई प्रक्रिया पारदर्शी, गैर-मनमानी और तर्क संगत होनी चाहिए।

हाईकोर्ट प्रशासन ने साल 2009 में ट्रांसलेटर की विभागीय भर्ती निकाली थी। इसका परिणाम जारी होने के बाद नियम बदल दिए थे।

हाईकोर्ट प्रशासन ने साल 2009 में ट्रांसलेटर की विभागीय भर्ती निकाली थी। इसका परिणाम जारी होने के बाद नियम बदल दिए थे।

परिणाम जारी होने के बाद बदले थे नियम दरअसल, साल 2009 में राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने 13 पदों पर ट्रांसलेटर की विभागीय भर्ती निकाली थी। भर्ती को लेकर दिसंबर 2009 में लिखित परीक्षा आयोजित हुई। इसका परिणाम हाईकोर्ट प्रशासन ने 10 फरवरी 2010 को जारी करते हुए चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी थी। 11 फरवरी को हाईकोर्ट प्रशासन ने नियमों में संशोधन करते हुए कहा कि भर्ती में उन्हीं अभ्यर्थियों को सफल माना जाएगा, जिनके 75 प्रतिशत से अधिक अंक होंगे।

पूरी भर्ती प्रक्रिया में केवल 3 अभ्यर्थियों के 75 प्रतिशत से अधिक अंक थे। हाईकोर्ट प्रशासन ने उन्हें चयनित करते हुए शेष 10 पदों को खाली छोड़ दिया। इसे तेज प्रकाश पाठक और अन्य ने पहले हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मार्च 2011 में इनकी याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद इन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बैंच के सामने जब यह मामला आया तो उन्होंने इसमें लीगल क्वेश्चन फ्रेम करते हुए इसे 5 मार्च 2013 को संविधान पीठ के लिए रेफर कर दिया था।

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>