Published On: Sat, Nov 30th, 2024

बुखार और पेट से जुड़ी तकलीफों में रामबाण है ये सर्दियों का फल, बीज और पत्तियां भी फायदेमंद



सिरोही: जिले के आदिवासी क्षेत्रों में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही बेर का मौसम भी शुरू हो गया है. इस फल को स्थानीय लोग ‘किसान का सेव’ कहते हैं. दीपावली के बाद माउंट आबू वन क्षेत्र, आबूरोड-पिंडवाड़ा और अन्य पहाड़ी इलाकों में बेर की झाड़ियां प्राकृतिक रूप से लहलहाने लगती हैं. कच्चे बेर हरे और खट्टे होते हैं, जबकि पकने के बाद इनका रंग भूरा और स्वाद मीठा हो जाता है. बेर की झाड़ियों से आदिवासी महिलाएं फल तोड़कर बाजार में बेचती हैं, जहां इनकी कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है.

बेर के आयुर्वेदिक लाभ: बुखार और पेट की समस्याओं में असरदार
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक और सेवानिवृत्त जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. दामोदरप्रसाद चतुर्वेदी ने बेर के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बेर का सेवन खांसी, बुखार, मलेरिया और प्लेटलेट्स की कमी जैसी समस्याओं में फायदेमंद है. यह फल विटामिन सी, कैल्शियम, लौह तत्व, फास्फोरस, पोटेशियम और जिंक से भरपूर है. घाव सुखाने और पेट दर्द में भी इसका उपयोग किया जाता है.

बीज और पत्तियों के औषधीय गुण
बेर के बीज गर्भावस्था में मतली और उल्टी को रोकने में मदद करते हैं. इसकी पत्तियों और जड़ों से बने आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है और पेट से संबंधित बीमारियों में राहत देता है. इसके अतिरिक्त, यह पशुओं के लिए भी उपयोगी है, क्योंकि इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है. महिलाओं में प्रसव के बाद दूध की कमी की समस्या में भी बेर का सेवन लाभदायक साबित होता है.

Tags: Local18, Rajasthan news, Sirohi news

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