बेंगलुरु में युवक ने लिंगायत संत की मूर्ति खंडित की: बोला- यीशु ने सपने में आकर ऐसा करने का कहा; CCTV से पहचान हुई, गिरफ्तार

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बेंगलुरु13 मिनट पहले
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बेंगलुरु के वीरभद्र नगर में लिंगायत संत शिवकुमार स्वामी की मूर्ति के माथे पर बड़ा छेद कर दिया।
बेंगलुरु में पार्सल डिलीवरी करने वाले एक युवक ने लिंगायत संत शिवकुमार स्वामी की मूर्ति खंडित कर दी। उसने मूर्ति के सिर पर बड़ा छेद कर दिया। मूर्ति तोड़ने वाले 37 साल के श्रीकृष्णा ने बताया कि मेरे सपने में जीसस क्राइस्ट आए थे, उन्होंने मूर्ति तोड़ने के लिए कहा।
इलाके के लोगों को जब मूर्ति टूटने का पता चला तो उन्होंने तुरंत पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने CCTV फुटेज के आधार पर आरोपी की पहचान की और उसे गिरफ्तार किया।

आरोपी कृष्णा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पार्सल डिलीवर करने गया था युवक मूर्ति तोड़ने वाला युवक 30 नवंबर को वीरभद्र नगर में रात 1:30 बजे पार्सल की डिलीवरी करने पहुंचा था। यहां उसने एक हथौड़े से शिवकुमार स्वामी की मूर्ति तोड़ी। आवाज आने पर आसपास के रेस्टोरेंट वाले बाहर आए। लोगों ने आरोपी को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह भाग निकला। इसके बाद पुलिस को घटना की जानकारी दी गई।
आरोपी की मानसिक जांच कराई आरोपी को हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने उसकी मानसिक जांच कराई। इसकी रिपोर्ट अभी आनी है। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया है। पुलिस को शक है कि मानसिक संतुलन ठीक न होने के चलते ही उसने मूर्ति तोड़ी। इसमें कोई और उद्देश्य छिपा हुआ नहीं है।
बेंगलुरु के मुख्य पादरी ने आरोपी की सफाई को बेबुनियाद बताया बेंगलुरु के मुख्य पादरी डॉ. पीटर ने आरोपी के जीसस के कहने पर मूर्ति तोड़ने के बयान को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी बहकावे में न आएं। ऐसी किसी भी बात का मकसद सिर्फ सांप्रदायिक तनाव पैदा करना है।

कौन है शिवकुमार स्वामी शिवकुमार स्वामी लिंगायत संतों में बहुत सम्मानीय माने जाते हैं। उन्हें ‘वॉकिंग गॉड’ यानी चलता-फिरता भगवान भी कहा जाता था। 2019 में 111 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। इससे पहले वे 8 साल तक सिद्धगंगा मठ के प्रमुख थे। इस मठ को लिंगायत समुदाय के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है।
शिवकुमार स्वामी ने 130 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की थी। उनके स्कूलों में हर जाति और धर्म के बच्चे पढ़ते हैं। शिवकुमार स्वामी हर समुदाय के लोगों की सेवा करते थे। वे कई अनाथ बच्चों का ध्यान रखते और अपने आवासीय स्कूलों में पढ़ाते थे। उन्हें 2007 में कर्नाटक रत्न पुरस्कार और 2015 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

लिंगायत संत शिवकुमार स्वामी ने 21 जनवरी 2019 को 111 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।
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